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युनुस खान के क्षेत्र में लगे पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारों के कारण छूटे पहलु खान के हत्यारे!

Arun Mishra
27 Sep 2017 1:43 PM GMT
युनुस खान के क्षेत्र में लगे पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारों के कारण छूटे पहलु खान के हत्यारे!
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राजनीति में कोई किसी का सगा नही होता है और ना ही किसी की भी दोस्ती राजनीती में स्थाई होती है।
राजनीति में कोई किसी का सगा नही होता है और ना ही किसी की भी दोस्ती राजनीती में स्थाई होती है। राजनीती में सामान्यतया आमजन की आँखों से ओझल रहने वाली गतिविधियाँ नेताओ द्वारा चलाई जाती है। परदे के पीछे शह और मात के खेल खेले जाते हैं जो आम जन की समझ से परे होते है।
राजप्रसादो और राजमहलो में रहने वाले राजाओ द्वारा राज सिंघासन के लिए छल कपट के खेल खेले जाते रहे हैं। राजनीती के कुटिल षडयंत्रो का शिकार बनने वालों में महाभारत काल से लेकर भगवान राम तक के नाम शामिल है। भगवान् राम को पिता राजा दशरथ से 14 वर्षो का वनवास दिलाने में भी एक षडयंत्र ही कारण बना था जिसे राजा दशरथ की रानी ने ही रचा था। देश की आजादी के बाद राज प्रसादो में बैठकर षडयंत्र करने वालो की जगह अब हमारे जन सेवक बने नेताओ ने ले ली है।
दिन के उजाले में सफ़ेद कपडे पहनकर जन सेवा का दम भरने वाले आज के नेता अपने स्वार्थो की पूर्ति के लिए किसी भी स्तर तक गिर जाते है। सत्ता की चाहत में आज के नेता देश की जनता को ही दांव पर लगाकर न जाने कब दंगे कराकर मोत के सौदागर बन जाए। बेगुनाह देशवासियों को अपनी सत्ता की कढाई गर्म करने के लिए हमारे अपने नेता इंधन के रूप में आज भी जलाना पसंद करते है। राजाओ के शासन में सत्ता के लिए घात प्रतिघात के खेल खेलने में जनता की नही शासक की बली चढ़ती थी।
स्वतंत्र लोक तांत्रिक भारत में अब नेताओ के द्वारा खेले गये सारे राजनैतिक दावो के दुष्परिणाम देश प्रदेश की जनता को ही भुगतने पड़ते है। आज के नेताओ में निजी हितो को लेकर काफी गजब की समझदारी बनी हुई है। सत्ता चाहे किसी भी दल की हो एक बार मंत्री विधायक बनने वालो के काम सत्ता पक्ष सदैव करता रहता है। नेताओ के द्वारा स्वतंत्र भारत में किये गये कुकर्मो के कारण नेता शब्द एक गाली सा लगता है। अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए व सत्ता को बचाने के लिए आज के नेता सभी प्रकार के छल प्रपंच कर रहे है।
राजस्थान राज्य के अलवर जिलें के बहरोड़ कस्बे में मारे गये किसान पहलु खान के हत्यारों को बचाने के लिए संघ वसुंधरा राजे में हुआ समझौता हो गया है।राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की प्रथम सरकार के समय ही संघ वसुंधरा के बीच 36 का आंकड़ा बन गया था। राज्य के भाजपा संगठन में संघ की और से आने वाले तत्कालीन भाजपा महा सचिव प्रकाश चंद गुप्ता की कार्यशेली के कारण वसुंधरा राजे की प्रथम सरकार में उनका खूब अपमान होता था। राज्य की तत्कालीन भाजपा सरकार की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के विरुद्ध संघ निष्ठो का एक मंत्री समूह सदेव वसुंधरा के विरोध में खड़ा रहा है।
संघ से भाजपा में आये प्रकाश गुप्ता का अपमान मुख्यमंत्री राजे के खेमे के मंत्री सदैव करते रहे, इस कारण तब से लेकर वर्ष 2016 तक संघ की और से राज्य भाजपा में कोई प्रतिनिधि नही भेजा गया। हाल ही में आसन विधान सभा चुनावो में सरकार विरोधी लहर के कारण संघ वसुंधरा खेमे में पुन: एकता हो गयी है। वर्तमान वसुंधरा सरकार द्वारा जयपुर शहर में तोड़े गये मंदिरों के विरोध में संघ पूर्णत: वसुंधरा सरकार के विरोध में सडको पर उतर गया था । संघ वसुंधरा की यह कटुता अब अपने स्वार्थो की मनोकामना पूर्ण होने के कारण निकटटता में बदल गई है। संघ ने भी अब मान लिया है कि राज्य की भाजपा में मुख्यमंत्री राजे का कोई तोड़ नही है।
संघ वसुंधरा में मेल होने के कारण संघ की ओर से प्रदेश भाजपा संगठन में पुन: महासचिव भेजा गया है। राजस्थान सरकार के नम्बर वन मंत्री राजे के खास माने जाने वाले युनुस खान के डीडवाना विधान सभा क्षेत्र में जून 2017 में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाये गये। राज्य में खुलेआम भाजपा के मंत्री युनुस खान के समर्थको द्वारा पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने के कारण युनुस खान का इस्तीफ़ा चाहता था। संघ अपनी ओर से युनुस खान को लेकर वसुंधरा राजे पर दबाव बनाने में लगा था। संघ राजे के बिगड़े संबंधो के कारण इस घटना के विरोध में भाजपा के वरिष्ठ विधायक घनश्याम तिवाडी ने भी मंत्री युनुस खान को बर्खास्त करने की मांग कर डाली।
