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थकी-मांदी सी और तमाम तरह की दुश्वारियों व लाचारियों से लदी यूपी सरकार को अखिलेश की खुली चुनौती, नहीं तो?

अखिलेश यादव योगी आदित्यनाथ
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अखिलेश यादव योगी आदित्यनाथ
कुछ थकी-मांदी सी और तमाम तरह की दुश्वारियों व लाचारियों से लदी उत्तर प्रदेश सरकार को अखिलेश यादव की खुली चुनौती है. कितनी टॉंटी थी, अरे हुज़ूर, बताओ ?
कुछ थकी-मांदी सी और तमाम तरह की दुश्वारियों व लाचारियों से लदी उत्तर प्रदेश सरकार को अखिलेश यादव की खुली चुनौती है. कितनी टॉंटी थी, अरे हुज़ूर, बताओ ? उत्तर प्रदेश सरकार को उतना ही नजर आ रहा हैं, ज़ितना कुछ अधिकारी दिखा रहे हैं. कुछ भ्रष्ट अधिकारियों के अधीन नज़रबंद है, उत्तर प्रदेश सरकार !

उत्तर प्रदेश सरकार अब 'अखिलेश यादव' की चुनौती स्वीकार करे . जाँच कर बंगले में हुई टूट-फूट की सूची बनाकर हर्ज़ाने की सूची अखिलेश यादव को भेजे . या फिर हिम्मत हो तो उनसे बसूली करे। यदि सरकार यह नहीं करती तो जनता इसे एक पब्लिसिटी स्टंट समझेगी . जनता को विश्वास नहीं हो रहा है कि ये सब करके अखिलेश यादव ने अपना राजनैतिक कैरियर भला क्यों दाव पर लगाया ? ये हालिया उपचुनावों की हार या भ्रष्टाचार के 'ऊपर' बढ़ते क़दमों की बौखलाहट तो नहीं ?

अखिलेश यादव का यह कहना कि 'अधिकारियों को उन्होंने कप-प्लेट उठाते देखा है'. यह सच है कि वही अधिकारी आज इस सरकार के भी चमचे हैं, और अहम् पदों पर बैठे हैं...उनमें से कई बड़े 'नेताओं' के पैर तक छूते थे . यहाँ तक कि महिला IAS अधिकारी तक नेताओं के पैर छूती थी और आज भी करते हैं, निर्लज्ज कहीं के। पद पाने के लिए ये अधिकारी किसी भी हद तक गिरने को तैयार हैं।

यह अब किसी से छुपा नहीं है कि वादे से इतर आज उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार कम नहीं हो पा रहा है. गन्ना, चिकित्सा, विद्युत, शिक्षा, आवकारी, खनन, परिवहन, सड़क,पुष्टाहार विभागों में भ्रष्टाचार चरम पर है. उपचुनावों से स्पष्ट हो चुका है कि जनता का विश्वास डगमगा रहा है लेकिन सत्ता के मद में अभी बात समझ नहीं आ रही है। पूर्व सरकारों के भ्रष्टाचारों की चुनाव के दौरान ख़ूब बातें हुईं लेकिन आज तक कोई जाँच नहीं हुई और न ही कोई दोषी बड़े लोग पकड़े नहीं गए. जिससे लगता है कि क्या ये सब चुनाव जीतने के लिए ड्रामा था .

वही भ्रष्ट इंजीनियर, अधिकारी आज भी हावी हैं. किसान, बेरोज़गार युवा, दिहाडी मज़दूर, व्यापारी सब परेशान लगते हैं लेकिन शतुर्मुर्ग की तरह रेत में सिर देने से कुछ हासिल नहीं होने वाला. सरकार के साथ-२ बीजेपी संगठन पर भी भ्रष्टाचार की गहरी छाया है. सुनील बंसल जैसे भ्रष्ट लोग पूरी शक्ति से आज भी क़ाबिज़ हैं, असली कार्यकर्ता निराश हैं, चमचे हावी हैं।

आज उत्तर प्रदेश के रहनुमाओ को 'सत्ता' का इतना गुमां हो गया है कि उन्हें हम सब के जगाने से उन्हें लगता है कि हम जैसे लोग उनकी नींद में खलल डाल रहे हैं . वो अभी जागने को तैयार नहीं. गहरी नींद में सोए हैं। २०१९ में अपने आप आँखे खुल जाएँगी।
दोस्तों.
जहाँ सच हैं, वहाँ पर हम खड़े हैं,
इसी खातिर सबकी आँखों में गड़े हैं।
लेखक पूर्व आईएएस अधिकारी सूर्यप्रताप सिंह है
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