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इस मुस्लिम परिवार ने रचा इतिहास, पेश की मिशाल, गाय के दूध से खोला पहला रमजान!

इस मुस्लिम परिवार ने रचा इतिहास, पेश की मिशाल, गाय के दूध से खोला पहला रमजान!
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इससे गंगा जमुनी तहजीव फिर से होगी जिन्दा Roza Iftar from cow's milk in moradabad up

मुरादाबाद: जिले के मोहल्ला जाहिद नगर निवासी मेहँदी हसन ने मोहम्मद जान तुर्की की सलाह से एक नई गंगा जमुनी मिशाल पेश की है. मेहँदी हसन अंसारी ने अपने सभी 15 परिजनों समेत रमजान के पहले रोजे का इफ्तार गाय के दूध के साथ किया.



मेहँदी हसन से जब बात की तो बोले कि आज के समय में जो हम हिन्दू मुस्लिम की बेबजह की लड़ाई में फंसकर अपने मुल्क को बरवाद कर रहे है. उस सोच से निकल कर हम सभी हिन्दू और मुस्लिम को गंगा जमुनी तहजीब से रहना चाहिए. इस तहजीब में आपसे सद्भाव और भाईचारे की बात होती है. मेंने इस इफ्तार को लेकर मोहम्द जान तुर्की साहब की सलाह से किया. तुर्की ने कहा कि इस तरह की मिशाल पेश करने से हिन्दू मुस्लिम एकता को बल मिलेगा. साथ ही कहा कि हम हमेशा गाय क़त्ल के विरोधी है और रहेंगे.

मोहम्द तुर्की जान से बात की तो उन्होंने कहा कि बादशाह बहादुर शाह जफर और हुमायूँ ने भी गाय की कुर्वानी पर रोक लगाईं थी. मेरा मकसद मुल्क में इस समय भाई चारे के संदेश की बहुत जरूरत है. दुसरे धर्म का सम्मान करना एक सच्चे इंसान और सच्चे मुसलमान का फर्ज बनता है. इस समय मुल्क में रमजान का महिना चल रहा है. हम सभी हिन्दू और मुस्लिम आपसे भाईचारे के साथ रहें.

आपको बता दें देश में इस तरह के माहौल को पैदा करने से आपसी सद्भाव और भाईचारे को बढ़ावा मिलेगा. जिससे आपसी नफरत ही नहीं दिलों की दूरियां कम होगी. कुरान शरीफ में गाय को शिफा माना गया है और गाय के कत्ल को गुनाह माना है. जब सब इसी भाईचारे से रहना चाहते है तो दूरियां किस बात की. इस परिवार ने गाय के दूध से रोजा इफ्तार करके वास्तव में एक मिशाल पेश की है.


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