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जौनपुर लोकसभा: संजय यादव 'एडवोकेट' की उम्मीदवारी से सभी गणित हो जायेंगे फेल

जौनपुर लोकसभा: संजय यादव एडवोकेट की उम्मीदवारी से सभी गणित हो जायेंगे फेल
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लोक सभा चुनाव 2019 के अभी काफी वक्त बचा है लेकिन सभी राजनीतिक दल अभी से तैयारियों में जुट गए हैं।

जेपी यादव

जौनपुर। लोक सभा चुनाव 2019 के अभी काफी वक्त बचा है लेकिन सभी राजनीतिक दल अभी से तैयारियों में जुट गए हैं। गोरखपुर और फूलपुर के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी की जीत से उसके कार्यकर्ता काफी उत्साहित हैं और वो अब आने वाले लोक सभा चुनाव की तरफ देख रहे हैं। दूसरी तरफ बीएसपी ने उपचुनाव में सपा को समर्थन देकर एक नई राह खोल दी है। सपा और बीएसपी ने गठबंधन को लेकर भले ही तमाम कयास लग रहे हों लेकिन जिस तरह से दोनों पार्टियों के नेता संयमित बयान दे रहे हैं उससे तो लगता है कि दोनों पार्टियों में गठबंधन की पूरी उम्मीद हैं।


सपा-बीएसपी में गठबंधन हुआ तो सीटों का बटवारा कैसे होगा इस पर राजनीतिक विश्लेशकों की अलग-अलग राय है। इस गठबंधन में जीती हुई सीट और नंबर दो आई पार्टी के हिस्से में सीट दी जाने की बात की जा रही है। दोनों पार्टियों के नेता गठबंधन को लेकर अभी ज़्यादा कुछ नहीं कह रहे हैं। इसलिए इस मुद्दे पर अभी कुछ कहना सिर्फ कयास लगाना है। बात जौनपुर की हो तो यहां में लोक सभा की दो सीट है। पहली जौनपुर सदर और दूसरी मछलीशहर है। 2014 में लोक सभा चुनाव में दोनों सीटों पर बीजेपी को जीत हासिल हुई थी।




सपा-बीएसपी गठबंधन
प्रदेश में अगर सपा-पीएसपी गठबंधन हुआ तो जौनपुर में एक सीट सपा और एक बीएसपी के खाते में जा सकती है। सूत्रों की माने तो बीएसपी नेताओं का मछलीशहर सीट पर ज़्यादा ज़ोर है। दरअसल जौनपुर सीट पर पहले भी सपा को जीत हासिल हुई है। जौनपुर लोक सभा में विधान सभा वार ब्यौरा देखे तो भी सपा का पलड़ा भारी नज़र आता है। ऐसे में अगर बीएसपी मछलीशहर पर उम्मीदवारी करती है तो जौनपुर सदर सीट सपा के खाते में आ जाएगी।

सपा से उम्मीदवारी
चाहे लोक सभा चुनाव हो या फिर विधान सभा का… जौनपुर में टिकट दावेदारों की हमेशा बाढ़ रहती है। इस बार भी जौनपुर लोक सभा सीट पर सपा से करीब दो दर्जन से ज़्यादा लोगों ने उम्मीदवारी पेश की है। इनमें पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक पारसनाथ यादव, डॉ केपी यादव, इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व अपर शासकीय अधिवक्ता संजय यादव, सपा के पूर्व महासचिव मो अरशद खान, पूर्व विधायक अफज़ाल अहमद, अबू तालिब, जावेद सिद्दीकी समेत करीब 28 लोगों ने सपा से टिकट के लिए आवेदन किया है।

संजय यादव की उम्मीदवारी
मौजूदा समय में पूर्व मंत्री और शाहगंज के विधायक शैलेंद्र यादव ललई के भाई संजय यादव जौनपुर में काफी सक्रिय हैं। संजय यादव वर्तमान में राजनीति और समाज सेवा से लोगों के बीच अपनी बात पहुंचा रहे हैं। वो लगातार जौनपुर सीट पर सक्रिय हैं और राजनीतिक गतिविधियों में भाग ले रहे हैं। अपनी टीम के साथ सक्रिय संजय यादव ने जौनपुर सीट के लिए मज़बत दावेदारी पेश की है।




राज्यसभा चैनल के वरिष्ठ पत्रकार डॉ.अशफाक अहमद से लंबी बातचीत में एडवोकेट संजय यादव ने कहा कि वो लगातार समाज सेवा के माध्यम से लोगों से जुड़े रहे हैं। उनके लिए समाज सेवा ही सबसे बड़ी सेवा है। सपा से अपनी दावेदारी के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि गठबंधन में अगर जौनपुर की सीट सपा को मिलती है, और पार्टी उन पर विश्वास करती है तो वह बहुत मज़बूती के साथ जनता के सामने जाएंगे। संजय यादव ने कहा कि प्रदेश का युवा अखिलेश यादव की तरफ देख रहा है, युवा ही इस देश की तकदीर और तस्वीर बदल सकता है। उन्होंने कहा कि बीजेपी और RSS ने सिर्फ लोगों को बांटने का काम किया है। केंद्र की मोदी सरकार को 4 साल से ज़्यादा हो गए हैं लेकिन सिर्फ घोटाले और लोकलुभावन नारे को छोड़कर देश को कुछ नहीं मिल। बीजेपी धर्म की राजनीति कर रही है और लोगों को बरगलाने व मारपीट की बात करती है।

शैलेंद्र यादव ललई का पार्टी में बढ़ा कद-
अंदुरुनी उठापटक और सरकार जाने के बाद शैलेंद्र यादव ललई का कद सपा में काफी बढ़ा है। चाहे पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव की प्रेस कांफ्रेंस हो या फिर पार्टी की मीटिंग शैलेंद्र यादव हर जगह नज़र आते हैं। गोरखपुर उपचुनाव में पार्टी ने उन्हें काफी महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी दी गई थी। पार्टी में बढ़े कद और उनकी ज़रूरत को देखते हुए सपा उन्हें शायद लोक सभा में नहीं भेजेगी। इस लिए शायद उन्होंने लोक सभा के लिए अपनी दावेदारी नहीं पेश की है। ऐसे में उनके भाई संजय यादव जो जौनपुर में खुद अपनी ज़मीन तैयार कर रहे हैं उनके लिए समर्थन कर सकते हैं। दूसरी तरफ कभी सपा के कद्दावर नेता और मिनी मुख्यमंत्री के नाम से मधहूर रहे पारसनाथ यादव की पकड़ सपा में कमज़ोर हुई है। पारसनाथ यादव मुलायम के करीबी माने जाते थे पर अब सपा में अखिलेश यादव ही सबकुछ हैं। ऐसे में पारसनाथ यादव के मुकाबले शैलेंद्र यादव काफी मज़बूती से उभर कर सामने आएं हैं।

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