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रिहाई मंच ने किया ATS का खुले आम विरोध, जबरदस्ती मुस्लिमों को फंसा रही यूपी की पुलिस
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में ATS द्वारा की जारही कार्यवाही पर मुस्लिम समाज के एक और संघठन ने अब प्रश्न चिन्ह लगाना शुरू कर दिया है। संघठन रिहाई मंच का कहना है कि ATS हमें जान बूझकर परेशान कर रही है और हमें जबरदस्ती आतंकवाद में फसाना चाहती है।
रिहाई मंच ने बताया कि 3 मई को यूपी पे्रस क्लब में कानपुर के आतिफ की प्रेस वार्ता के बाद एनआईए ने नोटिस भेजा है। इससे साफ है कि अब तक आतिफ से गैर कानूनी तरीके से पूछताछ की जाती रही है। मंच ने जांच व सुरक्षा एजेंसियों से अपील की है कि आतंकवाद जैसे गंभीर सवाल पर जांच की प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती जाए जिससे किसी व्यक्ति, परिवार व समुदाय के मानवाधिकारों का हनन न हो और एजेंसियों की विश्वसनियता भी बनी रहे।
अधिवक्ता और रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि 7 मार्च 2017 को थाना काकोरी जिला लखनऊ क्षेत्र में उत्तर प्रदेश एटीएस द्वारा सैफुल्लाह को मारे जाने और उसी दिन व उसके बाद गौस मुहम्मद, मुहम्मद अजहर को गिरफ्तार किए जाने के बाद 16 मार्च 2017 से उत्तर प्रदेश एटीएस तथा एनआईए द्वारा जाजमऊ कानपुर निवासी मुहम्मद आतिफ को गवाह बनाने के लिए प्रताड़ित कर दबाव बनाया जा रहा है।
3 मई 2017 को यूपी प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता कर मोहम्मद आतिफ ने बताया कि एटीएस ने उसे पहले रेल बाजार थाना कानपुर में बुलाकर प्रताड़ित किया उसके बाद अपने कार्यालय में और लखनऊ हेड क्वाटर में बुलाकर अपने द्वारा बताए गए बयान को देने का दबाव बनाया। इसके बाद एनआईए ने उसे तीन-चार बार अपने लखनऊ कार्यालय में बुलाकर झूठी गवाही देने के लिए दबाव बनाया। इससे पहले सिर्फ फोन करके एनआईए के अफसर मोहम्मद आतिफ को अपने कार्यालय में बुलाकर झूठी गवाही देने के लिए दबाव बनाते थे लेकिन 3 मई 2017 की प्रेस वार्ता के बाद पहली बार लिखित रुप से गवाही देने के लिए उसके पिता पर नोटिस तामील की है।
सवाल यह उठता है कि जब फोन पर बुलाने के बाद आने पर उसने झूठी गवाही देने से मना किया तो लिखित नोटिस देने की कार्रवाई क्यों की गई। उन्होंने बताया कि मोहम्मद आतिफ ने आशंका जताई है कि उससे बल पूर्वक गवाही दिलवाई जाएगी और गवाही न देने की स्थिति में उसको तथा उसके परिवार के लोगों को गंभीर परिणाम भुगतना पड़ेगा। उसने कहा है कि वह नोटिस का पालन करते हुए एनआईए कार्यालय जाएगा और किसी तरह से उसको एनआईए द्वारा चोट पहुंचाई जाती है या उसकी आशंका सच्चाई धारण करती है तो उसके लिए एनआईए अधिकारी दोषी होंगे।