
मायावती का आना जाना: कैसे पियेंगी ये कडुवा घूंट जहर का

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर अमर्यादित टिप्पणी कर उनको शैतान की औलाद कह कर मायावती ने अपनी समझ का परिचय दिया था। उस समय तक मायावती को कोई बडा नेता नही मानता था न ही जनता था। मान्यवर काशीराम जी बसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। मुलायम सिंह यादव जी की पार्टी सपा व काशीराम की पार्टी बसपा ने उत्तर प्रदेश में मिलकर चुनाव लड़ा। सपा-बसपा की सरकार बनी। मुलायम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। बसपा ने मायावती को उत्तर प्रदेश बसपा का प्रभारी बनाया। घोर जातिवादी राजनीति का दौर था। वहां तरह तरह के नारे लगाए जाते थे। उसी समय मायावती ने कहा कि माहत्मा गांधी ने अनुसूचित जाति को हरिजन का नाम दिया जब अनुसूचित जाति हरिजन है तो क्या गांधी जी शैतान की औलाद है। जबरदस्त विरोध कांग्रसियों ने किया, धरने पर बैठ गई कांग्रेस पार्टी। मुख्यमंत्री मुलायम सिंह ने मायावती के बयान से पल्ला झाड़ते हुए उससे असहमति जताई।
भारतीय जनता पार्टी ने उस दुखद बयान पर अपना विरोध प्रकट किया। सरकार में जबरदस्त भ्रष्टाचार का बोल बाला था। एक हाथ से सपा लूट रही थी दुसरे हाथ से बसपा। भाजपा प्रमुख विपक्षी दल के नाते इनकी लूट खसोट व बदजुबानी पर उत्तर प्रदेश में इनको ललकार रही थी। भारतीय जनता पार्टी के सर्वमान्य नेता प0 अटल बिहारी बाजपेयी जी उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सांसद थे। उनका अपने संसदीय क्षेत्र लखनऊ आना जाना रहता था। कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष थे, उनकी जनता में अपनी पहचान थी। बसपा-सपा ने उत्तर प्रदेश से बाहर पैर पसारने की तमाम कोशिशे की लेकिन इनकी यूपी को छोड कही दाल नही गली। सरकार में मनमुटाव तो प्रारम्भ से ही था कुछ ही समय बाद वह मनमुटाव तल्खीयों में बदल गया। काशीराम-मुलायम सिंह की समय-समय पर भेंट भी उस तल्खी को कम नही कर सकी और वह समय भी आ गया कि बसपा ने सपा सरकार से समर्थन वापसी का संकेत दे अपने विधायको की बैठक बुलाई।
मायावती जी के नेतृत्व में मीरा बाई मार्ग स्थित गेस्टहाउस में विधायको की आपात बैठक बुलाई गई। तय समय से पहले ही सपा के लोगों ने गेस्ट हाउस पर हमला बोल दिया। विधायको को आपात जबरदस्ती उठा कर गाडियों में ठूस-ठूस सुदूर जनपदो में पहुॅचाकर छोड दिया गया। बैठक तितर बितर हो गई। मायावती जी के साथ मारपीट व बदसलूकी की गई। किसी तरह जान बाचने के लिए वह गेस्ट हाउस के एक कमरे में छूप गई। सपाईयों ने कमरे को घेर लिया था उनको और अधिक छति पहुॅचाने की कोशिश होने लगी। इसीबीच उत्तर प्रदेश पुलिस के एक पीपीएस अफसर जो वहां मौजूद थे उन्होंने भाजपा के एक बडे नेता को इस गम्भीर स्थिति से अवगत कराते हुए हस्तक्षेप करने को कहा। लैण्ड लाइन फोन का जमाना था सूचना देने का और कोई तरीका नही था। जिस कमरे में मायावती जी ने खुद को छिपाया हुआ था उसी कमरे में एक छोटा कमरा और था क्योंकि अटल जी उसी कमरे में रूकते थे वह लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष थे अतः उनको एक रूम में ही लैण्ड लाईन फोन मिला था।