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बाबाजी नोबेल शांति पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी जी द्वारा आयोजित पिछली कई यात्राओं में शामिल रहे हैं। बाबाजी ड्राइवर हैं और पहले की यात्राओं में वाहन व्यवस्था की जिम्मेदारी उठाते रहे हैं। इस बार वे कोर मार्चर हैं। पहली बार वे 1998 में श्री सत्यार्थी जी द्वारा आयोजित बाल श्रम विरोधी विश्व यात्रा में शामिल हुए थे। इस बाल श्रम विरोधी विश्व यात्रा के परिणामस्वरूप ही बाल अधिकारों को लेकर अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने दुनियाभर में खतरनाक उद्योगों में बाल श्रम पर प्रतिबंध लगाने के लिए कनवेंशन-182 पारित किया था। तब छह माह तक चली बाल श्रम विरोधी विश्व यात्रा 80 हजार किलोमीटर की दूरी तय कर 103 देशों से होकर गुजरी थी। तब इस यात्रा में भारत के राष्ट्रपति केआर नारायणन सहित 70 से अधिक देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और राजा-रानी शामिल हुए थे। इस यात्रा में दुनियाभर के तकरीबन 72 लाख से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया। इस यात्रा के परिणामस्वरूप दुनियाभर के कई देशों में बाल अधिकारों को लेकर न केवल जन-जागरुकता आई बल्कि बच्चों के हक में ढेर सारे कानून भी बने। बाबाजी इसके बाद साल 2001 में आयोजित शिक्षा यात्रा और साल 2007 में आयोजित बाल व्यापार विरोधी दक्षिण एशियाई यात्रा में भी शामिल थे। शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाने में कैलाश सत्यार्थी जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। संविधान में संशोधन करके शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाने की मांग करते हुए उन्होंने 2001 में कन्याकुमारी से कश्मीर होते हुए दिल्ली तक की 20 राज्यों की 15 हजार किलोमीटर लंबी जन-जागरण यात्रा आयोजित की थी। यात्रा की समाप्ति पर भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और प्रतिपक्ष के नेताओं ने कैलाश सत्यार्थी जी से मुलाकत कर उनकी मांगों को गंभीरता से लिया। नतीजन शिक्षा का अधिकार कानून अस्तित्व में आया। इसकी बदौलत आज करोड़ों बच्चे बेहतर भविष्य का सपना बुन रहे हैं। जाहिर है इन यात्राओं ने इतिहास रचा। बाबाजी इस इतिहास के निर्माता भी हैं और गवाह भी।