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गंगा-यमुना को जीवित का दर्जा नहीं, SC ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई रोक
Special Coverage News
7 July 2017 9:29 AM GMT
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गंगा और यमुना जीवित प्राणी के दायरे में नहीं आएंगे। आज सुप्रीम कोर्ट ने इन दोनों नदियों को न्यायिक व्यक्ति का दर्जा देने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है।
नई दिल्ली: गंगा और यमुना जीवित प्राणी के दायरे में नहीं आएंगे। आज सुप्रीम कोर्ट ने इन दोनों नदियों को न्यायिक व्यक्ति का दर्जा देने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। इस मामले में उत्तराखंड सरकार ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
बता दे कि इसी साल 20 मार्च को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने इन दोनों नदियों को सजीव मानव का दर्जा दिया था, और उत्तराखंड सरकार को इन नदियों के हितों की रक्षा करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में उत्तराखंड सरकार ने पूछा था कि क्या अगर इन नदियों में आई बाढ़ के दौरान किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो क्या प्रभावित व्यक्ति मुआवजे के लिए राज्य के मुख्य सचिव के खिलाफ मुकदमा कर सकते हैं, इसके अलावा याचिका में पूछा गया था कि क्या राज्य सरकार ऐसे आर्थिक नुकसान को उठाने के लिए उत्तरदायी होगी।
सरकार ने कहा है कि नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले से कई बड़े संवैधानिक सवाल खड़े हो गए हैं। गंगा और यमुना सिर्फ उत्तराखंड में नहीं बल्कि कई राज्यों में बहती हैं। ऐसे में दूसरे राज्यों में इन नदियों की जिम्मेदारी उत्तराखंड को नहीं दी जा सकती। कई राज्यों में बहने वाली नदियों को लेकर कदम उठाना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है।
वही हाईकोर्ट ने नदियों की ओर से नमामी गंगे के डायरेक्टर, उत्तराखंड के चीफ सेक्रेट्री और राज्य के एडवोकेट जनरल को कानूनी संरक्षक घोषित किया है। इस पर राज्य सरकार ने दलील दी कि क्या दूसरे राज्यों में कोई भी दुरुपयोग होने पर उत्तराखंड का चीफ सेक्रेट्री किसी अन्य राज्य या केंद्र सरकार को आदेश जारी कर सकता है?
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