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कासगंज में दलित बारात को लेकर पहले से हंगामा, प्रशासन सतर्क
शीतल ठाकुर बहुल गांव में रहती हैं जहां दलितों की आबादी बहुत कम है. उनके मंगेतर 27 वर्षीय संजय जाटव को जब पता चला कि गांव से बारात निकालने में दिक्कत हो सकती है तो उन्होंने ज़िलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री तक को शिकायत की और सुरक्षा की मांग की. स्थानीय पुलिस अधिकारी राजकुमार सिंह ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, "माननीय सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली के निर्देशों का पालन करते हुए बारात चढ़ाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है."
वहीं, जब इस बारे में ज़िले के पुलिस अधीक्षक पीयूष श्रीवास्तव से सवाल किया गया तो उनका कहना था, "मुझे इस विषय में कोई जानकारी नहीं है, यदि आवेदक को कोई परेशानी है तो मुझसे आकर मिलें, वो बारात के लिए सुरक्षा की मांग करते हैं तो उन्हें सुरक्षा दी जाएगी."
वहीं राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर रमाशंकर कठेरिया का कहना है कि वो इस मामले में कासगंज के पुलिस अधिकारियों से बात करेंगे. बीबीसी से बात करते हुए रमाशंकर कठेरिया ने कहा, "यदि ऐसा है तो ये बेहद शर्मनाक है, हम इसका संज्ञान लेंगे. जो लोग रोक रहे हैं वो चाहे प्रशासन के लोग हों या स्थानीय लोग हों, उनसे जवाब-तलब किया जाएगा." हालांकि रमाशकंर कठेरिया ने ये भी कहा कि कई बार ऐसे मामले राजनीति से प्रेरित भी होते हैं. उन्होंने कहा, "यदि दूल्हा मुझे निमंत्रण देता है तो मैं ख़ुशी-ख़ुशी इस बारात में जाऊंगा और सुनिश्चित करूंगा कि बारात चढ़ाई जाए. लेकिन ये मामला राजनीति से प्रेरित नहीं होना चाहिए."