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जिंदगी एक गुच्छा" में बेरोजगारों की विवशता का छलका दर्द

जिंदगी एक गुच्छा में बेरोजगारों की विवशता का छलका दर्द
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हिमा अग्रवाल
जयपुर: आलारिपु संस्था के बैनर तले और कैलाश सोनी लिखित व निर्देशित नाटक "ज़िंदगी एक गुच्छा" का रविन्द्र मंच के मिनी थिएटर में मंचन किया गया । हास्य के माध्यम से इस नाटक में शिक्षित बेरोजगारों के संघर्ष,विवशता आदि को बखूबी दर्शाया गया।

नाटक में दर्शाया गया कि जहाँ एक और निरन्तर तेजी से जनसंख्या बढ़ती जा रही है,वहीं दूसरी ओर देश मे आर्थिक मंदी, बेरोजगारी भी बढ़ती जा रही है। ऐसे में सभी वर्गों के शिक्षित बेरोजगार जब रोजगार पाने के लिए कोशिश करते हैं तो उन्हें बहुत सी अप्रिय घटनाओं का सामना करना पड़ता है,संघर्ष करते हुए जूझना पड़ता है।

हास्य से भरपूर यह नाटक कई बार दर्शकों को ठहाके लगाकर हँसने को मजबूर कर देता है।

अभिनय करने वाले कलाकारों में सिद्धार्थ शर्मा,शोएब खान,हासिम खान,शाहब अली,आदित्य,कामिल जयपुरी,रेहान कुरैशी और सपना गाडरी थे।

मंच व्यवस्था, प्रस्तुति,मेकअप एकता ग्रुप का था।प्रकाश व्यवस्था कमल शर्मा और कैलाश सोनी की थी। सिकन्दर अब्बास ने कार्यक्रम का संचालन किया।
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