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क्या सपा बसपा के साथ आने से हिल गई भाजपा?

क्या सपा बसपा के साथ आने से हिल गई भाजपा?
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सपा बसपा के साथ आने से फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा का उपचुनाव बहुत ही रोचक हो गया है. अब चुनाव बिलकुल निर्णायक स्तिथि में पहुँच चूका है. मुकाबला भी बेहद कड़ा हो चूका है.

समाजवादी पार्टी को इन दोनों सीटों पर कई और छोटे छोटे दलों का भी समर्थन प्राप्त हो चूका है. लेकिन कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार को सशक्त बताते हुए सपा के समर्थन नहीं करने का ऐलान कर दिया है. उपचुनाव में मुकाबला भी कड़ा दिख रहा है, तो वहीँ जुबानी जंग भी स्पीड पकडती नजर आ रही है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में चुनावी जनसभा की और विरोधी दलों का जमकर उपहास उड़ाया. योगी ने कहा कि जिस तरह से तूफ़ान आने पर सांप और छछुंदर एक साथ आ जाते हैं, वैसे ही सपा और बसपा राजनीतिक रूप से साफ़ हो जाने के बाद एक-दूसरे के साथ आ गए हैं.

हालांकि इस उपचुनाव में सपा बसपा ने हाथ जरुर मिला लिए है लेकिन चुनावी प्रचार में बीजेपी से काफी पिछड़ती नजर आ रही है. बीजेपी के चुनाव प्रचार की कमान खुद योगी आदित्यनाथ संभाल रहे है तो सपा के प्रचार से अभी अखिलेश यादव दूर नजर आ रहे है. योगी ने गोरखपुर में जनसभा के दौरान त्रिपुरा और नागालेंड की जीत की भी बात की और सपा बसपा को जमकर लताड़ लगाई.

योगी ने पहले इलाहाबाद में और फिर गोरखपुर में भी पिछली सरकारों से अपनी सरकार की तुलना कुछ इस तरह की, पिछली सरकारें कभी अयोध्या में प्रतिबंध लगाकर तो कभी आयोजनों को रोक करके त्योहारों पर प्रतिबंध लगाती थीं. जब से बीजेपी की सरकार है, ऐसा नहीं हुआ. लोग कहते थे कि होली ज़ुमे के दिन पड़ रही है. हमने कहा कि ज़ुमा तो साल में 52 दिन आएगा, होली तो सिर्फ़ एक दिन आएगी. होली में कोई व्यवधान नहीं होना चाहिए.

योगी ने यही बात एक दिन पहले फूलपुर की जनसभाओं में भी की थी और कहा था कि इसी वजह से ज़ुमे का समय दो घंटे बढ़ाना पड़ा. जानकारों का कहना है कि योगी ने इसके ज़रिए चुनावी एजेंडे को भी तय कर दिया है. इसी सभा में योगी की मौजूदगी में उनके मंत्री नंद गोपाल नंदी ने भी सपा और बसपा नेताओं का जमकर मजाक उड़ाया और उनको रामायण का पात्र बताकर हमला बोला.

वहीँ अगर अंदर की बात करें तो भाजपा और योगी को पता है कि उन्हें वोट कैसे मिलेगा. सपा और बसपा के साथ आने से वो दिखाएं भले ही कि उन्हें फ़िक्र नहीं है लेकिन अंदर से हिले हुए हैं. गोरखपुर में तो ख़ासकर योगी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. ऐसे में अपने समर्पित और कट्टर हिन्दू वोट को खिसकने नहीं देना चाहते.


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