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इमरान प्रतापगढ़ी ने गरीब रोजेदारों की खुशनुमा ईद!

इमरान प्रतापगढ़ी ने गरीब रोजेदारों की खुशनुमा ईद!
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Imran Pratapgadhi happy idol of poor rosemary!
एक सप्ताह पहले मीरापुर में कुछ ऐसे गरीब रोजेदार परिवारो के बारे में लिखा गया था जिन्हें अफ्तार भी रूखी रोटी से करना पड़ रहा था. इस बात को सुनकर कई मुस्लिम रहनुमा आगे आये और इन गरीब रोजेदारों की मदद की.
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ये रोजेदार खतौली रोड पर 21 परिवार समेत छप्पर डाल कर रह रहे थे. इस घटना को वरिष्ठ पत्रकार आस मोहमद कैफ ने नजदीकी से देखा फिर उन्होंने विस्त्रत जानकारी दी

आस मोहम्द कैफ ने लिखा
मैंने सिर्फ लिखा क्योंकि मुझे दर्द हुआ, मेरे अतीत ने मुझे कुरेदा, सोशल मीडिया की क्रांति ने इसे लाखो लोगो तक पहुंचा दिया. दिल्ली के क्रंतिकारी नोजवान और मानवीय मूल्यों को समर्पित फराह सकीब को सबसे पहले ख्याल आया की, इनकी मदद होनी चाहिए. उन्होंने मेरा बैंक अकाउंट सार्वजानिक किया. भावनात्मक रूप से हमने सबसे ज्यादा कद्र उसके लिए की जिसने 200 रुपए का सहयोग किया.

दरअसल यह रकम हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण थी. सामाजिक रूप से सबसे बड़ा सहयोग शायरी जगत के 'शाहरुख ' इमरान प्रतापगढ़ी ने की, वो न केवल खुद आये बल्कि पश्चिम उत्तर प्रदेश के मुसलमानो के मसीहा बनने की और अग्रसर आशु मलिक को भी साथ ले आये. मजलूमो ,बेसहारो के बीच यह दोनों पहुंचे तो लोगो की आँखे नम हो गयी. सरकार में आशु मालिक की ताकत से कोई इंकार नही कर सकता ,उन्होंने लगातार समाज में अपना रुतबा बुलंद किया वर्त्तमान में वो विधान परिषद सदस्य है.
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अंतर्राष्ट्रीय शायर इमरान प्रतापगढ़ी का उन्हें साथ लेकर आना एक बढ़िया मूव था. इमरान आजकल मुस्लिम नेतृत्व के गर्त में चले जाने के बाद मजलूमो को वास्तविक आवाज़ बन कर उभरे है पहले उनकी शायरी में यह सब दिखाई देता था. अब सब कुछ ग्राउंड पर दिखाई दे रहा है. वो आमजन के लड़ते दिखते है. 70 से नाकारा मुस्लिम नेतृत्व के चाटुकार आशु मालिक से नफरत तो कर सकते है मगर उनके चमत्कारिक व्यक्त्वि और आमजन में बढ़ते सम्मान को नजरअंदाज नही कर सकते.
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पश्चिम उत्तर प्रदेश में मुसलमानो की हर जरुरत में सबसे आगे वो दिखाई दिये है. इन मजलूमो को आशु मलिक ने खाने के पैकेट दिए. जबकि इमरान ने महिलाओं और बच्चो को कपडे दिए ताकि उनकी ईद खुशनुमा हो सके. अब इनके पास इतना राशन और संसाधन हो गए है कि 2 महीने इनको पेटभर खाना मिल सके. इनमे ज्यादातर परिवार भीख मांगकर गुजारा करते थे ,मगरइंशाल्लाह अब इसकी जरुरत नही पड़ेगी. जल्दी ही इन्हें रोजगार पर खड़ा किया जायेगा. अब इनकी ईद खुशनुमा हो रही है.

अब उदास चेहरों पर मुस्कुराहट है और वे सभी लोग मुबारकबाद के सच्चे हक़दार है जिन्होंने चंदा सिंडिकेट को जोरदार जवाब देते हुए जकात को सही लोगो तक पहुंचाया ,यही सच्चा इस्लाम है ,जिंदाबाद है ऐसे लोग. सलाम आपको, अगर कोई आपको यह कहे की अब लोगो में इंसानियत नही बची तो उसे यह कहानी सुनाना.

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