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जयपुर दंगा : दोषियों पर कब होगी कार्यवाही, जयपुर पुलिस आयुक्त के प्रयासों से लौटी शांति

Arun Mishra
15 Sep 2017 2:20 PM GMT
जयपुर दंगा : दोषियों पर कब होगी कार्यवाही, जयपुर पुलिस आयुक्त के प्रयासों से लौटी शांति
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दोषियों पर कब होगी कार्यवाही, जयपुर पुलिस आयुक्त के प्रयासों से लौटी शांति, मुस्लिम मुसाफिर खाने में लिखी दंगे की पटकथा!
पुलिस को लेकर आज भी आम आदमी में काफी शंकाए रहती है तो पुलिस के बेड़े मे शामिल पुलिस कर्मियों को भी मीडिया जनता से काफी शिकायते होती है। पुलिस समाज का अभिन्न अंग है इसके बिना स्वतंत्र, भय रहित समाज की कल्पना भी नही की जा सकती है। पुलिस के जवान अधिकारी सभी हमारे अपने होते है वे भी हमारे ही समाज, कुटुंब, परिवार से निकले सदस्य हैं। तकलीफ जब होती है पुलिस कर्मचारी निरंकुश होकर कनून की अवेहलना करके अपने निजी हितो की पूर्ति में लगकर शरीफ और अपराधी का भेद ख़त्म कर देते है।
लोकतंत्र में जनता जनार्दन के दिए टेक्स के पेसो के बल पर नेता मंत्री पुलिस थाने व पुलिस कर्मियों की पगार मिलती है। जनता के खून पसीने की गाढ़ी कमाई से चुकाए टेक्स के पेसो से शासन प्रशासन के सब ठाठ चलते है। देश में कानून का राज है सभी अधिकारी मंत्री विधायक जनता सबके विधि अनुसार कर्तव्य और दायित्व है जिनकी पालना सभी को करनी चाहिए। समस्या तब उत्पन्न होती है जब पुलिस या जनता विधि के निर्देशों के दायरे से बाहर निकलकर मनमानी करने लग जाए।
हाल ही में जयपुर शहर में घटित बवाल के कारण शहर की जनता को कर्फ्यू की त्रासदी झेलनी पड़ी जिसकी पटकथा शुक्रवार दिनांक 08.09.2017 को मुस्लिम मुसाफिर खाने जयपुर में रची गई। कुछ लोगो की सियासी महत्त्वकांक्षा के कारण जयपुर के प्रशासन को भी एक मामूली सी घटना होने पर काफी मशक्कत करनी पड़ी। विगत कुछ वर्षो से जयपुर में वहाबी इस्लामी आतंकी विचारधारा को फैलाने का केंद्र जयपुर मुस्लिम मुसाफिर खाना बना हुआ है। मुसाफिर खाने के अपराधी सजायाफ्ता सचिव बने शोकत कुरैशी ने बर्मा के रोहिंग्या मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों को लेकर विरोध प्रदर्शन करने की योजना बनाई।
योजना अनुसार शुक्रवार को नमाज पढने के पश्चात हजारो मुसलमानों की भीड़ को एम.डी. रोड, जयपुर पर एकत्रित किया गया। विरोध प्रदर्शन के नाम पर जुटी हजारो की भीड़ को उन्मादी बनाने के लिए शोकत कुरैशी, लतीफ़ आरको, शब्बीर कारपेट के साथियों ने जमकर भड़काऊ भाषण दिए। विरोध प्रदर्शन स्थल पर मौजूद हजारो लोगो की उन्मादी भीड़ का टकराव पुलिस से होते होते बचा। पुलिस के संयम के कारण बड़ी अप्रिय घटना घटित होने से उस समय बच गई।
शोकत कुरैशी एवं उसके वहाबी साथियों ने आतंकी विचारधारा के बल पर जयपुर शहर से विधायक बनने के सपने पाल रखे है। शुक्रवार को नमाज के पश्चात एकत्रित भीड़ को संबोधित करते हुए वक्ताओ ने जयपुर पुलिस को सबक सिखाने व् पुलिस उनकी अपनी नही होने की बाते जोर शोर से कही। इसके परिणाम स्वरुप शाम 8:00 बजे उन्मादी लोगो की भीड़ ने रामगंज थाने पर हमला कर दिया। घटना की शुरुआत थाना पुलिस के एक सिपाही के द्वारा एक बाईक सवार के पीछे बैठी महिला के डंडा मारने के नामपर हुई।
