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मंदिर में देवी पूजा के नाम पर लड़कियों के साथ करते है ऐसा सलूक, जानकर हो जाएंगे हैरान

Vikas Kumar
27 Sep 2017 12:45 PM GMT
मंदिर में देवी पूजा के नाम पर लड़कियों के साथ करते है ऐसा सलूक, जानकर हो जाएंगे हैरान
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परंपराओं के नाम पर हमारे देश में क्या-क्या नहीं होता, इस मंदिर में नवरात्र के समय देवी पूजा के नाम पर लड़कियों को टॉपलेस करके उनके साथ करते है ऐसा सलूक कि...

तमिलनाडु : परंपराओं के नाम पर हमारे देश में क्या-क्या नहीं होता है। परंपराओं के नाम पर तमिलनाडु के मदुरै स्थित मंदिर से कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं जिसे जानकर आपको हैरानी होगी। ये कैसी है परंपरा?

दक्षिण भारत के मंदिरों में अभी भी लड़कियों को देवी के रूप में पूजने वाली 'देवदासी प्रथा' चल रही है। जो कि इस प्रथा को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने घिनौना करार दिया है। दक्षिण भारत के तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में और पश्चिम भारत में ऐसी प्रथा प्रचलित है।

तमिलनाडु के मदुरै स्थित मंदिर में परंपरा के नाम पर चुनी हुई लड़कियों को मंदिर में 15 दिन तक 'टॉपलेस' रखा जाता है। नवरात्र के समय देवियों के रूप में उन लड़कियों की पूजा करने की परंपरा है, जिन्हें अभी तक पीरिएड्स न आए हो। इससे मिलती जुलती कन्या पूजन की प्रथा उत्तर भारत में भी होती है।

यहां 10 साल से 14 साल तक की उम्र की इन लड़कियों को मंदिर परिसर में ही पुजारी की देखरेख में रहना पड़ता है। इस रस्म को निभाने का तरीका बहुत खराब है। यहां लड़कियों को धर्म के नाम पर सेक्स के लिए समर्पित कर दिया जाता है। इस प्रथा को 1988 में गैरकानूनी घोषित किया जा चुका है।

सोमवार को प्रकाशित एनएचआरसी की रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण भारत के मंदिरों में लड़कियों को दुल्हन के कपड़ों में सजाकर बैठाया जाता है, बाद में उनके कपड़े उतरवा लिए जाते हैं, ये प्रतिबंधित देवदासी प्रथा का ही एक रूप है।

बता दें कि बताया जा रहा है कि लड़कियों को उनके परिवार वाले स्वेच्छा से यहां भेजते हैं। हर साल सात लड़कियों को इस परंपरा के लिए चुना जाता है। इन लड़कियों को सिर्फ लहंगे जैसा कपड़ा पहनाई जाती है। कमर से ऊपर के हिस्से पर कोई कपड़ा नहीं होता। और सिर्फ कुछ आभूषण पहनाए जाते हैं।

हालांकि लड़कियों को टॉपलेस रखने की जानकारी जब मदुरै के कलेक्टर तक पहुंची तो उन्होंने गंभीर रुख अपनाया। उन्होंने परंपरा में हिस्सा लेने वाली लड़कियों को पूरी तरह कपड़े से ढकने के निर्देश दिए। साथ ही ये सुनिश्चित करने के लिए कहा कि लड़कियों से किसी तरह का दुर्व्यवहार ना हो। इसके लिए लड़कियों के परिवार वालों से कहा है कि वो 15 दिन तक खुद भी मंदिर में रहे जिससे लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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