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नई दिल्ली : अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी और कांग्रेस से इतर तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिशों को नैशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी ने तगड़ा झटका दिया है। एनसीपी के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने कहा है कि तीसरा मोर्चा 'व्यवहारिक' नहीं है, इसलिए यह क्रियान्वित नहीं हो पाएगा। पवार का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस नेता एचडी देवगौड़ा ने जल्द से जल्द तीसरे मोर्चे के गठन की मांग की है।
हमारे सहयोगी चैनल टाइम्स नाउ के साथ खास बातचीत में शरद पवार ने कहा कि तीसरा मोर्चे के रूप में विभिन्न दलों का महागठबंधन अव्यवहारिक है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उनके कई साथी चाहते हैं कि महागठबंधन बनाया जाए। साक्षात्कार के दौरान शरद पवार ने प्रधानमंत्री पद के लिए किसी नाम के ऐलान से परहेज किया लेकिन संकेत दिया कि वर्ष 1977 में जैसे मोरार जी देसाई विजयी दलों का चेहरा बने थे, उसी तरह से इस बार भी ऐसा हो सकता है।
उन्होंने कहा, 'सबसे पहले मुझे खुद भी महागठबंधन या विकल्प के लिए बहुत भरोसा नहीं है। मैं निजी तौर पर महसूस करता हूं कि स्थिति वर्ष 1977 के जैसी है। आप देखिए इंदिरा गांधी एक मजबूत इरादों वाली महिला थीं। आपातकाल के बाद वह प्रधानमंत्री थीं। उस समय कोई राजनीतिक दल नहीं था लेकिन कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक जनता ने उनके खिलाफ वोट किया और कांग्रेस की हार हुई।'
पवार ने कहा, 'जनता ने इंदिरा को भी हरा दिया। चुनाव के बाद जिन लोगों ने इंदिरा गांधी को हराया था, वे साथ आ गए और जनता पार्टी का गठन किया। इसके बाद उन्होंने एक नेता के रूप में मोरार जी देसाई का चुनाव किया। लेकिन चुनाव के दौरान मोरार जी देसाई को चुनाव के दौरान विकल्प के तौर पेश नहीं किया गया था। इसलिए शरद पवार या कोई और आज की डेट में किसी को पीएम पद के चेहरे के रूप में पेश करने का कोई सवाल नहीं है।'
तीसरे मोर्चे को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में शरद पवार ने कहा, 'ईमानदारी से कहूं तो मैं महसूस करता हूं कि कोई महागठबंधन या तीसरा मोर्चा संभव नहीं है। मेरा अपना आंकलन है कि यह व्यवहारिक नहीं है। इसी वजह से यह बन नहीं पाएगा। मेरे कई साथी चाहते हैं कि महागठबंधन बनाया जाए लेकिन मैं यह महसूस करता हूं कि यह क्रियान्वित नहीं हो पाएगा।'
बता दें कि देवगौड़ा ने गुरुवार को कहा था कि जल्द तीसरे मोर्चे का गठन होना चाहिए क्योंकि पीएम मोदी और अमित शाह ने अप्रैल की बजाय मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव के साथ दिसंबर में लोकसभा चुनाव कराने के संकेत दिए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी क्षेत्रीय दलों को हल्के में न ले। यह जरूरी नहीं है कि क्षेत्रीय दल हर जगह कांग्रेस के साथ आगामी लोकसभा चुनाव लड़ें।