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भारतीय जनता पार्टी के संकटमोचक बन चुके राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह यूपी बीजेपी का संकट नहीं हटा सके, अब तक के दौरों में यह उनका सबसे परेशानी भरा दौरा रहा. बीजेपी के लोंगों को आपसी सहमती बनाकर कार्य करने की नसीहत देने आये अमित शाह खुद ही आकर उलझ गए. अमित शाह योगी सरकार के कार्यशैली से बेहद खफा नजर आये. सभी मंत्रियों की कारगुजारियों से भी खासे नाराज थे.
शाह ने सरकार को एक महीने में अपनी साख ठीक करने और अफसरों के रवैये में सुधार लाने की हिदायत दी है. दिल्ली लौटते वक्त शाह ने साफ किया कि वो जल्द ही फिर लखनऊ का दौरा करेंगे. अमित शाह ने लखनऊ दौरे के दिन मुख्यमंत्री आवास 5 कालिदास पर मैराथन बैठक की.अमित शाह ने योगी सरकार से बेहद सख्त लहजे में कहा कि कमियां दूर की जाएं. सांसदों, विधायकों और कार्यकर्ताओं की तरफ से उठ रहे सवालों का समाधान किया जाए. उन्होंने आगे कहा कि अगर भविष्य में सरकार या मंत्री को लेकर कहीं से असंतोष की आवाज उठी तो कठोरता से पेश आएंगे.
यही नहीं, बीजेपी अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री और दोनों डिप्टी सीएम के साथ बैठकर सरकार के कामकाज को ठीक करने की चेतावनी भी दी. उन्होंने सरकार और संगठन के प्रमुख लोगों से भी बात की. इस दौरान शाह के तेवर काफी सख्त थे. उन्होंने कुछ मंत्रियों के कामकाज पर भी नाराजगी जाहिर की.उन्होंने मुख्यमंत्री को नसीहत दी कि अफसरों की तैनाती को लेकर जो संदेश जा रहा है उसे ठीक किया जाए. उन्होंने कहा कि सांसदों और विधायकों की तरफ से यह सवाल नहीं उठाना चाहिए कि उनके पत्रों पर कार्रवाई नहीं हो रही है.
शाह ने सहयोगी दलों के नेताओं से मुलाकात की और उनकी सभी मांगे मान ली. इसके साथ ही उन्होंने संगठन के लोगों से समन्वय और सामंजस्य के साथ काम करने की सलाह दी. उन्होंने ने संगठन के पदाधिकारियों को 2019 की तैयारी में जुटने को कहा. यही नहीं वह बैठक इतने उलझे कि प्रदेश कार्यालय पर पार्टी के प्रदेश महामंत्रियों के साथ बैठक भी सीएम आवास पर ही कर ली गई. उन्हें दिल्ली रवाना होने में ढाई घंटे विलंब हो गया. मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पांच कालीदास मार्ग पर आए अमित शाह जब मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, डा.दिनेश शर्मा, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डा.महेन्द्र नाथ पाण्डेय, महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल और प्रदेश के सह प्रभारी शिव प्रकाश के साथ बैठ कर सरकार की उलझी गुत्थियों को सुलझाने की कोशिश कर रहे थे, तो उसी समय भाजपा के विधायक व कथित गैंगरेप आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर का सवाल भी मुंह बाए खड़ा था. भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष ने साफ कहा कि बिना विलंब किए आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई करें.
कोर ग्रुप के साथ बैठक में वे सरकार में शीर्ष पर बैठे नेताओं के आपसी तालमेल पर जोर देते रहे। उन्होंने साफ किया कि अगर एक होकर नहीं रहे तो विपक्षी हावी होंगे. शाह खासतौर से आधा दर्जन मंत्रियों के कामकाज से खासे नाराज दिखे लेकिन बाकी अन्य मंत्रियों को पुचकारा भी नहीं. उन्होंने लगभग सभी मंत्रियों की क्लास ली. भाजपा अध्यक्ष ने कुछ मंत्रियों को लफ्फाजी न कर जमीन पर उतर कर काम करने की नसीहत दी ताकि जनता और विधायकों दोनों को संतुष्ट किया जा सके.
शाह ने बाद में सांगठानिक कार्यों पर भी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और महामंत्री (संगठन) समेत महामंत्रियों के साथ भी विचार-विमर्श किया. इसके अलावा विधान परिषद की 13 सीटों में से भाजपा के खाते में जाने वाली 11 सीटों के प्रस्तावित प्रत्याशियों के बारे में भी जानकारी ली. उन्होंने प्रत्याशियों के चयन में जातीय समीकरण को तवज्जो देने की हिदायत दी. साथ ही मंत्रिमंडल के पुनर्गठन पर अमित शाह ने अपनी हरी झंडी दे दी है। हिदायत दी है कि मंत्रिमंडल के साथ ही संगठन में भी साफ सुथरी छवि के लोगों को शामिल किया जाए.
बता दें कि अमित शाह के दौरे के बाद सभी के होश उड़े हुए है कि आखिर क्या दिशा निर्देश आएगा. क्योंकि आने से लेकर जाने तक उनकी तल्खी कम होने का नाम ले रही थी. सोने पर सुहागा का काम उन्नाव रेप केस भी कर रहा था. जहाँ पूरी सरकार उलझ कर रह गई. तब संकटमोचक का पारा और बढ़ता गया. जल्द वापसी के संकेत देते हुए अमित शाह देर रात दिल्ली वापस हुए है. लेकिन उनके रुख को देखते हुए सबके होश उड़े हुए है.