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कानपुर के वाशिंदों ने ली राहत की सांस
सन् 2005 में डी-2 गैंग में दुनिया के सामने आए कुख्यात अपराधी गुलाम नबी को मौत के घाट उतार दिया गया हैं. बताया जा रहा कि कानपुर के चमनगंज में गैंगवार का एक मामला सामने आया है. जिसमें ताबड़तोड़ गोलीबारी में एक कुख्यात अपराधी गुलाम नबी को मौत के घाट उतार दिया गया. आपको बता दें कि अपराधी गुलाम नबी की हत्या का शक चमनगंज के नादिर पर हैं. अपराधी गुलाम नबी डी-2 गैंग के रफीक की हत्या कर चर्चा में आया था.
कुली बाजार के रहने वाले नादिर से गुलाम की काफी समय से दुश्मनी चल रही थी. गुलाम गैंग ने हाल में ही नादिर पर हमला भी किया था, जिस पर तत्कालीन एसएसपी शलभ माथुर ने गुलाम की सक्रियता जाहिर की थी. बताया जाता है कि गुलाम नबी के बड़े बिल्डरों से सम्पर्क थे और अपराध की दुनिया में भी अच्छा खासा दबदबा था. वो रईस बनारसी का साथ मिलने के बाद शहर के बिल्डरों से वसूली किया करता था. जिससे उसका बिल्डरों में भी दबदवा हो गया.
गुलाम नबी की गैंग में मासूम, नफीस, कलुवा, रेहान, दिलशान, रईस ढपाली शामिल है. जो पूरी तरह गैंग के सक्रिय सदस्य हैं. बता दें कि गुलाम नबी के जेल में रहने के बावजूद उसका गैंग पूरी तरह से सक्रिय था, उसके गैंग के बाकी लोग इसके संचालित करते थे. इसी दौरान गुलाम जेल से फरार भी हो गया था. गुलाम को पकड़ने के लिए पुलिस ने जाल भी फैलाया था लेकिन वो महिलाओं की आड़ लेकर फरार हो गया था. गुलाम किसी से मिलने के बाद एक बिल्डर से मिलने जा रहा था, उसी समय पुलिस ने इस घटना को अंजाम दिया. कानपूर अब गुलाम के आतंक से मुक्त हो गया.
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