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होलिका दहन कैसे करें, जानिए पूरी विधि विस्तार से

होलिका दहन कैसे करें, जानिए पूरी विधि विस्तार से
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श्री गणेशाय नमः ।। स्वस्ति श्री शुभ सम्वत २०७४ शके १९३९ फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष में दिन गुरुवार ,पूर्णिमा तिथि में होलिका दाह संस्कार भद्रा के पश्चात स्थिर महूर्त में किया जाना उत्तम फल प्रदान करने वाला होगा।

भद्रा दिन में 07 :59 से सायं 07:14 तक रहेगा । अतः इसके बाद मिलने वाले स्थिर लग्न वृश्चिक रात्रि 1 बज कर 30 मिनट पर होलिका दाह का महूर्त शुभदायी होगा। उत्तम महूर्त में किये गए होलिका संस्कार पूजन से धनधान्य तथा सन्तान की प्राप्ति होती है।

प्राचीन काल से हमारे पूर्वजों के द्वारा विधि विधान पूर्वक होलिका दहन संस्कार किया जाता रहा है भगवान नृसिंह की कृपा प्राप्त करने के लिए पूर्णमासी की रात्रि को सर्वोत्तम मुहूर्त में (भद्रा रहित) पूजन विशेष फलदायी होता है।

आइये जानते है होलिका दहन संस्कार में कैसे और किन मंत्रो से करे पूजन जिनसे सुख समृद्धि एवं सन्तान की प्राप्ति होती है।
1-सर्वप्रथम स्नान कर, गंगाजल -अक्षत- पुष्प -धूपबत्ती -फूल-फल-मिष्ठान-पान-सुपारी -लौंग -इलायची आदि अन्य सामग्री युक्त थाली लेकर होलाष्टक के स्थान पर जाए।
2-आचमन -तीन बार जल पी ले और निम्न मंत्र पढें।
(क) ॐ केशवाय नमः (ख)ॐ माधवाय नमः(ग)ॐ नारायण नमः
ॐ हृषिकेशाय नमः कहकर हाथ धो लें।
3-अपने ऊपर गंगाजल का छिड़काव करें और लायी गयी सामग्री पर भी जल छिडके।
4-गणेश ,गौरा जी, शिव जी ,नरसिंह ,भगवान का मन में ध्यान करें।
5-गंगाजल-अक्षत-पुष्प-दक्षिणा दाहिने हाथ मे ले कर ) संकल्प को दोहराये ------
ॐ स्वस्ति शुभ सम्वत 2074 शके 1939 सूर्य उत्तरायने फाल्गुन मासे पूर्णिमा तिथौ गुरूवासरे मघा नक्षत्र ऊपर पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्रे अमुक नामे(अपना नाम )गोत्र उच्चारण तथा अपने पत्नी का नाम बच्चो और परिवार के सभी सदस्यों के सुख शान्ति हेतु नाम लीजिये) मम सकुटुम्बस्य कल्याण हेतवे " दुण्ढा राक्षसी पीडा परिहारार्थ होलिका पूजनं अहं संकल्प करिष्ये। (गंगाजल-अक्षत-पुष्प-दक्षिणा नीचे चढ़ा दें)
6-होलिका का ध्यान करें -
मंत्र( असृक्याभयसँत्रस्त्रेः कृत्वा त्वं होलिवालिशैः । तस्त्वां पूजयिष्यामि भूते भूतिप्रदाभव ।।) अक्षत फूल लकडियो पर चढावे ।
7-दीपक जलाएं और "होलिकायैः नमः " का उच्चारण करें।
8-"होलिकायैः नमः " बोलते हुए गंगाजल अक्षत रोली फूल मिष्ठान फल सुपारी लौंग इलायची दक्षिणा चढावे और प्रणाम करें।
9- एक दूसरा दीपक जलाएं और मन्त्र पढ़े।
(ॐ दीपयाम्यधतेघोरे चिति राक्षसि सप्तमे ।हिताय सर्वजगता प्रीतये पार्वतीपतयेः ।।)
इत्यादि से पुजन करें।
10- उसी दीपक से लकड़ियों में अग्नि प्रज्ज्वलित कर दे । दाहिने हाथ मे जल लेकर मन्त्र पढते हुए लकडियो पर चढ़ाये। मन्त्र -(अनेनार्चनेन होलिकाधिष्ठात्र देवता प्रियतां न मम ।।)
11- अग्नि जलने के पश्चात जल की धार देते हुए प्रज्वलित होलिका के तीन परिक्रमा लागए।
12-दूसरे दिन जली हुई होलिका की भस्म सपरिवार धारण करें। भस्म धारण मन्त्र (वंदितासि सुरेन्द्रेण ब्रह्मणा शंकरेंण च । अतस्त्वं पाहि नो देवी विभूतिरभूतिदा भव।।)
इस प्रकार से भस्म धारण करने से समस्त रोगों की शांति होती है।
आप सभी को रंग भरी होली की अनेको शुभकामनाएं।
आचार्य विमल त्रिपाठी
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