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कवि डॉ डी एम् मिश्रा
रात से भोर तक अनवरत चला मुशायरा
आल इंडिया मुशायरा कवि सम्मेलन बनकेपुर में अन्जुमन - तामीरे अदब के बैनर तले सम्पन्न हुआ. यह आल इन्डिया मुशायरा व कवि सम्मेलन मॆं मरहूम शायर रिज़वान सईद की याद में बनकेपुर में जनाब अज़ीम खान के संयोजन व बसपा के वरिष्ठि नेता जनाब मो अतहर खाँ की मेहमाने खुसुसी में सम्पन्न हुआ. जिसमें जानकारी मिली है कि वरिष्ठ कवि व गजलकार डॉ डी एम मिश्र ने कई गजलें सुनाकर समा बॉध दिया और श्रोताओं को वाहवाह करने पर मजबूर किया. उन्होाने मरहूम शायर रिज़वान सईद को अकीदत पेश करते हुए पहले यह दोहा पढा '' नेकी की पॅूजी लिए आगे कर ईमान / जिंदा हैं जो आज भी वो शायर रिजवान'' मशहूर शायर अनवर जलालपुरी के संचालन में डी एम मिश्र ने पहले हिन्दू'-मुस्लिम एकता पर यह गजल पढी –
1
किसी क़ि़ताब में जन्नत का पता देखा है
किसी इन्सान की सूरत में खुदा देखा है।
इसी से सब उसे परवरदिगार कहते हैं
हर मुसीबत में उसे साथ खड़ा देखा है।
लोग हिन्दू को,मुसलमान को अलग करते
घर तो दोनों का मगर मैंने सटा देखा है ।
2
जिनके जज़्बे में जान होती है
हौसलों में उड़ान होती है।
जो ज़माने के काम आती है
शख़्सियत वो महान होती है।
सबको क़़ु़दरत ने बोलियाँ दी हैं
आदमी के ज़़ुबान होती है।
ये परिन्दे भी जाग जाते हैं
भोर की जब अज़ान होती है।
3
नम मिट्टी पत्थर हो जाये ऐसा कभी न हो
मेरा गाँव, शहर हो जाये ऐसा कभी न हो।
हर इंसान में थोड़ी बहुत तो कमियाँ होती है
वो बिल्कुल ईश्वर हो जाये ऐसा कभी न हो।
बेटा, बाप से आगे हो तो अच्छा लगता है
बाप के वो ऊपर हो जाये ऐसा कभी न हो।
मेरे घर की छत नीची हो मुझे गवारा है
नीचा मेरा सर हो जाये ऐसा कभी न हो।
खेत मेरा परती रह जाये कोई बात नहीं
खेत मेरा बंजर हो जाये ऐसा कभी न हो।
गाँव में जब तक सरपत है बेघर नहीं है कोई
सरपत सँगमरमर हो जाये ऐसा कभी न हो।
4 बनावट की हँसी अधरों पे ज़्यादा कब ठहरती है
छुपाओ लाख सच्चाई निगाहों से झलकती है।
कभी जब हँस के लूटा था तो बिल्कुल बेख़बर था मैं
मगर वो मुस्कराता भी है तो अब आग लगती है।
बहुत अच्छा हुआ जो सब्ज़बाग़ों से मै बच आया
ग़नीमत है मेरे छप्पर पे लौकी अब भी फलती है।
मेरे घर से कभी मेहमाँ मेरा भूखा नहीं जाता
मेरे घर में ग़रीबी रहके मुझ पे नाज़ करती है।
कवि डॉ डी एम मिश्र के अतिरिक्त कई और दूर –दराज से आये कवियों –शायरों ने भोर तक हजारों श्रोताओं को अपने गीतों, गजलों, शेरों और दोहो से रात भर गुदगुदाया. मुशायरा सुबह 5 बजे तक चलता रहा. जिसमें कोलकाता से आये मशहूर शायर जनाब हबीब हाशमी, इरशाद आरजू, मो अली तारिक, जयपुर से वनज कुमार वनज, लखनऊ से डॉ सुरेश, एटा से अज्म शाकरी, तरन्नुम कानपुरी,सज्जाद झंझट रूडकी,शरफ नानपारवी, रूखसार बलरामपुरी, जमुना प्रसाद उपाध्याय फैजाबाद,व सुलतानपुर से मशहूर जाहिल सुलतानपुरी, हबीब अजमली,अतीक बेतुका,अलिफ सीन कादरी, अजमत सुलतानपुरी ने भी रचनाऍ पढी.
शिव कुमार मिश्र
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