गाजियाबाद

एटा फर्जी एनकाउंटर में 16 साल बाद आया CBI कोर्ट का फैसला: तत्कालीन SO समेत 5 को उम्रकैद, 4 पुलिसकर्मियों को पांच साल की सजा

Arun Mishra
21 Dec 2022 11:04 AM GMT
एटा फर्जी एनकाउंटर में 16 साल बाद आया CBI कोर्ट का फैसला: तत्कालीन SO समेत 5 को उम्रकैद, 4 पुलिसकर्मियों को पांच साल की सजा
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इस फैसले के बाद सभी दोषियों को न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया।

उत्तर प्रदेश के एटा जिले में साल-2006 में हुए फर्जी एनकाउंटर में दोषी करार दिए गए 9 पुलिसवालों को गाजियाबाद की CBI अदालत ने बुधवार को सजा सुनाई है। तत्कालीन थानाध्यक्ष समेत 5 पुलिसवालों को उम्रकैद और 4 पुलिसवालों को पांच-पांच साल कैद की सजा विशेष न्यायाधीश परवेंद्र कुमार शर्मा की अदालत ने सुनाई है। ये फैसला करीब 16 साल बाद आया है। इस फैसले के बाद सभी दोषियों को न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया।

किसको कितनी सजा सुनाई?

CBI के विशेष लोक अभियोजक अनुराग मोदी ने बताया, अदालत ने 5 पुलिसकर्मियों पवन सिंह, श्रीपाल ठेनुआ, सरनाम सिंह, राजेंद्र प्रसाद और मोहकम सिंह को हत्या व साक्ष्य छुपाने का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए 33-33 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है।

जबकि सिपाही बलदेव प्रसाद, अवधेश रावत, अजय कुमार और सुमेर सिंह को साक्ष्य मिटाने और कॉमन इंटेंशन का दोषी पाते हुए पांच-पांच साल कैद की सजा व 11-11 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। इस एनकाउंटर में शामिल रहे 10वें पुलिसकर्मी सब इंस्पेक्टर अजंट सिंह की पहले ही मृत्यु हो चुकी है।

बढ़ई को डकैत बताकर मारा

एटा जिले के सिढ़पुरा थाना क्षेत्र में 18 अगस्त 2006 को एक एनकाउंटर पुलिस ने किया। इसमें राजाराम नामक एक व्यक्ति मारा गया। पुलिस के मुताबिक, ये डकैत था और कई घटनाओं में शामिल रहा था। पुलिस ने उस वक्त दावा किया था कि राजाराम उस रात को भी डकैती की वारदात करने के लिए जा रहा था।

राजाराम पेशे से बढ़ई (फर्नीचर कारीगर) था। वो पुलिसवालों के घर भी काम करता था। एनकाउंटर में मारने के बाद पुलिसवालों ने उसकी लाश अज्ञात में दिखाई। अच्छे ढंग से जान-पहचान के बावजूद कागजातों में उसका नाम लिखना उचित नहीं समझा। राजाराम पर एक भी केस दर्ज नहीं था, लेकिन पुलिस ने उसको डकैत बताकर मार दिया था। जिस सिढ़पुरा थाना क्षेत्र में ये एनकाउंटर हुआ था, ये थाना आज कासगंज जिले में आता है।

मृतक राजाराम की पत्नी संतोष कुमारी इस केस को हाईकोर्ट में ले गईं। उन्होंने अदालत को बताया, 18 अगस्त 2006 को बहन राजेश्वरी की तबियत खराब हो गई थी। पूरा परिवार राजेश्वरी को लेकर गांव पहलोई में डॉक्टर के पास जा रहा था।

दोपहर के तीन बजे पहलोई और ताईपुर गांव के बीच ईंट भट्ठे के पास सिढ़पुरा थाने के थानाध्यक्ष पवन सिंह, सब इंस्पेक्टर श्रीपाल ठेनुआ, अजंत सिंह, कांस्टेबल सरनाम सिंह, राजेंद्र कुमार आदि अपनी जीप से पहुंचे और पूरे परिवार को रोक लिया। इसके बाद वे परिवार की आंखों के सामने राजाराम को अपनी जीप में डालकर ले गए।

