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अब यूपी के मुजफ्फरनगर में गौकशी के नाम पर मुस्लिमों पर अत्याचार, भैंस को भी नहीं बख्सा पुलिस ने

अब यूपी के मुजफ्फरनगर में गौकशी के नाम पर मुस्लिमों पर अत्याचार, भैंस को भी नहीं बख्सा पुलिस ने
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पुलिस ने भैंस को रायफल की बटों से पीट-पीट कर मार डाला
मुज्जफरनगर जिले के शेरपुर गाँव में कई दिनों से कर्फ्यू जैसे हालात बने हुए हैं। पुलिस द्वारा लोगों पर दबिश बनाये जाने से इलाके में डर का माहौल है। गाँव वालों का आरोप है कि पुलिस अज्ञात रिपोर्ट नाम पर पुलिस किसी को भी उठा ले रही है, तो वहीं घरों में बंधे मवेशियों को पुलिस रायफलों की बटों से पीटकर उनपर भी अपना गुस्सा उतार रही है।

दरअसल बीते दिनों पुलिस को मुजफ्फरनगर के शेरपुर गांव में गोकशी की सूचना मिली थी। लेकिन उन्हें यहाँ ऐसा कुछ नहीं मिला। जिसके बाद पुलिस ने घरों में जा -जाकर चूल्हे पर पक रही सब्जी को जांचना शुरू कर दिया था। तब पुलिस और गाँव वालों के बीच टकराव हुआ और गाँव वालों ने पुलिस की बाइकों को आग लगा दी और उनपर पत्थरबाजी की। तब पुलिस ने भी उनपर छर्रे चलाए थे, जिससे करीब एक दर्जन ग्रामीण घायल हुए थे।
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पुलिसिया गोलीबारी में आंख खो चुके 24 वर्षीय फरमान की बहन अंजुम ने बताया कि 2 जून को कांधला से वह साइकिल से मजदूरी करके आ रहा था कि पुलिस द्वारा की जा रही गोली बारी में उसकी आंख में गोली के छर्रे लग गए। बावजूद इसके पुलिस उसे अस्पताल नहीं ले गई। पुलिस वाले उसे जबरदस्ती उठा के लेकर चले गए और थाने में उसकी पिटाई भी की। गोली लगने के बाद आंख निकल आई थी। रात में तीन बजे उसे पुलिस ने छोड़ा जिसके बाद घर वाले उसे पहले मुजफ्फर नगर ले गए लेकिन वहां इलाज नहीं हो पाने के कारण उसे मेरठ ले जाया गया। लेकिन वहां से भी जब डाॅक्टरों ने जवाब दे दिया तब उसे दिल्ली ले गए। उसकी पूरी आंख खराब हो गई है। छर्रा भी नहीं निकला डाक्टरों ने कहा है कि एक महीने बाद फिर आॅपरेशन से छर्रा निकाला जाएगा। अंजुम ने बताया कि परिवार में वही एक कमाने वाला था।

8 साल के असलम ने बताया कि वह दूसरे बच्चों के साथ खेल रहा था तभी उसकी बांह में गोली के छर्रे लग गए। लेकिन पुलिस ने उसका इलाज कराने के बजाए उसे थाने ले जाकर बुरी तरह पीटा और उसके सामने इस्लाम धर्म को गाली देते हुए कहा कि अब तुम लोगों को सूअर के मांस से अफ्तार करवाया जाएगा। वहीं 15 वर्षीय शाहरुख ने अपनी बांह पर लगे छर्रों के निशान दिखाते हुए बताया कि उसे भी छर्रे लगने के बावजूद पुलिस ने कोई इलाज नहीं करवाया और थाने में पीटा भी। असलम और शाहरुख ने बताया कि पुलिस ने उनको चेतावनी दी कि कोई भी पूछे तो मत बताना कि गोली के छर्रे लगे हैं, यही कहना कि खेलने में चोट लग गई है। वहीं 15 वर्षीय अकरम ने अपनी गरदन में लगे छर्रे के निशान दिखाते हुए भी पुलिसिया जुल्म की दास्तान बताई। Displaying IMG-20170607-WA0055.jpg

