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बीजेपी सांसद ने आरक्षण को लेकर सरकार की खिलाफत शुरू

बीजेपी सांसद ने आरक्षण को लेकर सरकार की खिलाफत शुरू
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बहराइच की बीजेपी सांसद सावित्री बाई फूले ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ आवाज उठाते हुए कहा कि आरक्षण को ख़त्म करने की साजिश की जा रही है और हमारी सरकार चुपचाप बैठी है. फूले ने कहा कि 1 अप्रैल को वो लखनऊ में पार्टी के भीतर आरक्षण के खिलाफ उठने वाली आवाज़ोंं के लिए प्रोटेस्ट करेंगी.
मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, "संविधान और आरक्षण को लेकर लगातार बहस चल रही है और आरक्षण को खत्म करने की कोशिश की जा रही है. पिछले साल हमने नानंपारा बहराइच में भी इस मुद्दे को उठाया था, लेकिन इस साल लखनऊ के कांंशीराम स्मृति उपवन में मैं 'आरक्षण बचाओ' रैली करने जा रही हूं." फूले ने कहा, " मैं आरक्षण को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हूं. मैं लगातार समाज के पिछड़े लोगों के लिए काम कर रही हूं मुझे फर्क नहीं पड़ता कि लोग या पार्टी क्या कहती है. अगर आरक्षण खत्म हो जाएगा तो समाज के पिछड़े लोगों को समाज में उनकी पहचान नहीं मिल पाएगी. लेकिन सरकार इस मुद्दे की बिल्कुल भी चिंता नहीं कर रही है." हालांकि बीजेपी सांसद ने बीजेपी के किसी भी नेता का नाम नहीं लिया.
हाल ही में हुए राज्यसभा चुनावों के दौरान भी सुहलदेव पार्टी के मुखिया और मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने भी सबके सामने योगी आदित्यनाथ की बीजेपी सरकार को लेकर अपनी असहमति जताई थी. बाद में बीजेपी प्रेसिडेंट अमित शाह से मिलने के बाद राजभर को शांत किया गया. गोरखपुर और फूलपुर उपचुनावों में बीजेपी की हार के बाद कई सहयोगी पार्टियों ने योगी की सरकार के खिलाफ अपनी आवाजें उठाई हैं. राजभर ने सबके सामने खुलकर योगी सरकार के खिलाफ अपना गुस्सा ज़ाहिर किया और कहा कि योगी सबको साथ लेकर चलने में असफल साबित हुए हैं. ओबीसी समुदाय के नेताओं को राज्य में नज़रअंदाज़ किया जा रहा है.
राजभर और फूले के अलावा पूर्व बीजेपी सांसद रमाकांत यादव ने राज्य में सरकार के काम पर सवाल उठाया और कहा कि बीजेपी के टॉप नेताओं ने सीएम पद के लिए जिसे चुना है वो पूजा-पाठ में व्यस्त रहता है और सरकार चलाने में असफल है. सांसद ने ये भी आरोप लगाया कि कुछ खास जातियो के लोगों को ही योगी सरकार अहमियत दे रही है. गोरखपुर और फूलपुर चुनावों की हार पर यादव ने कहा, "ये चुनावी नतीजे दलित और पिछड़ी जातियों को नज़रअंदाज करने की वजह से आये हैं मैं अपनी पार्टी से कहना चाहती हूं कि अगर 2019 में संतोषजनक नतीजे चाहिए तो पिछड़ी जातियों और दलितों को साथ में लेकर चलना ही पड़ेगा."

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