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आखिरकार कांग्रेस ने भाजपा के दुर्ग में भाजपा को बुरी तरह हरा कर पंजाब में किसी चुनाव में जीतने की भाजपा की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। हो सकता है कि भाजपा को शायद ही पंजाब में एक लंबी अवधि तक किसी जीत का स्वाद चखने को मिले।
पंजाब विधानसभा चुनाव में जीतकर सरकार बनाने केे बाद कांग्रेस के हौसले वैसे तो बुलंद थे लेकिन इस उपचुनाव में जिस प्रकार कांग्रेस ने भाजपा को उसकी परंपरागत सीट पर बुरी तरह मात दी है उससे कई धारणाओं पर विराम लगा है और कई धारणाएं पक्की हुई हैं। एक धारणा तो यह रद्द हो गई कि विपक्षहीन भारत का भाजपा का सपना कभी पूरा नहीं हो पाएगा। दूसरी धारणा भी धुंधली हो गई कि मोदी देश के अगली बार प्रधानमंत्री भी बन पाएंगे।
इसके अलावा यह धारणा मजबूत हुई है कि कांग्रेस वेंटीलेटर पर नहीं है और वह कभी भी अपने पूरी ताकत के साथ वापसी कर सकती है। एक धारणा यह भी मजबूत हुई कि देश में बिना सांप्रदायिक आधार पर जीत पाई जा सकती है। गुरुदास पुर लोकसभा क्षेत्र सदा से भाजपा के कब्जें में रहा है और फिल्म अदाकार विनोद खन्ना इस सीट पर चुनाव जीतते रहे हैं और उनके निधन से ही यह सीट खाली हुई थी जिस पर उपचुनाव कराए गए। इस चुनाव परिणाम के साथ ही एक चुनाव परिणाम केरल से भी मिला है जो एक विधानसभा चुनाव वेंगारा में हुए उपचुनाव में मुस्लिम लीग की जीत हुई है और यह सीट पहले भी मुस्लिम लीग की थी। लेकिन यहां भी पिछले दिनों जिस प्रकार से भाजपा ने एड़ी चोटी का जोर लगाकर प्रचार किया था तथा अमितशाह और अन्य सीनियर नेताओं ने केरल पर अच्छी तरह प्रचार किया था लेकिन भाजपा को वहां भी सिर्फ 5400 वोट पर संतोष करना पड़ा तथा जमानत भी जब्त हो गई। इसके साथ ही एक चुनाव परिणाम इलाहबाद विश्वविद्यालय से मिला है वहां भाजपा की छात्र इकाई एबीवीपी बुरी तरह हार गई और समाजवादी छात्र सभा ने जीत का परचम लहराया।
इन सभी चुनाव परिणामों से यह बात सामने आ गई कि केंद्र में प्रचंड बहुमत पाने वाली भारतीय जनता पार्टी का लोगों से भूत उतरना शुरू हो गया है। नोटबंदी और जीएसटी से जिस प्रकार देश की अर्थव्यवस्था को धरातल में पहुंचाने का काम सरकार ने किया ऐसे ही अब जनता शायद भाजपा को धरातल में ले जाने के लिए कमर कस चुकी है। सांप्रदायिक कार्ड भी शायद अब भाजपा के काम नहीं आएगा। जिस प्रकार मोदी सरकार को ढाई लोगों की सरकार बताया जा रहा है उससे यही लग रहा है कि आने वाला वक्त भाजपा के लिए और अधिक बुरा होने वाला है।
ऐसी परिस्थितियों में भाजपा को आने वाले दिनों में हिमाचल और गुजरात में विधानसभा चुनाव का सामना करना पड़ेगा जिनकी चुनावी तारीखों को ऐलान हो चुका है और गुजरात में होने वाला है, ये परिणाम बहुत चिंताजनक हो सकते हैं। भाजपा नेतृत्व को यह सोचना चाहिए कि इतने दिनों में इतनी बुरा हाल आखिर क्यों हो रहा है। शायर इसका जवाब अभी भाजपा के पास भी नहीं होगा। इन चुनाव परिणामों ने शायद कांग्रेस को बहुत खुशी प्रदान की होगी और आगे की लड़ाई लडऩे में बहुत हौसला दिया होगा। देखना यह है कि कांग्रेस इन परिणामों को अपने रुख में कैसे मोड़ पाते हैं।