इसके बाद पूरा परिवार जब सिढ़पुरा थाने पर पहुंचा तो पुलिसकर्मियों ने कहा कि राजाराम से एक केस के सिलसिले में पूछताछ करनी है। अगली सुबह उसे छोड़ दिया जाएगा। अगली सुबह जब राजाराम की पत्नी संतोष कुमारी फिर से थाने पर गई तो पुलिस ने बताया कि उसको पहले ही यहां से घर भेजा जा चुका है।

जबकि राजाराम घर नहीं पहुंचा था। 20 अगस्त 2006 को संतोष कुमारी को जानकारी हुई कि गांव सुनहरा के पास पुलिस ने एक एनकाउंटर किया है। अखबारों में मृतक की जो तस्वीर छपी, वो राजाराम की थी।

2 साल में चार्जशीट, 7 साल तक कोर्ट में चली सुनवाई

23 अगस्त को संतोष कुमारी ने फर्जी एनकाउंटर का आरोप लगाते हुए 5 बार शिकायत पुलिस से की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। एटा के SSP को कोरियर से शिकायती पत्र भेजा, लेकिन उन्होंने भी अनसुना कर दिया। इसके बाद संतोष कुमारी ने हाईकोर्ट की शरण ली। साल-2007 में हाईकोर्ट ने इस केस की CBI जांच का आदेश दिया था।

CBI ने एक जून 2007 को ये केस दर्ज किया और जांच करके 22 जून 2009 में 10 पुलिसकर्मियों के खिलाफ चार्जशीट लगा दी। इसकी सुनवाई गाजियाबाद की CBI अदालत में हुई। CBI अदालत में 4 दिसंबर 2015 को ये केस ट्रायल पर आया। कुल 202 गवाह अदालत में पेश हुए।

सुनवाई के दौरान 10 में से 1 पुलिसकर्मी सब इंस्पेक्टर अजंट सिंह की मृत्यु हो चुकी है। CBI की अदालत ने बीते मंगलवार को शेष जीवित 9 पुलिसकर्मियों को हत्या और साक्ष्य मिटाने का दोषी करार दिया। सजा पर आज यानि बुधवार को फैसला आना है।

ये पुलिसवाले ठहराए गए हैं दोषी

पवन सिंह, तत्कालीन थानाध्यक्ष थाना सिढ़पुरा। मूल निवासी गांव बदेहरी, थाना छपार (मुजफ्फरनगर)

श्रीपाल ठेनुआ तत्कालीन सब इंस्पेक्टर। मूल निवासी गांव बदेहरी, थाना छपार (मुजफ्फरनगर)

सरनाम सिंह, तत्कालीन कांस्टेबल। मूल निवासी करुणामयी नगरिया, थाना बेवर (मैनपुरी)

राजेंद्र प्रसाद, तत्कालीन कांस्टेबल। मूल निवासी गांव डिनौली, थाना टूंडला (फिरोजाबाद)

मोहकम सिंह, तत्कालीन जीप ड्राइवर। मूल निवासी गांव नंगला डला, करहल (मैनपुरी)

बलदेव प्रसाद, तत्कालीन कांस्टेबल। मूल निवासी गांव कस्बा हरपालपुर (हरदोई)

अवधेश रावत, तत्कालीन कांस्टेबल। मूल निवासी गांव नंगला तेजा, थाना रूवेन (आगरा)

अजय कुमार, तत्कालीन कांस्टेबल। मूल निवासी गांव धीप, थाना घिरौर (मैनपुरी)

सुमेर सिंह, तत्कालीन कांस्टेबल। मूल निवासी गांव नंगला तेजा, थाना रूवेन (आगरा)

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