पुलिस ज्यादती के विरुद्ध बाईक सवार थाना रामगंज में रिपोर्ट दर्ज करवाने गया, जहाँ पर उसे कोई संतोषप्रद कार्यवाही का जवाब नही मिला। यदि मौके पर थाना रामगंज पुलिस तत्काल कार्यवाही करके पीड़ित महिला को चिकित्सक परिक्षण करने हेतु भेज देती तो शायद यह बवाल नही होता। पुलिस की संवाद हीनता का लाभ उठाकर मौके पर भारी भीड़ जमा हो गयी। नेतृत्व विहीन भीड़ जमा होने के बाद अराजक बन गई। देखते देखते अराजक भीड़ ने थाने पर पथराव कर दिया और एक एम्बुलेंस, दो पुलिस बाईक, एक निजी बाईक व बिजली पॉवर हाउस से जला डाला। गुस्साई भीड़ ने पुलिस पर हमला करना शुरू कर दिया।
भीड़ के हमले से राम किशन, रमेश चन्द्र, इन्द्राज,विकास, गजेन्द्र, बलवीर, भूपेंद्र चेना, राजेंद्र नामक पुलिस कर्मी घायल हुए। पुलिस द्वारा चलाई गोली से आदिल रईस नामक युवक मारा गया तथा एक अन्य ई रिक्शा चालक की लाश संदिग्ध हालत में मिली। मजेदार बात यह है कि दिनांक 08.09.2017 शुक्रवार को नमाज के पश्चात भीड़ को भड़काऊ भाषण देकर भड़काने वाले शोकत कुरैशी, लतीफ़ आरको व् उनके साथी फिर जिला प्रशासन से बात करने पहुच गये।
सूत्रों के अनुसार शोकत कुरैशी, लतीफ़ आरको, शब्बीर कारपेट के जाकिर नायको के संबंधो की जांच देश की शीर्ष एजेंसी NIA द्वारा की जा रही है। इन सभी भड़काऊ भाषण देने वाले वहाबी आतंकी विचारधारा के लोगो द्वारा मृतक आदिल के नाम पर मुआवजा एवं एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देने के नाम पर लाश नही उठाकर दबाव बनाया गया। तेजी से बिगड़ते हालातो को शीघ्र ही भांपकर जयपुर पुलिस आयुक्त संजय अग्रवाल खुद सडको पर उतर कर आम जन को आश्वस्त करते रहे। शुक्रवार की शाम को हालात बिगड़ते ही पुलिस प्रशासन ने शहर में रामगंज, गलता गेट, सुभाष चोक, माणक चौक थाना क्षेत्र में बेमियादी कर्फ्यू लगा दिया। अफवाहों पर विराम लगाने के लिए जयपुर शहर में इंटरनेट सेवा पर रोक लगा दी गई।
जयपुर वासियों को दिलासा देते हुए पुलिस आयुक्त जयपुर ने निष्पक्ष कार्यवाही करने का भरोसा दिलाया। शीघ्र ही पुलिस ने संवाद कायम करके जन आक्रोश को शांत कर दिया। इसके कारण पहले दिन के बाद आज तक कोई अप्रिय घटना सामने नही आई। कर्फ्यू के दौरान जयपुर पुलिस आयुक्त ने जनता की मदद करने के निर्देश दिए, इसके परिणाम स्वरुप जनता में पुलिस के प्रति गहराया असंतोष शीघ्र ही मिट गया। कर्फ्यू के दौरान जयपुर पुलिस ने बीमार वृद्धो की खूब मदद की और जरुरत की खाद्य सामग्री का पुलिस प्रबंध में वितरण कराकर मानवीय मदद की। पहली बार संवेदन शील जयपुर पुलिस की तस्वीर नजर आई। थाने में अपने बीमार पुत्र को लेकर पहुंची महिला को कर्फ्यू पास देकर मौके पर मौजूद पुलिस ने भरपूर मदद की।
पुलिस गोली में मरने वाले आदिल के परिजनों का समझौता भाजपा के अध्यक्ष अशोक परनामी के घर पर होने के बाद मृतक को दफनाया गया। मृतक आदिल के भाई के परिवाद पर जांच न्यायिक मजिस्ट्रेट को दी गई है। इस मामले में दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही करने का भरोसा भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष परनामी व पुलिस आयुक्त ने दिया है। समाज में लोग सुख चेन की नींद तभी सोते है जब हमारी सीमा पर सेना के जवान एवं शहरो में पुलिस के जवान रातो को जाग कर गश्त करते है। जयपुर शहर की इस घटना ने इस बात को फिर एक बार साबित कर दिया कि जब हमारी पुलिस भेदभाव रहित मुस्तेद होकर कार्य करती है तो कोई भी अप्रिय घटना घटित नही होती है।
