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कर्नाटक चुनाव में शाही खजाने में से शाही उपहार देने की नेताओं की घोषणाओं पर सुप्रीमकोर्ट, चुनाव आयोग संज्ञान लेंगे?

कर्नाटक चुनाव में शाही खजाने में से शाही उपहार देने की नेताओं की घोषणाओं पर सुप्रीमकोर्ट, चुनाव आयोग संज्ञान लेंगे?
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एक तरफ देश आर्थिक बदहाली व कमर तोड़ महंगाई के दौर में से गुजर रहा है तो दूसरी तरफ देश के शाही नेता कर्नाटक चुनाव जीतने की खातिर देश के शाही खजाने पर नजरे गड़ाए बैठे हैं व उसी खजाने में से जनता को मुफ्त उपहार देने के राग अलाप रहें है .
एच एम त्रिखा ब्यूरो चीफ पंजाब
एक तरफ देश आर्थिक बदहाली व कमर तोड़ महंगाई के दौर में से गुजर रहा है तो दूसरी तरफ देश के शाही नेता कर्नाटक चुनाव जीतने की खातिर देश के शाही खजाने पर नजरे गड़ाए बैठे हैं व उसी खजाने में से जनता को मुफ्त उपहार देने के राग अलाप रहें है .
देश के राज्यों में अब चुनावी जंग जीतने के लिए सरकारी खजाने को ही शरेआम चूना लगा कर एक विशेष वर्ग , जाति की वोटें बटोरने के लिए राजनीतिक पार्टियां सरकारी खजाने में से खजाना निकाल तमाम ऐसे लोगो को मुफ्त में उपहार बांटने पर उत्तर आई हैं जिससे उन्हें चुनावों में उन विशेष वर्ग के लोगो की वोटों का हर हाल में भारी भरकम लाभ मिल सके यां यूँ कहें तो उपहारों के प्रलोभन देकर वो किसी भी कीमत पर सत्ता हथिया सकें.

जबकि हमारा संविधान व कानून खुद ही इस तरह के चलन को प्रतिबंधित करता है जिसमें साफ़ साफ़ लिखा है की इस तरीके के लोभ प्रलोभन व उपहार देकर मतदाताओं को बरगलाया नहीं जाएगा लेकिन जिस तरीके से राजनीतिक पार्टिया चुनावों से पहले इस तरह के मुफ्त उपहार मतदाताओं को देने की घोषणाएं कर रही हैं इससे लोकतान्त्रिक प्रणाली की कार्यशैली खुद बा खुद सवालों के घेरे में आ खड़ी हुई है अब से कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट के चंद जजों ने तो ये कहा था की लोकतंत्र खतरे में है लेकिन बतौर जर्नलिस्ट में ये कहूगां की अगर लोकतान्त्रिक प्रणाली को इस तरीके चलाया गया तो वो दिन दूर नहीं जब लोकतंत्र ढह जाने के खतरे जल्द ही भारतीय जनता को दिखने लग जाए
कर्नाटक में होने जा रहे चुनाव में जिस तरीके से पार्टियों ने अपने अपने घोषणा पत्रों के जरिए मतदाताओं को रिझाने के लिए सरकारी खजाने में से उपहार देने के वायदे जनता से किये हैं. इससे देश का चुनाव आयोग भी सवालों के घेरे में आ खड़ा हुआ है क्यूंकि चुनाव पूर्व नेता एक आम नागरिक है फिर वो किस तरह से ये घोषणा कर सकता है की वो सरकारी खजाने में से लोगो को मुफ्त उपहार दे देगा ?
भाजपा ने चुनावी घोषणा करते हुए कहा की वो चुनाव जीती तो कर्नाटक की औरतों को मंगल सूत्र दिए जाएंगे वो भी मुफ्त वो भी सरकारी खजाने में से भाजपा ने घोषणा पत्र में गरीब लड़कियों की शादी में सोने का मंगल सूत्र जो की तीन ग्राम का होगा साथ ही 25 ,000 रूपये देश के शाही खजाने में से दे देने की घोषणा की है.
कांग्रेस ने गरीब लड़कियों को शादी में तीन ग्राम की सोने की थाली शाही खजाने में से देने की घोषणा की है. भाजपा बी पी एल परिवारों की महिलाओं को स्मार्ट फोन देने का प्रलोभन मतदान से पूर्व दे रही है. दूसरी तरफ कांग्रेस ने कालेज जाने वाली 18 से 23 साल की छात्राओं को मुफ्त मोबाईल फोन, लैपटॉप देने का लालच दिया है व कहा है की कालेजों एवं यूनिवर्सिटियों को इंटरनेट से जोड़ा जायेगा मुफ्त वाई फाई सुविधा दी जाएगी
महिलाओं द्वारा स्कूटी खरीदने पर 50 फीसदी सब्सिडी कांग्रेस देगी
देश की लोकतान्त्रिक व्यवस्था पर सबसे बड़ा सवाल जो खड़ा हो रहा है वो ये की चुनावों में मतदाताओं को रिझाने के लिए व उन्हें उपहारों से नवाजे जाने के लिए क्या देश के सरकारी खजाने शाही खजाने को निशाना बनाया जाएगा व शाही खजाने में देश के नेता बेखौफ हाथ डाल कर उसी धन से उपहार खरीद कर विशेष वर्ग के लोगो को बांटते रहेंगे
ये तमाम घोषणाएं सरकारी तंत्र व देश के सबसे बड़े चुनाव आयोग के बहरे अफसरों के सामने हो रही हैं
क्या देश की सुप्रीम कोर्ट इस तरह से मुफ्त में उपहार देने की घोषणा पर कोई संज्ञान लेगी ?
या देश का चुनाव आयोग नेताओं द्वारा मतदाताओं को मुफत में बांटी जा रही उपहारों वाली घोषणाओं पर चुपी साधे रहेगा ?




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