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राष्ट्रीय
CID ने कहा कि अमित शाह ने केतन पारिख से 2.5 करोड़ घूस ली, जांच नहीं हो पाई
शिव कुमार मिश्र
14 Oct 2017 5:25 AM GMT
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जय शाह की शानदार तरक्क़ी को लेकर उठे विवादों के बीच पिता और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के कारनामों के तमाम क़िस्से दोबारा सोशल मीडिया में छाने लगे हैं। ख़ासतौर से केतन पारिख़ वाला मामला फिर से बीच बहस है। आरोप था कि बैंक के निदेशक अमित शाह ने केतन पारिख से ढाई करोड़ रुपये घूस ली थी जिसके बाद माधवपुरा बैंक ने हज़ार करोड़ की ठगी का मुकदमा वापस ले लिया था। गुजरात की सीआईडी ने 2005 में राज्य सरकार को रिपोर्ट देते हुए सीबीआई जाँच की सिफ़ारिश की थी, लेकिन नरेंद्र मोदी की सरकार ने रिपोर्ट देने वाले अधिकारी का ही तबादला कर दिया था। इस सिलसिले में नीचे मुकेश असीम की टिप्पणी पढ़िए और उसके नीचे है हिंदू की वह रिपोर्ट जिसे 2010 के बाद 2016 में अपडेट किया गया है।
केतन पारीख, अमित शाह और माधवपुरा बैंक
पता नहीं कितने लोगों को 2001 के 'बिग बुल' केतन पारीख का नाम याद है। शेयर बाज़ार के उसके हर्षद मेहता से कहीं बड़े फ्रॉड का एक हिस्सा था अहमदाबाद के माधवपुरा बैंक के साथ 1030 करोड़ रु की ठगी, जिससे ये बैंक ही बंद हो गया, इसके कितने ही जमाकर्ताओं का पैसा डूबा| इस बड़े सहकारी बैंक में पैसा रखने वाले 75 छोटे सहकारी बैंक भी डूब गए और इनके ग्राहकों का भी पैसा डूबा। बैंक ने मुक़दमा किया, पारीख गिरफ्तार हुआ और सुप्रीम कोर्ट से इस बात पर जमानत मिली कि 3 साल में 380 करोड़ रु बैंक को लौटाए। पर 3 साल होने से पहले ही बैंक ने बिना पैसा वसूल हुए मुक़दमा वापस ले लिया इसलिए जमानत रद्द होकर दोबारा जेल नहीं जाना पड़ा।
हंसमुखलाल शाह नाम के एक ग्राहक ने शिकायत की कि बैंक के निदेशक अमित शाह ने ढाई करोड़ रु रिश्वत लेकर मुक़दमा वापस लिया। जाँच के बाद गुजरात CID ने 1 अगस्त 2005 को राज्य सरकार को रिपोर्ट दी कि अक्टूबर 2004 के पहले सप्ताह में अमित शाह और बैंक को ठगने वाले केतन पारीख की मुलाकात गिरीश दानी नामक दलाल ने कराई, अमित शाह ने रिश्वत ली और मामला वापस ले लिया, बैंक डूब गया| सीआईडी ने सीबीआई से जाँच कराने की सिफारिश की।
पर ये अमित शाह और कोई नहीं गुजरात के मुख्यमंत्री मोदी के खास वाले अमित शाह ही थे| इसलिए जाँच भी क्यों होती।
और केतन पारीख का वकील कौन था? अरुण जेटली| सारे मुकदमों में कुछ महीने की सजा तो हुई थी पर उसे जेल नहीं जाना पड़ा, जमानत मिलती रही।
अमित शाह अभी भी कई सहकारी बैंकों में निदेशक हैं। नोटबंदी के दौरान इनमें बड़े पैमाने पर पैसा जमा होने की खबर भी आई थी। 5 दिन तक रिजर्व बैंक ने छूट देकर रखी, उसके बाद सहकारी बैंकों को पुराने नोट लेने पर रोक लगा दी।
वैसे ख़बर यही है कि अमित शाह पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं! कई लोगों का तो यह भी 'तर्क' है कि अमित शाह के भ्रष्टाचार की बात अडानी/अम्बानी के भ्रष्टाचार की बात को छिपाने के लिए उठाई जा रही है।
साभार मिडिया विजिल
शिव कुमार मिश्र
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