जयपुर पुलिस आयुक्त संजय अग्रवाल साहब की मुश्तेदी और उनके सामाजिक संबंधो के बल पर जयपुर की शांति सद्भाव एक बार फिर लौट आई है। यहाँ पर सवाल यह है कि कुछ पुलिस कर्मियों के आचरण को आधार मानकर लाखो लोगो का सुख चेन शहर की शांति सद्भाव को छिनने वाले दंगाईयों की हरकतों को जायज नही ठाहराया जा सकता है। पूर्व में गुर्जर आन्दोलन में हुए हादसों के बाद राज्य सरकार का समर्पण करने का भाव ही लोगो को दुस्साहसी बना रहा है। यहाँ पर मुस्लिम समाज के आम जन का जिला प्रशासन से सवाल है कि शहर में भड़काऊ भाषण देकर भीड़ को भड़काने वाले नेताओ को सम्मान देना जिला प्रशासन कब बंद करेगा। मुट्ठीभर काले लोगो की समाज विरोधी करतूतों के कारण समूचा मुस्लिम समाज लांछित होता है।
नेताओ से भी सवाल है कि क्यों वे अपने समाज को सहनशीलता का पाठ पढाने के बजाय अपनी राजनीती चमकाने के लिए भड़काते है, इस पर भी विचार करने की आवश्यकता है। क्यों उनके अपने लोग सड़क पर कब्जे करके बैठते है, स्थानीय पुलिस क्यों समाज के शांतिप्रिय लोगो के बजाय सफ़ेद पोश अपराधी शोकत कुरैशी, लतीफ़ आरको जैसे गुंडों के सामने समर्पण कर बैठती है। पुलिस की गोली से मरने वाले आदिल और भरत कोडवानी की मौत से शायद हम सबको कोई फर्क नही पड़े, परन्तु भरत की वृद्ध माता के एक मात्र कमाने वाले पुत्र के दुनिया से चलें जाने के बाद उसके जीवन में आने वाले रिक्त स्थान को कोई सरकार नही भर सकती है।
जयपुर शहर की पहचान है की यहाँ पर ईद, दीपावली, तीज, गणगौर, मोहर्रम के त्योहारों हम सब मिल कर मनाते है। हमारी संस्कृति हमारे संस्कार हमे धर्म से अलग अलग होने के बाद भी अपनेपन के भाव से एक दुसरे से जोडती है। विश्व की धरा पर गुलाबी नगरी अपने जन्म से ही अनेकता में एकता के रंग भरकर गंगा, जमुना तहजीब सिखाती है। अब इस शहर की फिजा से नफरत की हवा को रोकने के लिए दोषियों को दण्ड देने के साथ पुलिस का भी थाना स्तर पर कायाकल्प करने की आवश्यकता है। संवेदनशील व्यक्ति दुसरो के दुखो की संवेदना को समझते है।
दुखी पीड़ित व्यक्ति के दुःख को यदि कोई नही समझे तो उस मनुष्य और पशु में कोई अंतर नही रह जाता है। फिलहाल संवेदनशील मानवीय दृष्टिकोण रखकर जयपुर शहर की जनता की सेवा करने वाली पुलिस व् उसके आयुक्त के सार्थक प्रयासों को कोटि कोटि प्रणाम। जीवन में हर घटना एक नई सिख दे जाती है। शायद कर्फ्यू की यह त्रासदी जयपुरवासी व् हमारी पुलिस के लिए एक वरदान साबित हो। जयपुर पुलिस भोले भाले लोगो को अपने राजनैतिक स्वार्थ के लिए भड़काने वाले वहाबी गुंडों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करें जयपुर वासियों को ऐसे दिन दुबारा नहीं देखने पड़े, ईश्वर से यही कामना है।







लेखक : मो. हफीज, व्यूरो चीफ, राजस्थान
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