गांव के अंतिम छोर पर ईदगाह के पीछे कामिल की मां अनवरी मिलीं। उन्होंने बताया कि 2 जून को पुलिस एकाएक उनके घर में घुस गई। अफ्तार का वक्त था। जो कुछ सब्जी बनी थी उसको वो कहने लगे कि गाय का मांस बनाए हो और चूल्हा तोड़ दिया। कामिल की पत्नी रिजवाना ने बताया कि पुलिस ने घर के अंदर जो बक्सा रखा था उसे भी पुलिस ने यह कह कर खुलवा दिया कि इसमें गाय का मांस छुपा कर रखा है। जब मैैंने विरोध किया तो पुलिस ने मेरा कपड़ा फाड़ दिया और मुझे धक्का दे कर गिरा दिया। इसके बाद बक्सा खोलकर बेटी की शादी के लिए जो गहने बनाए थे उसको जबरन लेकर चले गए। रिजवाना ने बताया कि पुलिस के डर से उन्होंने अपनी बच्चियों को रिश्तेदारी में भेज दिया। उन्होंने जांच दल को बताया कि अनिल और बाल किशुन ने ही सबसे ज्यादा तोड़-फोड़ और लूट की। पुलिस ने यूनुस के बेटों के घरो पर भी छापे मारी की और ठीक इसी तरह चूल्हा और घर में तोड़ फोड़ की। उनके घर की रिजवाना और नौशाबा ने पूरे हालात बताए।

इस्तखार के 75 वर्षीय बीमार पिता याकूब को भी पुलिस ने मारा-पीटा। इस्तखार की पत्नी आरिफा ने बताया कि उन्होंने जो अफ्तार के लिए बनाया था उसको पुलिस ने कहा कि ये गाय का मांस है। पुलिस ने गाय के मांस के नाम पर घर की तलाशी ली। इस्तखार ने बताया कि घर में 36 हजार रुपए रखे थे पुलिस निकालकर लेकर चली गई। यहां भी उनके घरों में कांस्टेबल अनिल और बालकिशुन घुसे थे।
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इस संबन्ध में गांव की प्रधान अफसरी बेगम के पति राव मुहम्मद हाशिम से मुलाकात की। उन्होंने बताया कि मकानों की तलशी के नाम पर औरतों को बेइज्जत किया गया। रात के खाने के लिए बने कढ़ी के पकौड़ी को फोड़वाकर चेक करवाया गया कि गौ मांस तो नहीं है। इसके बाद हमने सीओ साहब को फोन किया उन्होंने कहा कि वे थोड़ी देर में आएंगे। उसके बाद गाड़ी से पुलिस आई हमने सोचा कि सीओ साहब हैं पर जैसे ही गाड़ी रुकी पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया। राव मुहम्मद हाशिम ने अपने शरीर पर लगे जख्मों के निशान दिखाते हुए बताया कि इसके बाद पुलिस गांव वालों पर लाठी चार्ज व गोली चलाने लगी।
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2 जून को शाम साढ़े पांच-छह बजे के बीच की यह घटना है। चौकी इंन्चार्ज विनोद कुमार के साथ अनिल कुमार, अतुल, योगेश और बिना वर्दी में बाल कृष्ण आए थे। पुलिस गांव के पांच लड़कों को भी उठाकर ले गई। जिसमें अबरार, फरमान, सरफराज, शाहरुख व एक अन्य शामिल थे। जिसमें पुलिस ने अबरार और सरफराज का चलान करके जेल भेज दिया और बाकी 3 को छोड़ दिया। राव मुहम्मद हाशिम ने बताया कि 27 मई को भी मुर्गा काटने के नाम पर हुए विवाद में उनकी सीओ और एसपी से वार्ता हुई थी।

इस मामले में पुलिस ने 20 नामजद और 230 के खिलाफ अज्ञात में रिपोर्ट दर्ज की थी। अब बीते दस दिन से पुलिस लगातार गांव में दबिशें डाल रही है और जो भी गांव में मिल रहा है, उसी को उठा रही है। ऐसे में गांव में दहशत का माहौल है। इंसानों के साथ पुलिस बेजुबान जानवरों पर भी कहर बरपा रही है।

जब पुलिस के गुस्से का शिकार ग्राम प्रधान की भैंस भी हो गई, पुलिस गांव के प्रधानपति हाशिम ठाकुर की बैठक पर दबिश देने पहुंची तो वहां एक भैंस बंधी हुई थी। भैंस ने एक पुलिसवाले को हलकी सी टक्कर मार दी। इतनी सी बात पर गुस्साए पुलिसवाले ने भैंस के सिर पर रायफल की बट दे मारी। जिससे उस भैंस ने दम तोड़ दिया। ग्राम प्रधानपति के बेटे आरिफ ने बताया कि पुलिस ने बैठक में बंधे पशुओं को बुरी तरह पीटा है, जिससे उनकी भैंस ने दम तोड़ दिया। इस मामले में अब तक कई लोग जेल भी भेजे जा चुके है।
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