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सपा ने किया गोरखपुर, फूलपुर लोकसभा सीट से उम्मीदवार घोषित

सपा ने किया गोरखपुर, फूलपुर लोकसभा सीट से उम्मीदवार घोषित
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समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार को उपचुनाव से पहले पूर्वांचल की दो पार्टियों के साथ गठबंधन करने का ऐलान किया. इस दौरान गोरखपुर सीट पर होने वाले उपचुनाव पर अखिलेश यादव ने इंजीनियर प्रवीण कुमार निषाद को उप चुनाव का प्रत्याशी घोषित किया है. प्रवीण निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ संजय निषाद के बेटे हैं. इसके साथ ही सपा उपचुनाव के लिए पीस पार्टी ने भी अपना समर्थन दिया है. बाद में फूलपुर सीट से नागेन्द्र प्रताप सिंह पटेल की उम्मीवारी पर भी मुहर लगा दी.
वहीं सीएम योगी की सीट पर सपा के चुनाव चिन्ह पर इंजीनियर प्रवीण निषाद चुनाव लड़ेंगे. अखिलेश यादव ने पीस पार्टी और निषाद पार्टी का समर्थन मिलने पर धन्यवाद दिया है. माना जा रहा है कि गोरखपुर उपचुनाव के लिए अखिलेश ने नई रणनीति बनाई है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रेस कांफ्रेंस में गोरखपुर सीट के उपचुनाव के लिए प्रवीण निषाद को पार्टी का प्रत्याशी घोषित किया. बाद में पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक में उन्होंने फूलपुर सीट से नागेन्द्र प्रताप सिंह पटेल की उम्मीवारी पर भी मुहर लगा दी.
इस मौके पर अखिलेश यादव ने कहा कि हम पूरी तरह से तैयार हैं, लड़ेंगे और लड़कर जीतेंगे. इस उपचुनाव में हम केंद्र के घोषणा पत्र और विधानसभा के घोषणा पत्र को लेकर जाएंगे, अब सच्चाई पर चर्चा हम करेंगे. इन्होंने पहले चाय पर चर्चा करके उलझाया, अब पकौड़े पर उलझाने की तैयारी कर ली है. उन्होंने कहा कि आज किसान कर्ज की वजह से मर रहे हैं. लेकिन इनके सहयोग से लोग कागज पर प्लान दिखा कर अरबों-खरबों रुपए लेकर भाग गए.
निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार निषाद ने कहा कि मुसलमानों और निषादों की बीमारी अब एक जैसी हो गयी है. ऐसे में इस बीमारी का इलाज भी एक जैसा होना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर हम एक हो जाएं तभी दुश्मन से लड़ सकते हैं. बता दें, कि सीएम योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे से रिक्त हुई गोरखपुर और फूलपुर संसदीय सीट पर उपचुनाव का बिगुल बज गया है. नामांकन की प्रक्रिया शुरू है और छोटे दलों ने दस्तक देनी शुरू कर दी है. यह दोनों सीटें बीजेपी की रही हैं.
इस उपचुनाव में बीजेपी जहां अपनी सीट बचाने को पूरी ताकत लगायेगी. वहीं विपक्षी दल भी इसी उप चुनाव के जरिये 2019 के आम चुनाव की भूमिका तैयार करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते. छोटे दल अपनी मौजूदगी से बड़ों का खेल बिगाड़ने की तैयारी में हैं.

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