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राम जी क्या कर दोगे मांफ? अब तो गाली देने वाला भी हमने ले लिया साथ!
अब राजनीत का बिगड़ता हुआ स्वरुप सामने आने लगा है. हालांकि आया तो कई बार है लेकिन जब जब आया एक जलजला आया है. इस बार भारतीय जनता पार्टी ने सरेआम सदन में बैठकर भगवान श्री राम को गाली देने वाले नरेश अग्रवाल को अपनी सदस्यता दे दी है. असल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के चाणक्य अध्यक्ष अमित शाह एक बात जनते है ये जनता बड़ी भोली है इसे कुछ भी कह दो कुछ भी कर दो कुछ नहीं कहती है. अगर चुप रहो तो बात धीरे धीरे भूल जाती है. और इमोशनल अत्याचार करने के बाद आपका साथ देती है.
सोमवार को राज्यसभा चुनाव में मची अफरा तफरी के दौरान भारतीय जनता पार्टी में समाजवादी पार्टी के सांसद नरेश अग्रवाल को शामिल कर लिया गया. शायद पार्टी इसे बड़ी जीत मानकर चल रही है. हालांकि नरेश अग्रवाल का स्वरुप नया नहीं है. उन्हें सत्ता के बिना चैन नहीं आता है जिस तरह से जल बिन मछली को चैन नहीं आता है. लेकिन भाजपाई नेता एक बात जरुर समझ लें कि जिस जिस जगह इन्होंने प्रवेश किया है वहां के हालात कभी ठीक नहीं रहे है.
इन्होने कांग्रेस से राजनीत शुरू की थी. नरेश अग्रवाल का पूरा नाम नरेश चंद्र अग्रवाल है ओर उनका जन्म 1 अक्टूबर 1951 उत्तर प्रदेश के हरदोई में हुआ था. नरेश अग्रवाल उत्तर प्रदेश के वैश्य परिवार से आते है। नरेश अग्रवाल ने लखनऊ विश्वविद्दालय से कानून व विज्ञान विषय में डिग्री हासिल की हुई है. नरेश अग्रवाल ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत एक निर्दलीय के तौर पर की थी, लेकिन बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे। नरेश अग्रवाल साल 1980 में निर्दलीय विधायक बने थे.
फिर साल 1991 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीते। इसके बाद 1993 और साल 1996 में भी वह कांग्रेस की ओर से विधायक बने. साल 2002 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक बने, आपको बता दें कि नरेश अग्रवाल अब तक सात बार विधायक रहे चुके है.
1997 में नरेश अग्रवाल अखिल भारतीय लोकतांत्रिक पार्टी के सदस्य जगदंबिका पाल, राजीव शुक्ला और श्याम सुंदर शर्मा के साथ कल्याण सिंह, राम प्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह की सरकार में पावर मिनिस्टर बने थे.इसके एलावा नरेश अग्रवाल 2003 से 2004 के बीच मुलायम सिंह सरकार में पर्यटन मंत्री भी रहे. 2009 का लोकसभा चुनाव फर्रुखाबाद लोकसभा से बहुजन समाज पार्टी से लड़ा जहाँ ये बुरी तरह पराजित हुए. मार्च 2010 में बहुजन समाज पार्टी से राज्य सभा के सदस्य बने, लेकिन 2012 में उन्होंन राज्य सभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. ओर 2012 में एक बार फिर समाजवादी पार्टी के कोटे से राज्य सभा के सदस्य बने.
समाजवादी पार्टी में आने से पहले नरेश अग्रवाल बीएसपी कोटे से राज्यसभा के सदस्य थे. लेकिन 2012 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अग्रवाल ने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था. नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल भी समाजवादी पार्टी में शामिल हुए थे. अब चूँकि सपा सत्ता में नहीं रही तो नरेश के बैचैनी बढ़ी और अब उन्होंने पुत्र समेत बीजेपी का दामन थाम लिया.
नरेश का पार्टी बदलना कोई बहुत बड़ा कदम नहीं है उनके लिए तो ये बदलाब ठीक उस तरह से जैसे एक आदमी नहा धोकर वस्त्र बदलता है. लेकिन जिस पार्टी में गये उसका समय जरुर खराब हुआ है. चाहे कांग्रेस , बसपा या सपा हो. लेकिन सत्ता के मद में चूर भाजपा रामलला को गाली देने के बाद क्या चैन महसुस कर रही होगी. या प्रभु श्री राम खुश हुए होंगे.