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इसे पढ़कर आपको लगता है कि फेरी लगाने वाले वो मजदूर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं...?

जनपद बाराबंकी के थाना रामनगर स्थित महादेवा प्रकरण में न्याय व विधि के विरुद्ध रासुका लगाए जाने पर प्रतिनिधि मंडल का मांग पत्रक।
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जनपद बाराबंकी के थाना रामनगर स्थित महादेवा प्रकरण में न्याय व विधि के विरुद्ध रासुका लगाए जाने पर प्रतिनिधि मंडल का मांग पत्रक।
जनपद बाराबंकी के थाना रामनगर स्थित महादेवा प्रकरण में न्याय व विधि के विरुद्ध रासुका लगाए जाने पर प्रतिनिधि मंडल का मांग पत्रक।

जनपद बाराबंकी के थाना रामनगर स्थित महादेवा प्रकरण में न्याय व विधि के विरुद्ध रासुका लगाए जाने पर प्रतिनिधि मंडल का मांग पत्र एक पुलिस अधीक्षक बाराबंकी को सौंपा. जिसमें उक्त घटना का संज्ञान लेते हुए सही कार्यवाही करने के लिए प्रार्थना की गई है. इस प्रर्थना पत्र में बेगुनाहों को न्याय दिए जान की मांग की गई है.


पुलिस अधीक्षक को दिए गये मांग पत्र में निम्न मांगे रखी गई है. जिन पर उचित कार्यवाही करने को कहा गया है.

1- यह कि 14 मार्च 2018 को थाना रामनगर में 395, 397, 354 क, 295 ए, 7 क्रिमिनल लाॅ एक्ट के तहत महादेवा में हुई वारदात को लेकर षिव भगवान शुक्ला ने मुकदमा पंजीकृत करवाया, इसके बाद मुस्लिम समुदाय के 12 लोगों की गिरफ्तारियां हुई और 20 मार्च 2018 को उनमें से चार को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत निरुद्ध कर दिया गया।
2- यह कि रासुका के तहत निरुद्ध व्यक्तियों के परिजनों से मुलाकात और घटना की पड़ताल में यह पाया गया कि शोभायात्रा के दौरान शाह फहद अपनी बहन के साथ मोटर बाइक से आ रहा था। बहन पर गुलाल फेंके जाने के बाद कहा सुनी हुई जो बाद में दो समुदायों के बीच मारपीट में बदल गई। लेकिन इसके तुरंत बाद दोनों पक्ष नरम हो गए और मामला शांत हो गया। मीडिया रिपोर्ट भी यही बताती है।
3- यह कि घटना के बाद राजनीतिक दबाव के चलते 12 लोगों की गिरफ्तारियां की गईं। इस बात की पुष्टि गिरफ्तार व्यक्तियों के परिजन भी करते हैं कि दूसरे दिन पुलिस सुबह 9 से 10 बजे के बीच आई और पूछताछ के नाम पर उन्हें थाने ले जाने की बात कही। जिसके बाद वो नहीं आए और उन्हें जेल भेज दिया गया था।



4- यह कि एसएचओ झनझनलाल सोनकर ने 15 मार्च 2018 को अपने छह सहयोगियों के साथ 12 अभियुक्तों को मुखबिर की सूचना के आधार पर साढ़़े 11 बजे मड़ना मोड़ चैराहे से गिरफ्तार किए जाने का जो दावा किया वो बेबुनियाद व तथ्यों से परे है। उन्होंने अभियुक्तों के नेपाल भागनेे की तैयारी की भी बात कही। यहां यह सवाल उठता है कि उन्होंने 12 लोगों को 6 सहयोगियों के साथ कैसे गिरफ्तार किया?

