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राजपाट: वसुंधरा पर राहु का प्रकोप

राजपाट: वसुंधरा पर राहु का प्रकोप
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राजस्थान में बीजेपी की सरकार है. जहाँ उसकी वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर पिछले कई महीने खींचतान चली. आखिर में पार्टी हाईकमान ने वसुंधरा के समाने हथियार टेक दिए और उन्हीं की मर्जी के मदन लाल सैनी प्रदेश अध्यक्ष पद पर तैनात किये गए. वैसे ही राजस्थान में गुर्जर वोट और सैनी वोट कांग्रेस के पाले में था लेकिन तब तक घनश्याम तिवाड़ी ने बीजेपी से इस्तीफा देकर ब्राह्मण वर्ग को भी एक संदेश दे दिया है.


लगता है यह साल राजस्थान बीजेपी और वसुंधरा के लिए शुभ संकेत लेकर नहीं आया है. पहले उपचुनाव में करारी हार के बाद वसुंधरा के सिपह्सैलार अशोक परनामी की अध्यक्ष पद से छुट्टी हो गई. उसके बाद बीजेपी के सबसे वरिष्ठ विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने वसुंधरा पर भ्रष्टाचार के आरोप और केंद्रीय नेत्रत्व को बौना करार देते हुये पार्टी से इस्तीफा दे दिया. हालांकि वसुंधरा प्रदेश अध्यक्ष पद पर अपने मन मुताबिक मदन लाल सैनी को नियुक्त कराने में एक बार फिर सफल नजर आई है.


घनश्याम तिवाड़ी बीजेपी के सबसे पुराने नेता है. वो भैरों सिंह शेखावत और वसुंधरा सरकार में मंत्री रह चुके है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके है. इस बार वसुंधरा ने उन्हें तरजीह नहीं दी और न ही उन्हें मंत्री बनाया जिसकी टीस उन्हें सालती रही और उसीका परिणाम है कि उन्होंने पार्टी से बाय बाय कह दिया.


घनश्याम तिवाड़ी चूँकि संघ से जुड़े हुए है तो उन्होंने इसकी शिकायत संघ से भी की. लेकिन कोई रास्ता नहीं निकला. फिर उन्होंने इसकी शिकायत योग गुरु बाबा रामदेव की मार्फत भी भिजवाई लेकिन नतीजा शून्य ही निकला. इस बात से आहत होकर तिवाड़ी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया. तिवाड़ी अब राजस्थान में अपनी पार्टी बनाकर बीजेपी को ही नुकसान पहुंचाएंगे.बीजेपी से गुर्जर और सैनी वोट पहले ही कांग्रेस के पाले में था अब ब्राह्मण वोट और राजपूत वोट भी बीजेपी से खिसकता नजर आ रहा है.


उसका कारण है तिवाड़ी का इस्तीफा और राजपूत को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की चल रही बात पर यकायक बीजेपी हाईकमान कप अपना फैसला बदलना. यह बात राजस्थान में बीजेपी को और अधिक नुक्सान पहुंचाएगी. अभी इसका आंकलन करना मुश्किल होगा कि बीजेपी को कितन नुकसान होगा लेकिन अब अधिकारी भी बीजेपी से दुरी बनाना शुरू कर रहे है. उन्हें पता चल गया कि अब बीजेपी की वापसी मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.

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