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नवजोत सिंह सिद्धू बने रहेंगे मंत्री या जाएंगे जेल,सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

Alok Mishra
18 April 2018 11:21 AM GMT
नवजोत सिंह सिद्धू बने रहेंगे मंत्री या जाएंगे जेल,सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
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सर्वोच्च न्यायालय यह तय करेगा कि सिद्धू की सजा बरकरार रहेगी या नहीं। इस मामले में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने पूर्व क्रिकेटर को तीन साल की सजा सुनाई थी।
चंडीगढ़: तीस साल पुराने रोड रेज के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया है। पूर्व क्रिकेटर और पंजाब सरकार के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ गैर इरादतन हत्या के मामले में सिद्धू की अपील पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को पूरी सुनवाई हुई। सिद्धू ने हाईकोर्ट के तीन साल की कैद और जुर्माने की सजा के आदेश को खारिज करने की मांग की है।
सिद्धू की ओर से उनके वकील आरएस चीमा ने पक्ष रखा। वह कल बहस पूरी नहीं कर सके थे, लेकिन आज उन्होंने अपना पूरा पक्ष रखा। इसके बाद शीर्ष अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया। चीमा ने पंजाब सरकार के वकील द्वारा सिद्धू को हत्‍या का दोषी बताये जाने का विरोध किया।
सर्वोच्च न्यायालय यह तय करेगा कि सिद्धू की सजा बरकरार रहेगी या नहीं। इस मामले में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने पूर्व क्रिकेटर को तीन साल की सजा सुनाई थी।


इस मामले में बीते 12 अप्रैल को पंजाब सरकार का पक्ष रख रहे वकील संग्राम सिंह सरोन ने कोर्ट के सामने कहा था कि,'इस मामले में सिद्धू के द्वारा खुद को बेकसूर बताने वाला बयान पूरी तरह से गलत है।' पंजाब सरकार द्वारा अपना पक्ष रखने के बाद सिद्धू ने कहा था कि,' गुरनाम सिंह की मौत दिल की बीमारी से हुई थी। उन पर लगे आरोप मेडिकल रिपोर्ट पर आधारित नहीं हैं। न्यायालय के हर फैसले के लिए पूरी तैयार से तैयार हैं।'
बता दें कि रोडरेज का यह मामला बीते 27 दिसंबर, 1988 का है। सिद्धू पर आरोप है कि उन्होंने पंजाब के पटियाला में 65 वर्षीय गुरनाम सिंह से सड़क पर मारपीट की थी। इसके बाद गुरनाम सिंह की मौत हो गई थी। इस मामले की सुनवाई करते हुए पटियाला के सेशन्स कोर्ट ने 22 सितंबर, 1999 को सिद्धू और उनके सहयोगी रूपिन्दर सिंह संधू को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था।
लेकिन पीड़ित परिजनों ने इस फैसले के खिलाफ पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में अपील की थी। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए सिद्धू को आईपीसी की धारा 304 के तहत दोषी मानते हुए तीन साल की सजा सुनाई थी। लेकिन पीड़ित पक्ष ने इस मामले में सजा बढ़वाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। बड़ी बात यह है कि जिस पंजाब सरकार में​ सिद्धू मंत्री हैं वह खुद उनके खिलाफ कोर्ट में पैरवी कर रही है। सिद्धू ने कहा था कि,'उनकी पीठ में छूरा घोंपा गया है।'
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