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हाई कोर्ट ने अगले आदेश तक लगाई फ्लोर टेस्ट पर रोक: तमिलनाडु विधानसभा

आनंद शुक्ल
20 Sep 2017 10:04 AM GMT
हाई कोर्ट ने अगले आदेश तक लगाई फ्लोर टेस्ट पर रोक: तमिलनाडु विधानसभा
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मद्रास हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका पर आज सुनवाई हुई। कोर्ट ने अगले आदेश तक फ्लोर टेस्ट कराने पर रोक लगा दी है। एक गुट का नेतृत्व मुख्यमंत्री ई पलानीसामी कर रहे हैं, तो दूसरे के सेनापति शशिकला के भतीजे टीटीवी दिनाकरन हैं।

चेन्नई: विधानसभा अध्यक्ष द्वारा टीटीवी दिनाकरन गुट के 18 विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका पर आज सुनवाई हुई। कोर्ट ने अगले आदेश तक फ्लोर टेस्ट कराने पर रोक लगा दी है। एक गुट का नेतृत्व मुख्यमंत्री ई पलानीसामी कर रहे हैं, तो दूसरे के सेनापति शशिकला के भतीजे टीटीवी दिनाकरन हैं। पर इस तकरार के लंबा और कटु होने की आशंका है, क्योंकि अंतिम जंग अदालत में लड़ी जा सकती है। सोमवार को राज्य विधानसभा अध्यक्ष पी धनपाल ने दिनाकरन गुट के 18 विधायकों को अयोग्य घोषित करके एक नए विवाद को हवा दे दी।

ये वही विधायक हैं, जो कर्नाटक के एक रिजॉर्ट में रुके थे। अध्यक्ष ने यह कार्रवाई दल-बदल कानून से जुड़े संविधान के अनुच्छेद-10 के तहत की है। इन सभी विधायकों को अध्यक्ष ने नोटिस जारी करके उनके समक्ष उपस्थित होने को कहा था, पर उन्होंने ऐसा नहीं किया। अलबत्ता, उन्होंने गवर्नर विद्यासागर राव से मुलाकात करके समर्थन वापसी का अपना-अपना पत्र सौंपकर मुख्यमंत्री पलानीसामी को हटाने की मांग कर दी।

तमिलनाडु विधानसभा के अध्यक्ष पी. धनपाल ने सोमवार को दिनाकरन समर्थक 18 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था। अध्यक्ष के इस फैसले ऐसा माना जा रहा था कि मुख्यमंत्री ई.पलानीसामी-पन्नीरसेल्वम के नेतृत्व वाले एआईएडीएमके के धड़े को सदन में शक्ति परीक्षण के दौरान बड़ी मदद मिल सकती है।

दिनाकरन की तरफ से बहस करते हुए वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि स्पीकर का आदेश न्याय के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि विधायकों को अधिकार है कि वह मुख्यमंत्री से सपोर्ट वापस ले सकें। अगर सीएम पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं तो वो ऐसा कर सकते हैं। दवे ने कहा कि सरकार का संचालन दिल्ली से किया जा रहा है।

बहरहाल, सात महीने से मुख्यमंत्री की कुरसी पर आसीन पलानीसामी अपनी सरकार बचाने, सियासी बाधाओं को दूर करने, अन्नाद्रमुक का पूरा प्रभार लेने, 'दो पत्ती' वाले चुनाव चिह्न पर दावा हासिल करने और केंद्र के साथ करीबी रिश्ते को उत्सुक हैं। विरोधियों के इस हमले पर कि केंद्र की भाजपा सरकार पिछली सीट पर बैठकर राज्य की सियासत चला रही है, पलानीसामी यही जवाब देते हैं कि 'केंद्र के साथ मिलकर काम करने में आखिर बुराई क्या है?' यह सही है कि अन्नाद्रमुक की आपसी लड़ाई अब निर्णायक बिंदु पर पहुंचती दिख रही है, पर सच यह भी है कि राज्य का सियासी संकट फिलहाल खत्म होता हुआ नहीं दिखता। बीते 18 महीने में वास्तविक तौर पर बिना किसी शासन के भी जो तमिलनाडु देश में 'सर्वश्रेष्ठ शासित राज्य' का दर्जा हासिल कर सका था, वहां कृषि संकट, शिक्षा क्षेत्र में निराशा, सरकारी कर्मियों का आंदोलन, कानून-व्यवस्था की बिगड़ती हालत जैसे तमाम संकेत उभर रहे हैं।

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