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रासुका बना दलितों और मुसलमानों पर राजनीतिक हमले का भाजपा का चाबुक

रासुका बना दलितों और मुसलमानों पर राजनीतिक हमले का भाजपा का चाबुक
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आज़मगढ़ : रिहाई मंच ने सरायमीर तनाव के बाद रासुका के तहत फंसाए गए लोगों के परिजनों से मिलने के बाद रासुका की कारवाई को राजनैतिक कारवाई बताया। प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों, राजीव यादव, लक्ष्मण प्रसाद, मसीहुद्दीन संजरी, अनिल यादव, तारिक शफीक, शाहआलम शेरवानी और सालिम दाऊदी ने शेरवां, राजापुर सिकरौर, सुरही, खरेवां और सरायमीर में पीड़ितों के परिजनों से मुलाकात की।
प्रतिनिधिमंडल से रासुका में निरुद्ध 23 वर्षीय मो० आसिफ के पिता इफ्तेखार अहमद बताते हैं कि रोज़ की तरह वह अपनी सिलाई की दुकान पर गया था, दोपहर में खाना खाने के लिए घर भी आया। 28 अप्रैल की शाम को जब उसका भाई सब्ज़ी लेने के लिए गया तो उसी दौरान 6:30 बजे करीब पुलिस उसे और उसके भाई को तब उठा ले गई जब वह अपने भाई नौशाद से मवेशी खाना स्थित उसकी दुकान पर बात कर रहा था। आसिफ के 3-4 महीने के बच्चे का हवाला देते हुए कहते हैं कि अगर वह बवाल में रहता तो दुकान खोलने क्यों जाता? और इतना ही नहीं वह दोपहर में खाना खाकर दुकान पर गया और गिरफ्तारी तक वहीं रहा। वे कहते हैं कि तीन साल पहले वह मलेशिया छोड़कर आया कि अपने देश आकर दो जून की रोज़ी रोटी कमाएगा। पर उसे क्या मालूम था कि उसे जेल की रोटी तोड़नी पड़ेगी। रासुका के बारे में पूछने वो बोलते हैं कि पुलिस नोटिस देकर गई है और कहा है कि साल भर जेल में बंद रहेगा। 10 जून को रासुका लगाया गया और 18 जून को नोटिस हुई। आसिफ के घर के पास ही मिले बुज़ुर्ग तौहीद अहमद पूछने पर बताते हैं वह जाहिल जपाट था उसे अपने परिवार को पालने से फुर्सत मिलती तब तो वह सियासत करता। आसिफ की पत्नी अपने एक बच्चे के साथ आजकल अपने मायके में रहती है।
रासुका में निरुद्ध राजापुर सिकरौर गांव के 24 वर्षीय शारिब के पिता मो० शाहिद बताते हैं गिरफ्तारी से 15-20 दिन पहले ही उसका निकाह हुआ था। शारिब के मामा ज़िकरुल्लाह ने अपने दोस्त की शादी में मेहमानों को खिलाने पिलाने के लिए उसे और उसके भाई वासिक को बुलाया था। फैज़ान कटरा स्थित अपने मामू के घर अभी दोनों भाई पहुंचे ही थे कि हंगामा सुनकर वहीं रुक गए। एक बजे करीब पुलिस ने उन्हें उठा लिया। हार्ट का ऑप्रेशन करवा चुके मो० शाहिद बताते है कि वे लोग परीशान रहे कि पुलिस उनके बेटों को कहां लेकर चली गई है। वहीं चंद दिनों पहले आई उसकी पत्नी ज़ैनब का रो-रोकर बुरा हाल हो गया था। चंद दिनों पहले हुई अपने बेटे की शादी की बात बताते हुए शाहिद की आंखों में पानी आ जाता है। वे कहते हैं बहुत मुश्किल से 19 जून को शारिब ज़मानत पर रिहा होने वाला था कि देर रात पुलिस वालों ने बैरक में जाकर जगाकर दस्तखत करवाए और उस पर रासुका लगा दिया। शारिब पर भी 10 जून को रासुका लगाया गया और 18 जून को नोटिस हई।
