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Archived
विश्वकप में तीसरे स्थान के लिए मैच खेला जाए या नहीं, जैसे "बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना"
शिव कुमार मिश्र
15 July 2018 7:41 AM GMT
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फ़ाइल फोटो
राम जी तिवारी
विश्वकप में तीसरे स्थान के लिए मैच खेला जाए या नहीं, यह चर्चा हर बार उठती है। कारण यह कि जो टीमें सेमीफाइनल में हारकर टूर्नामेंट से बाहर हो गयी रहती हैं, वे नहीं चाहती कि महज कोरम पूरा करने के लिए उन्हें एक मैच और खेलना पड़े। और यह मनोदशा सिर्फ टीमों की नहीं होती, वरन इसका प्रभाव दुनिया भर के दर्शकों पर भी देखा जा सकता है। यहाँ तक कि "बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना" जैसे हम विश्लेषकों पर भी।
दो दिन पहले सेमीफाइनल स्टेज में जिन टीमों के हौसले टेलीवीजन परदे को चीरकर दर्शकों के दिमाग तक में छाये हुए थे, दो दिन बाद उनके झुके हुए कन्धों का असर मैदानी दर्शकों के चेहरों पर भी देखा जा सकता था। हालाकि कई बार तीसरे स्थान के लिए खेला जाने वाला मैच फाइनल के मैच से बीस गिरता है, लेकिन वह जो खेल का एक रोमांच होता है, उसकी अनुपस्थिति में यह मैच उन्नीस की कौन कहे, अठारह और सत्रह से भी नीचे चला जाता है।
बहरहाल कल बेल्जियम और इंग्लैण्ड के बीच तीसरे स्थान के लिए मैच खेला गया। चुकि दोनों टीमों का प्रदर्शन इस टुर्नामेंट में काबिलेतारीफ था, इसलिए दोनों के मन में यह चल रहा था कि जब यह मैच सर पर थोप ही दिया गया है, तो अपने प्रदर्शन से कम से कम यह साबित जरूर कर दिया जाए कि हम इस टूर्नामेंट को जीतने के हक़दार थे, भले ही किस्मत ने हमारा साथ नहीं दिया। मैच से पहले दोनों टीमों के कोच मार्तिनेज और साउथगेट के बयान भी यही बात दर्शा रहे थे।
खेल हाई नोट पर शुरू हुआ। चौथे मिनट में स्टेडियम के दर्शक अभी सेटल भी नहीं हो पाए थे कि बेल्जियम की तरफ से एक लहर पैदा हुयी। यह लहर मध्य रेखा से पैदा होकर बाएं फ्लेंक में उभरी । उससे बना क्रॉस इंग्लैण्ड के बॉक्स में उनके तट पर टकराया। जब तक कि इंग्लिश टीम अपने बीच-बचाव का सामान जुटाती, बेल्जियम मिडफील्डर म्युनियर ने उनकी पिपनी बजा दी थी। इंग्लैण्ड एक गोल से पिछड़ चुका था।
हालाकि एक गोल से पिछड़ने के बाद इंग्लैण्ड ने मिडफील्ड को नियंत्रित करने का खेल जरूर दिखाया। लेकिन ऐसा करते समय वे अपने स्ट्राइकरों को एक्सपोज भी करते चले गए। हैरी केन को भले ही इस टूर्नामेंट में गोल्डन बूट का पुरस्कार मिल जाए, लेकिन इस मैच से एक बार फिर साबित हुआ कि वे दुनिया के कोई महान स्ट्राइकर नहीं है। अपने देश के लिनेकर, ओवन, बेखम और रूनी भी नहीं।
इधर बेल्जियम की टीम मिडफील्ड के संघर्ष में पिछड़ने के बावजूद भी प्रभावशाली दिखाई दे रही थी। वे जब भी मूव बनाते, इंग्लैण्ड के बॉक्स तक जरूर दस्तक देते। यदि उनके मिडफील्डरों हेज़ार्ड और डी ब्रुनिये के बनाये पासों को उनके स्ट्राइकर लुकाकु ने भुनाया होता, तो साउथगेट की इंग्लिश टीम बेइज्जत हो जाती। यह उनकी खुशकिस्मती ही रही की हैरी केन की तरह लुकाकु भी एक सामान्य स्ट्राइकर ही साबित हुए। मार्तिनेज ने दूसरे हाफ में उन्हें जल्दी ही बदलकर एक सन्देश उन तक पहुंचा भी दिया।
वैसे बेल्जियम के मिडफील्डर कप्तान हेज़ार्ड ने ने इस मैच में फिर से अपनी बादशाहत पुजवाई। उन्होंने साबित किया कि क्रोएशियन कप्तान लुका माद्रिच के साथ उन्हें भी इस विश्वकप का स्टार माना जाना चाहिए। उनको खेलते हुए देखना बहुत सुखद लग रहा था। उन्होंने अवसर मिलने पर कल एक बेहतरीन गोल भी किया। जबकि लगभग उसी तरह के दो अवसर लुकाकु गँवा चुके थे। और इंग्लैण्ड की तरफ से हैरी केन भी।
बेल्जियम की टीम ने इस मैच में फिर से प्रभावित किया। उनकी टीम कोई बड़े नामी-गिरामी सुपर स्टार की टीम नहीं थी। लेकिन उनकी तरफ से इस टूर्नामेंट में 10 अलग-अलग खिलाड़ियों ने गोल करके दिखा दिया कि टीम गेम वाले खेल फ़ुटबाल में वे लोग क्यों लगातार शीर्ष की पांच टीमों में बने रहते हैं। उनके स्पेनिश मूल के कोच मार्तिनेज की योजनाएं भी इस विश्वकप में खूब चर्चित रहीं।
इस मैच को देखकर लगा की इस टूर्नामेंट में इंग्लिश टीम को जो हासिल हुआ, वह कम नहीं था। एक युवा टीम के रूप में आगे उनकी संभावनाएं बेहतर दिखाई पड़ती हैं।
आज विश्वकप का फाइनल मैच है। क्रोएशिया और फ्रांस के बीच। दिल चाहता है कि इस अपसेट वाले विश्वकप से एक नया चैंपियन निकले। लेकिन दिमाग कहता है कि तमाम उतार-चढ़ावों के बाद यह विश्वकप भी अंततः किसी चिर परिचित टीम के पक्ष में झुक जाएगा।
कवरेज जारी है ...... ।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार है
शिव कुमार मिश्र
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