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क्या बलात्कर ओर नाबालिग से दुष्कर्म में धर्म देखा जाना चाहिए

क्या बलात्कर ओर नाबालिग से दुष्कर्म में धर्म देखा जाना चाहिए
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सांकेतिक तस्वीर
मुझे पिछले दिनों बहुत मन हुआ लिखने का कठुआ मामले पर ओर भी कई मामलों पर मगर मैं चुप रहा कारण कुछ व्यस्तता ओर कुछ जो चल रहा था उससे सहमत न होना. जिस तरह से दुष्कर्म पीड़ित का कभी नाम उजागर नही किया जाता उसके खिलाफ जाकर उसका नाम ही नही धर्म तक उजागर करना और फिर दुष्कर्मियो के धर्म को उजागर करना , मंदिर को बीच में लाना और फिर उसको लेकर इतना हो हल्ला मचाना ही साबित कर रहा था कि इसमें कोई बड़ी साजिश है जिसकी जांच अगर सी बी आई द्वारा हो तो शायद सच्चाई सामने आए.

में ये नही कह रहा की उस बच्ची के साथ गलत नही हुआ , बहुत गलत हुआ और किसी भी बच्ची या महिला के साथ इस तरह की हरकत हो तो उसके गुनाहगारो को बीच चैराहे पर फांसी देनी चाहिए में इस का पक्षधर हु ओर बहुत समय पहले ही मेने इस बारे में अपने विचार प्रकट किए भी थे , परंतु असली गुनाहगार सामने आने ही चाहिए और उनको सजा होनी ही चाहिए.

परंतु इन सब मे धर्म की राजनीति करने को में बिल्कुल गलत मानता हु , कांग्रेस जितना ज्यादा इस बात को फैलाएगी ये उस के लिए उतना ही विपरीत जाएगा अगर राहुल आशिमा के लिए कैंडल मार्च निकाल सकते है तो क्यों नही गीता के लिए भी वो ऐसा करते क्या गीता सिर्फ हिन्दू होने की वजह से अछूत हो गयी.

कांग्रेस जितना अपने आप को इस तरह से दिखाएगी उतना ही मोदीजी को फायदा होगा और इन सब से 2019 का चुनाव मोदीजी के लिए ओर भी आसान होगा.बांटने की राजनीति फिर दुष्कर्म की राजनीति , अगर राजनीति करनी ही है तो बहुत सारे मुद्दे है जिन पर मोदी सरकार को घेरा जा सकता है कई प्लेटफॉर्म है जहाँ मोदी सरकार पूरी तरह विफल है उन्हें जनता के बीच रखा जाना चाहिए , परंतु इन बच्चियो पर तो राजनीति मत करो , बच्ची भले ही हिन्दू की हो चाहे मुस्लिम की, बच्ची बच्ची ही होती है और उसके साथ दुष्कर्म करने वाले कि सजा भी एक ही होनी चाहिए इससे कोई फर्क नही पड़ता कि पीड़ित किस जाती धर्म का है ओर दुष्कर्मी किस जाति धर्म का , यदि इन पैमानों पर कार्यवाहियां होने लगी तो वो दिन दूर नही जब देश मे गृहयुद्ध की स्तिथि बन जाएगी और उस समय का मंजर बहुत ही भयावह होगा .

आसाराम प्रकरण से सबक लेकर अब किसी को भी बक्शा नही जाना चाहिए बिना जाती धर्म देखे सभी के साथ कानून सम्मत व्यवहार होना चाहिए.

विनीत जैन
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