प्रनिधिमंडल रासुका में निरुद्ध राग़िब के गांव सुरही पहुंचा तो वहां मालूम हुआ कि उसके पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं और उसके भाई विदेश में रह अपना परिवार चलाते हैं। राग़िब के भतीजे दानिश रासुका के बारे में पूछने पर बताते हैं कि आज सुबह ही पुलिस वाले आए थे और उसके भाई ज़ाकिर को एक कागज़ दिया है। उसे नहीं मालूम कि उसमें क्या है। राग़िब की गिरफ्तारी के बारे में पूछने पर बताते हैं कि वह हर रोज़ की तरह सुबह मवेशी खाने पर अपने सैलून गया जहां से उसे गिरफ्तार किया गया। वह पहले किराए के एक कमरे में सैलून चलाता था। बहुत मश्किल से उसने अपनी खुद की गुमटी बना ली थी। परिवार को समझ में नहीं आ रहा है कि लम्बी अवधि तक उसकी हिरासत के बाद घर कैसे चलेगा और मुकदमा किस तरह लड़ा जाएगा।
सरायमीर तनाव में गंभीर रूप से घायल महीने भर जेल काटने के बाद घर लौटे अबूज़र से भी मुलाकात हुई। वह बताते हैं कि वे अपने दोस्त अहमद के साथ सरायमीर से खरेवां मोड़ शादी में जा रहे थे तभी मची अफरातफरी में वे फैज़ान कटरे में चले गए जहां कटरे एंव मुख्यमार्ग के कुछ दुकानदारों ने खुद को बचाने के लिए कटरे में जाकर ताला बंद कर लिया था। पुलिस ने ताला तोड़कर 12 लोगों को गिरफ्तार कर बहुत मारा पीटा। अबूज़र के साथ गए अहमद को तो एसएचओ ने पुरानी किसी बात को लेकर गाड़ी में से निकाल कर बुरी तरह मारा पीटा। यह मारपीट तत्कालीन एसएसपी अजय साहनी के निर्देश पर हो रही थी। अबूज़र की स्पलेंडर गाड़ी को तोड़ दिया और गिरफ्तारशुदा सभी को थाना रानी की सराय में रखा गया। वहां भी इन्हें मारा पीटा गया। दो महीने बाद भी कूल्हे और हाथ की गंभीर चोटों को दिखाते हुए अबूज़र बताते हैं कि उन्होंने पुलिस से इलाज के लिए कहा लेकिन उनकी नहीं सुनी गई और दूसरे दिन उनको कोर्ट में पेश कर दिया गया। वह दर्द से कराहता रहा। जेल जाने के बाद वकील की मार्फत अदालत में तीन-तीन बार प्रार्थनापत्र देने पर एक हफ्ता बाद उन्हें इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया। अस्पताल में एक्सरे किया गया तो पता चला कि उसका बांया हाथ और बायें कूल्हे की हड्डी टूट गई है। प्रतिनिधिमंडल से सुरही गांव के अहमद की भी मुलाकात हुई जिन्हें भी गंभीर चोटें आई थीं।
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि फेसबुक पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले आरोपी अमित साहू पर रासुका लगाने की मांग को नकारते हुए मुस्लिम समुदाय के लोगों पर रासुका लगाना राजनीति से प्रेरित है। सरायमीर तनाव में 34 नामज़द व्यक्तियों पर मुकदमा और 18 गिरफ्तारियों के बाद रिहाई से ठीक पहले 3 लोगों पर रासुका की कारवाई पुलिस प्रशासन की बदले की भावना से की गई कारवाई है। तत्कालीन थानाध्यक्ष राम नरेश यादव पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने न सिर्फ हिंदू समाज पार्टी के अमित साहू जैसे साम्प्रदायिक व्यक्ति का संरक्षण किया बल्कि पुलिस और मुस्लिम समाज के बीच के संवाद को पुलिसिया कारवाई कर साम्प्रदायिक तनाव का रूप दे दिया। सरायमीर तनाव में जिस तरीके से पुलिस ने खुलेआम तोड़फोड़ और हमले किए जिसके वीडियो मौजूद हैं, वह तत्कालीन एसएसपी अजय साहनी की भूमिका को भी संदिग्ध बना देती है। रासुका में निरुद्ध किए गए लोग छोटे व्यवसायी और गरीब तबके से हैं, उनसे समाज व राष्ट्र की सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है। ऐसे में उनपर रासुका का कोई औचित्य नहीं है।
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