विधायक तिवाडी ने कहा कि भाजपा के पदाधिकारी जिन्हें बनाने में मंत्री युसुस खान का हाथ रहा है। यदि भाजपा के पदाधिकारी हिन्दुस्तान मुर्दाबाद, पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए इससे बुरी बात ओर क्या होगी? संघ के दबाव के कारण भृष्टाचार के आरोपो से घिरे युनुस खान के इस्तीफे की चर्चा एक बार तो चल पड़ी थी। राज्य की मुख्यमंत्री ने युनूस खान का स्तीफा लेने से साफ़ इंकार करके संघ के दबाव में आने के बजाए यूनुस खान के बचाव में उतर गयी। मुख्यमंत्री राजे के दबाव के कारण भृष्ट यूनुस खान की कुर्सी बच गयी। राजनीती के खेल में इस हाथ दे और उस हाथ ले के अनुसार संघ को राजी करने के लिए गोरक्षको द्वारा मारे गये पहलु खान के हत्यारों को बचाया गया है। डेयरी व्यवसाय का धंधा करके जीवनयापन करने वाले किसान पहलु खान की हत्या पर राज्य की मुख्यमंत्री राजे ने दो टूक बयान दिया था। राजे ने तब अपने गृहमंत्री के बयानों से विपरीत जाकर कहा था कि इस प्रकार की हत्याए स्वीकार नही की जाएंगी।
राज्य के गृहमंत्री तो घटना के पहले ये ही संघ के दबाव में पहलु खान को गो तस्कर बताकर उसके विरुद्ध गोतस्करी का मुकदमा बना चुके थे। इस घटना में पहलु खान को नामजद कर चुके थे । राज्य की सी. आई. डी.सी.बी. पुलिस ने पहलु खान की ह्त्या के आरोपी नामजद अभियुक्तों पर पहले तो पांच हजार रुपयों का इनाम पकड़ने पर घोषित कर दिया। अचानक फिर संघ वसुंधरा के बीच हुए समझौते के परिणाम स्वरुप घोषित इनाम वापस लेकर पहलु खान की हत्या के नामजद आरोपीयों को राज्य की पुलिस ने क्लीन चिट प्रदान कर दी। राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने यहाँ एक तीर से दो शिकार कर लिए है। एक तो अपने चहेते मंत्री युनुस खान को इस्तीफ़ा देने से बचाया दूसरा उन्होंने पहलु खान के हत्यारों को बचाकर संघ को भी राजी कर लिया है। राज्य की राजनीती में अब संघ वसुंधरा के विरोध में नही रहा। इसी का परिणाम है कि बरसो तक संघ के प्रतिनिधि के रूप में वसुंधरा राजे के विरोध में खड़े रहने वाले भाजपा के वरिष्ठ विधायक घनश्याम तिवाड़ी अपनी अलग राजनैतिक पार्टी बनाने की बाते करने लगे है।
घनश्याम तिवाड़ी को यह पूर्ण रूप से पता चल गया है कि राज्य के अगले विधान सभा चुनाव प्रदेश भाजपा वसुंधरा राजे के नेतृत्व में ही लड़ने वाली है। यदि वसुंधरा राजे की चुनावो में चली तो घनश्याम तिवाड़ी का विधान सभा प्रत्याक्षी टिकट कटना तय है। फिलहाल संघ व् राजे में हुए मेल मिलाप से राज्य की भाजपा में राजे का कद और भी भारी हुआ है। वैसे संघ निष्ठ व भाजपाइयों का इतिहास अब तक देश में काफी विवादित रहा है। इनके अपने नेता संवारकर पर अंग्रेजो से माफ़ी मांगकर जेल से बाहर आने के आरोप है।
संघ के लोग देश की आजादी की लड़ाई में खुले रूप से अंग्रेजी हुकूमत के साथ रहकर देश की आजादी का विरोध कर रहे थे। रानी लक्ष्मी बाई के खिलाफ साजिश करने में इनके नेताओ के पुरखे शामिल रहे है। अटल बिहारी वाजपेयी पर भी अंग्रेजो के समर्थन में गवाही देकर बचने के आरोप है। जब से देश में मोदी सरकार बनी है तब से ही संघ के लोगो को एक प्रतीकात्मक रूप से देश की आजादी की लड़ाई लड़ने वाले नेता की तलाश है जिसे संघी अपना कह सके।अम्बेडकर, सरदार पटेल के करीब जाने के बाद संघ भाजपा को इस ओर से निराशा ही हाथ लगी है, क्योकि देश में किसी भी स्वंत्रता सेनानी की विचारधारा संघ की नफरत भरी विचारधारा नही थी। वैसे भी जन्म देने वाले बाप का जीवन समाप्त करने वाले पुत्र को हमारे समाज में कपूत ही माना जाता है।
राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी के जीवन को समाप्त करने वाले नाथूराम गोडसे इस देश का पहला आतंकवादी और संघ से निकला कपूत था। इसने राष्ट्रपिता का जीवन समाप्त करके कपूत होने का सिलसिला जो शुरू किया था वह सिलसिला पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वाले घ्रुव नारायण सक्सेना से लेकर यूनुस खान, वक्फ बोर्ड अध्यक्ष अबुबकर नकवी तक जाता है। नकवी का भतीजा पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने में टोंक जिले के मालपुरा कस्बे जेल गया था अनेक कपूतो को जन्म देकर भी भाजपाई देशभक्त बने हैं यह भी इनके जुमले बाजी ही तो है।







लेखक : मो. हफीज, व्यूरो चीफ, राजस्थान
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