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अपने जिगर के टुकड़े को क्यों बांध रखा है खूंटे से, रोने लगे माँ बाप!

अपने जिगर के टुकड़े को क्यों बांध रखा है खूंटे से, रोने लगे माँ बाप!
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यूपी के गोंडा के रहने वाले 17 साल के एक शख्स को बीते 13 सालों से उसके मां-बाप ने खूंटे से बांध कैद रखा है. क्योंकि लड़का पागलों की तरह हरकतें करने लगा था. वो घर से एकाएक लापता हो जाता है. इसी डर से आज एक दंपति अपने कलेजे को टुकड़े को खूंटे से बांधकर 13 सालों से रखे हुए है. लड़का जापानी इंसेफ्लाइटिस बीमारी की चपेट में आने के बाद ऐसी हरकत करने लगा है.
पूर्वांचल के सात जिले जापानी इंसेफ्लाइटिस नाम की इस खौफनाक बीमारी से ग्रस्त है. इसकी चपेट में आए 30 फीसदी मरीजों की मौत हो जाती है, बाकि 20 फीसदी किसी न किसी तरह की शारीरिक विकलांगता का शिकार हो जाते हैं. इस बीमारी के शिकार ज्यादातर बच्चे होते हैं.

मिश्रौलिया कला गांव का रहने वाला हेमंत पांडेय बीमारी का शिकार बना. उसे 8 साल की उम्र में दिमागी बुखार ने अपने आगोश में ले लिया था. मां-बाप ने काफी इलाज करवाया, लेकिन वो आजतक ठीक नहीं हो पाया. यही वजह है कि दिमागी बुखार का शिकार ये शख्स बीते 13 सालों ये खूंटे से बंधा हुआ है.
क्या बोली बेबस मां
हेमंत की मां इंद्रावती पांडेय ने बताया कि जब मेरे बेटे को दिमागी बुखार हुआ था. तब हमने उसे गोरखपुर मेडिकल काॅलेज में भर्ती कराया था. वहां हालत में सुधार न हो पाने के कारण लखनऊ में प्राइवेट इलाज करवाया.
मेरे बेटे की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ. अब हम लोगों के पास रूपये नहीं है कि हम लोग अपने बेटे का इलाज बड़े अस्पतालों में करवा सके. हम मजबूर हैं.
हेंमत के पिता राम कृष्ण पांडेय बेटे की हालत को देखकर काफी दुखी हो जाते हैं. उन्होंने बताया कि क्या करें 13 सालों से इसी तरह बेटे को खूंटे में बंधकर इसलिए रखा है. क्योकि वो भागकर जंगल की तरफ चला जाता है. कई बार हम लोग उसे पकड़ कर ला चुके हैं.
राम कृष्ण बताते है कि अपने बेटे के भविष्य को लेकर हम मजबूर हैं. वहीं मां-बाप के चेहरे पर बेटे के इस रूप को लेकर साफतौर पर दर्द झलकता है, लेकिन वो करें तो क्या करें.
ये हैं दो गंभीर बीमारियों
एंट्रोवायरल और स्क्रबटाइफस ये दो ऐसी बीमारियां है जिसकी चपेट में आने से सबसे ज्यादा बच्चों की मौतें हो रही हैं. इस बीमारी को रोकने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि हर घर में शौचालयों का निर्माण हो, वहीं जल और मल के मिश्रण को तत्काल रोका जाए. तभी इस बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सकता है.
क्या हैं बीमारी के लक्षण
इस बीमारी में रोगी को तेज सिर दर्द होता है. बुखार होता है. इसके अलावा इसका कोई प्रत्यक्ष लक्षण नहीं होता. कुछ छोटे बच्चों में गर्दन में अकड़न, कंपकंपी, शरीर में ऐंठन जैसे लक्षण होते हैं.
इस तरह करें बचाव
इस बीमारी का वाहक मच्छर होता है इसलिए जरूरी यही है कि मच्छरों से बचाव किया जाए. इसके लिए घर में मच्छर और कीटनाशकों का छिड़काव करें. वहीं घर से बाहर निकलते वक्त खुद को ढक कर निकलें. सोते समय मच्छरदानी लगाएं. घर के आस-पास पानी का जमाव न होने दें. इसके साथ एंफेलाइटिस से बचाव के लिए वैक्सीन लगवाएं.
पूर्वांचल में कोहराम बचाने वाली इस बीमारी से हर साल हजारों बच्चों की जान लेती है. इसने न जाने कितनी माताओं की गोद सूनी की है.

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