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जिला पंचायत राज अधिकारी कौशाम्बी को रास नहीं आ रहा है मोदी जी का स्वच्छता अभियान

जिला पंचायत राज अधिकारी कौशाम्बी को रास नहीं आ रहा है मोदी जी का स्वच्छता अभियान
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District Panchayat Officer Kaushambi is not coming to the rescue
कौशाम्बी, मूरतगंज काजू
केंद्र की मोदी सरकार से लेकर यू पी की योगी सरकार स्वच्छ भारत मिशन को लेकर अलग -अलग कार्यक्रमों में झाडू लगाती देखी जा रही है। इतना ही नहीं स्वच्छ भारत का सपना देखने वाली इन सरकारों ने यू पी के जिलों को मोटी रकम भेजी है ताकि स्वच्छ भारत का सपना पूरा हो सके लेकिन इसकी जमीनी हकीकत क्या है। यह जमीन पर रहने वाला व्यक्ति ही जानता है -।
शासन की योजना के मुताबिक जिला स्तरीय अधिकारी मतलब जिला पंचायत राज अधिकारी जनता को खुले में शौच न कर घर में शौचालय बनवाने के लिए जागरूक करते देखें जा रहे हैं,लेकिन शायद उनकी निगाह बनाये जा रहे शौचालयोंकी गुणवत्ता पर नहीं जा रही है और यदि जा रही है तो इसके पीछे क्या रहस्य है यह तो अस्पष्ट कर पाना मुश्किल है लेकिन इतना जरूर है कि जिस तरह से शौचालयों का निर्माण कराया जा रहा है उससे नहीं लगता कि ये शौचालय अपनी जिन्दगी के आधे दिन भी चल पायेंगे।
उदाहरण के तौर पर मूरतगंज विकास खण्ड क्षेत्र के ग्राम सभा काजू का मजरा टीका का पूरा में संचालित प्राथमिक विद्यालय के बने शौचालय को लिया जा सकता है तकरीबन 2 या 3 बर्ष पहले जिम्मेदारों ने विद्यालय के छात्र,छात्राओं खुले में शौच न जायें इसके लिए शौचालय का निर्माण कराया गया था यह शौचालय पिछले दिनों क्यों ढह गया गुणवत्ता विहीन होने के कारण या फिर ऐसा क्यों हुआ यह तो नहीं स्पष्ट किया जा सकता लेकिन शौचालय ढह जाने के बाद अब छात्र,छात्राएँ खुले में शौच करने केलिए मजबूर हैं। इतना ही नहीं विद्यालय की प्रधानाध्यपिका इसकी शिकायत मतलब पुनः शौचालय निर्माण के लिए प्रधान जी की कई बार गणेश परिक्रमा किया लेकिन आज भी शौचालय निर्माण के नाम पर चाहे जिला पंचायत राज अधिकारी कमल किशोर हों या फिर गांव के प्रधान जी उनकी निगाह इस ओर नहीं गई हलाकि लोगों की बातों पर यदि यकीन करें तो वर्तमान में बनाये जा रहे शौचालयों की गुणवत्ता किस तरह की है यदि इसकी हकीकत जानने के लिए जिला अधिकारी मनीष वर्मा जी खुद देख ले तो शायद जिला पंचायत राज अधिकारी और संम्बधित गाँव के प्रधान पर कार्यवाही की गाज गिर सकती है।

यहां पर यह भी बताना जरूरी होगा कि टीका का पूरा में संचालित इसी प्राथमिक विद्यालय में देखने के लिए तो हैण्डपम्प की तस्वीर दिखाई दे रही है लेकिन आप उस हैण्डपम्प से चुल्लू भर पानी नहीं निकाल सकते हैं।इसकी भी शिकायत प्रधानाअध्यापिका ने ग्राम प्रधान के अलावा अपने विभाग के अधिकारियों से किया लेकिन हांथ लगीं तो सिर्फ मायूसी प्रधान जी कहते हैं बजट नहीं है।
अब सवाल इस बात का उठ रहा है कि विद्यालय में पढ़ने वाले नन्हे -मुन्ने छात्र पानी पियें तो कहां ?और शौच जायें तो कहां?ऐसे में कहीं न कहीं सरकार द्वारा चलायी जा रही स्वच्छता अभियान योजना सवालों के घेरे में आ रही है ।अब इसका दोषी कौन है यह तो जाँच का विषय है जांच होगी या फिर नहीं यह तो भविष्य के गर्त में है। लेकिन गाँव के जिम्मेदार से लेकर जिलास्तरीय जिम्मेदारोंकी अनदेखी को लेकर गांव की जनता में आक्रोश जरूर देखा जा रहा है।
नितिन अग्रहरी
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