5- यह कि संचार माध्यमों में 'एसपी ने बताया कि गुलाल पड़ने को लेकर यह विवाद हुआ है। स्थिति अब पूरी तरह से सामान्य है, कार्रवाई की जा रही है। मूर्ति संबंधित किसी भी आरोप को एसपी ने झूठा बताया है।' वहीं षिवभगवान शुक्ला ने दर्ज कराई एफआईआर में कहा है कि 14 मार्च को सरयूपुर में भगवान षिव की प्राण प्रतिष्ठा हेतु महादेवा के ग्राम वासियों के साथ डेढ़ बजे ट्रालियों से आए। इन लोगों ने लाई गई मूर्तियों में से लड्डू गोपाल की पीतल की मूर्ति को उठाकर फेंक दिया, एक मूर्ति उठा ले गए।




6- यह कि मूर्ति को लेकर एफआईआर और प्रषासनिक बयान में भारी अन्तर्विरोध है। अगर मूर्ति के विषय में एफआईआर कर्ता का आरोप गलत है तो यह सांप्रदायिकता भड़काने की कोषिष है। क्योंकि मीडिया रिपोर्ट में आई खबरों के मुताबिक 6 टैªक्टर ट्राली, एक बोलेरो और कुछ मोटर साइकिल से शोभायात्रा आ रही थी। ऐसे में यह अपने आप में सवाल है कि षिवभगवान शुक्ला द्वारा दर्ज एफआईआर के मुताबिक 40-45 लोग इतना बड़ा हमला कैसे कर सकते हैं कि जिसमें सिर्फ एक समुदाय के लोग ही घायल हुए।
7- यह कि एसपी महोदय का बयान है कि गुलाल पड़ने को लेकर यह विवाद हुआ। तो सवाल उठता है कि आखिर गुलाल फेंकने से पैदा हुए तनाव पर एफआईआर क्यों नहीं दर्ज हुई। अगर मुस्लिम समुदाय ने नहीं किया तो क्या पुलिस की यह जिम्मेदारी नहीं थी?
8- यह कि प्रतिनिधि मंडल ने पाया कि 14 मार्च 2018 को हुए सांप्रदायिक तनाव के बाद दोनों पक्ष नरम हो गए और मामला शांत हो गया। इसे एसपी महोदय के बयान में भी देखा जा सकता है कि 'स्थिति अब पूरी तरह से सामान्य है।'
9- यह कि मीडिया रिपोर्ट के अनुसार स्थानीय विधायक शरद अवस्थी, रामबाबू द्विवेदी, हिंदू युवा वाहिनी और हिंदू साम्राज्य परिषद जैसे संगठनों का दबाव था। जिससे दूसरे दिन पुलिस ने मुस्लिमों को घरों से बुलाकर मड़ना मोड़ चैराहे से गिरफ्तार करने की झूठी कहानी बनाई। जिसकी अविष्वसनीयता पर ऊपर (पैरा 4 पर) बात की जा चुकी है।
10- यह कि प्रतिनिधि मंडल ने पाया कि महादेवा में हिन्दू-मुस्लिम समुदाय बहुत मेलजोल से रहते हैं। इसकी पुरानी विरासत है। इसका सबूत है मंदिर के बहुत नजदीक मस्जिद का होना।
11- यह कि महादेवा मंदिर के पुजारी आदित्यनाथ तिवारी ने पिछली षिवरात्रि के मेले के दौरान जामा मस्जिद के माइक को जबरन हटवाने की कोषिष की थी। पर दोनों समुदायों की आपसी सूझबूझ से यह सांप्रदायिक कोषिष नाकाम रही।
12- यह कि उपर्युक्त तथ्य बताते हैं कि राजनीतिक दबाव के चलते समुदाय विषेष के चार व्यक्तियों रिजवान उर्फ चुप्पी, जुबैर, अतीक और मुमताज पर रासुका के तहत कार्रवाई की गई है।
13- यह कि प्रतिनिधि मंडल ने पाया कि रासुका के तहत जिन व्यक्तियों पर कार्रवाई की गई है उनसे राष्ट्रीय सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है। बल्कि उनके जेल में कैद होने से उनके परिवार का जीवन जरुर खतरे में है। ये लोग फेरी लगाकर, मेहनत-मजदूरी कर किसी तरह अपने परिवार का जीवन यापन करते थे। इनकी रिहाई से समाज में भय या नफरत फैलने का कहीं से कोई खतरा नहीं है।
यह प्रतिनिधि मंडल आपसे न्यायहित में मांग करता है कि रिजवान उर्फ चुप्पी, जुबैर, अतीक और मुमताज पर लगा रासुका खारिज किए जाने की सिफारिष की जाए। इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। जांच इसलिए भी जरुरी है ताकि राजनीतिक उद्देष्यों के चलते समुदाय विषेष के मानवाधिकार व लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन न हो।

शिव कुमार मिश्र

शिव कुमार मिश्र

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