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हिमा दास की पूरी कहानी : कभी दौड़ती थीं खेतों में, अब देश को दिलाया गोल्ड मेडल

Arun Mishra
14 July 2018 10:49 AM GMT
हिमा दास की पूरी कहानी : कभी दौड़ती थीं खेतों में, अब देश को दिलाया गोल्ड मेडल
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ऐथलेटिक्स ट्रैक इवेंट में देश को पहली बार गोल्ड दिलाकर इतिहास रचने वाली हिमा दास को लेकर आज देश फक्र महसूस कर रहा है।

नई दिल्ली : ऐथलेटिक्स ट्रैक इवेंट में देश को पहली बार गोल्ड दिलाकर इतिहास रचने वाली हिमा दास को लेकर आज देश फक्र महसूस कर रहा है। ऐथलीट हिमा दास की कहानी किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं है। गौरतलब है कि 18 साल की हिमा ने महज दो साल पहले ही रेसिंग ट्रैक पर कदम रखा था। उससे पहले उन्हें अच्छे जूते भी नसीब नहीं थे। असम के छोटे से गांव ढिंग की रहने वाली हिमा के लिए इस मुकाम तक पहुंचना आसान नहीं था। बता दें कि परिवार में 6 बच्चों में सबसे छोटी हिमा पहले लड़कों के साथ पिता के धान के खेतों में फुटबॉल खेलती थीं।

स्थानीय कोच ने ऐथलेटिक्स में हाथ आजमाने की सलाह दी। पैसों की कमी ऐसी कि हिमा के पास अच्छे जूते तक नहीं थे। सस्ते स्पाइक्स पहनकर जब इंटर डिस्ट्रिक्ट की 100 और 200 मीटर रेस में हिमा ने गोल्ड जीता तो कोच निपुन दास भी हैरान रह गए। जिसके बाद वह हिमा को गांव से 140 किमी दूर गुवाहाटी ले आए, जहां उन्हें इंटरनैशनल स्टैंडर्ड के स्पाइक्स पहनने को मिले। इसके बाद हिमा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।


गौरतलब है कि गुरुवार को हिमा ने AIFF अंडर-20 वर्ल्ड ऐथलेटिक्स चैंपियनशिप की 400 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल अपने नाम किया। खास बात यह कि इस दौड़ के 35वें सेकंड तक हिमा टॉप थ्री में भी नहीं थीं, लेकिन बाद में ऐसी रफ्तार पकड़ी कि सभी को पीछे छोड़ दिया। जब राष्ट्रगान बजा तो हिना की आंखों से आंसू छलक पड़े।

महज 18 साल की हिमा ने अंडर-20 वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 400 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल जीता है। वह महिला और पुरुष दोनों ही वर्गों में ट्रैक इवेंट में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय भी बन गई हैं।

हिमा का जन्म असम के नौगांव जिले के एक छोटे से गांव कांदुलिमारी के किसान परिवार में हुआ। पिता रंजीत दास के पास महज दो बीघा जमीन है जबकि मां जुनाली घरेलू महिला हैं। जमीन का यह छोटा-सा टुकड़ा ही दास परिवार के छह सदस्यों की रोजी-रोटी का जरिया है। पिता अपनी बेटी पर पहले से गर्व करते थे, जो अब और बढ़ गया है।

रंजीत दास ने बताया कि मेडल जीतने के बाद हिमा ने उन्हें फोन करके कहा कि जब आप लोग सो रहे थे, तब मैंने इतिहास रच दिया। इसपर हम लोगों ने कहा कि कोई नहीं सोया था और सब जागकर टीवी पर उसकी रेस ही देख रहे थे। पिता के मुताबिक, इस बात को सुनकर हिमा भावुक हो गईं और रोनी लगीं।


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