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गरीब के पास तो बस सच्ची हाय है!

गरीब के पास तो बस सच्ची हाय है!
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सांकेतिक तस्वीर
सच सोना है पर सोना खोटा नही होता,सच खोटा है क्योंकि आज कलयुग में वह हजम नहीं होता.
सच सोना है पर सोना खोटा नही होता,सच खोटा है क्योंकि आज कलयुग में वह हजम नहीं होता, कितने सच के प्रेमी है जो सच के साथ खड़े होतें है जरा सोचो रात्री के 2 पहर पूरे हो चुके है और मैं सोचने को मजबूर की समाज आखिर जा किस दिशा में रहा है। देश आजाद है परंतु आचार और विचार, सच जेल की सलाखों में बंद है। न अंग्रेजों के सामने कोई बोलने वाला था और न आज इस आजाद भारत में बोलने वाला दिखाई दें रहा है सब धन की दौड़ में मूर्ख बनकर 100 मीटर की रफ्तार से दौड़ रहें है। आम नागरिक, विधायक और सांसद तक परेशान है। शायद जब प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी मात्र सांसद रहते हुए सन्त थे तब वह विचारते होंगे कि सत्ता मेरे हाथ मे आजाए में राम राज्य ला दूंगा।लेकिन जब चांबी उनके हाथ में आई तो अब जनता पूछ रही है सन्त जी कैसे मिलेगा न्याय और राम राज्य।

इस प्रदेश में आज भी जातिवाद और महत्वपूर्ण पदों पर बैठें अधिकारियों को धन कमाने की लालसा है इस कारण जनता का शोषण हो रहा है तहसील और थाना, चौकी में नोट हावी है सत्ता के नेता फैल है और नोट कामयाब है। इस कारण सच्चे जूते खाते दिखाई पड़ रहे है और झूठे मलाई खाते नजर आ रहें है।आज गरीब की कौंन सुनेगा जब एक इंस्पेक्टर को हटवाने के लिए विधायक को आईजीआरएस में शिकायत करनी पड़ी और तब भी उनको सफलता नहीं मिली। तो प्यारों विचार लों सच को पीटने दो, झूठ को मस्ती लेने दो, गरीब पिटता है पिटता ही रहेगा, अमीर बढ़ता है बढ़ता ही रहेगा। सरकार आती और जाती रहेगी, गरिब पिसता है और पिसता ही रहेगा।

क्या अमीर की बेटी की हत्या होती तो क्या पुलिस गरीब परिवार की लड़की का अंतिम संस्कार करवाने मथुरा भिजवाने की ताकत रखती थी नहीं। गरीब परिवार था इस कारण ही तो उस गरीब के साथ उस पल में कोई ताकत नहीं थी। गरीब की ताकत पेट की हाय होती एक लड़की की मौत ने अमीरों, नेताओं और सत्ता में बैठें अधिकारियों को बेनकाब किया।जातिगत आधार पर सीट तो बच जाती है पर गरीब की हाय से चैन और रात का सोना खो जाता है।इस लिए असली सुख सोना नहीं देता, ईमानदारी की नीद स्थान नहीं देखती वह तो सड़क पर भी बैरागी बनकर आ जाती है।
सर्वेश शर्मा
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