Archived

कैराना की हार के झटके से हिल सकती है योगी की कुर्सी

कैराना की हार के झटके से हिल सकती है योगी की कुर्सी
x
उत्तर प्रदेश में चार उपचुनाव के बाद हारती बीजेपी को अब यूपी में गुड फील नजर नहीं आ रहा होगा.
यूसुफ़ अंसारी
उत्तर प्रदेश में कैराना लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी की करारी हार से प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी अादित्यनाथ बुरी तरह तिलमलिए हुए हैं. खबर है कि कैराना में बीजेपी की बुरी तरह भद्द पिटने के कारणों की जांच के लिए मुख्यमंत्री ने शामली ज़िले के अधिकारियों को लखनऊ तलब किया है. कुछ अधिकारियों पर इस हार की गाज भी गिर सकती है. राजनीतिक हल्कों में इस बात की चर्चा है हार की जिम्मेदारी खुद लेने के बजाए आखिर मुख्यमंत्री इसके लिए दूसरों के क्यों निशाना बना रहे हैं.
दरअसल कैराना की हार वयक्तिगत तौर पर योगी आदित्यनाथ की हार है. यह सीट जिताने की पूरी ज़िम्मेदारी उन्हीं के कंधो पर थी. आम तौर पर उपचुनाव सत्ता धारी पार्टी ही जीतती रही है. पिछले10-20 साल का इतिहास उठा देखिए तो यह बात और भी स्पष्ट हो जाती है. लेकिन यूपी में पहली बार ऐसा हो रहा है कि साल भर पहले प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई बाजेपी एक के बाद एक उपचुनाव हार रही है. पहले लगातार पांच बार योगी आदित्यनाथ की जीती गोरखपुर सीट बीजेपी हार गई. वो भी योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद. उपमुख्यमंत्री केशवप्रसाद की जीती फूलपुर सीट भी बीजेपी हार गई. केशव प्रसाद के उपमुख्यमंत्री बनने के बाद. अब पार्एटी के एक और फायरब्रांड नेता हुकुम सिंह की जीती सीट भी बीजेपी हार गई. ये तगातार तीन हार सीधे-सीधे मंख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाती हैं. सवाल इस लिए भी है कि योगी ने कैराना जाकर खुद धुंआधार प्रचार किया था.

दरअसल योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली ही उनके राज मेें बीजेपी को लगातार मिल रही हार की असली वजह है. योगी के घमंडी व्यवहार और तीखे और तल्ख तेवरों से न उनकी पार्टी के नेता खुश हैं, न सहयोगी दल और न ही प्रदेश के आला अधिकारी. कैराना के चुनाव के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश के वकीलों का एक प्रतिनिधिमंडल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाई कोर्ट की बेंच के गठन की मांग के सिलसिले में योगी से मिला था. योगी ने उन्हें टका सा जवाब देकर बैरंग लौटा दिया. इन वकीलों ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश मे बेंच नहीं तो कैराना और नूरपुर में बीजेपी को वोट नहीं का फैसला करके बीजेपी की जड़े काटने में कोई कसर नहीं छोडी.

कैराना की हार पर शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने योगी आदित्यनाथ पर सीधा सवाल उठाया है. उन्होंने कहा है, 'योगी आदित्यनाथ अपने राज्य में ही हार रहे हैं, लेकिन प्रचार करने यहां (महाराष्ट्र) आते हैं.' उद्धव ठाकरे का यह बयान बेहद महत्वपूर्ण है. उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद बीजेपी ने योगी को कट्टर हिंदुत्व की विचारधारा के नए ब्रॉड एबेंस्डर के रूप में प्रचारित करना शुरु किया. बीजेपी ने लिए गुजरात और कर्नाटक जीताने के लिए योगी को स्टार प्ररचारक बनवाया. लेकिन बहुआ क्या? गुजरात में बीजेपी गिरते पड़ते बहुमत का आंकड़ा पार कर पाई और कर्नाटक में बहुमत के आंकड़े से इतनी दूर लड़खड़ा गिर पड़ी कि उसके लिए जोड़-तोड़ करकेे सरकार बनाना संभव नहीं हो पाया. ज़ाहिर है कि योेगी का जादू न उनके अपने प्रदेश में चल रहा है और न ही दूसरे प्रदेशों में. हिंदुत्व का एजेंडा अपना धार खो रहा है. इन हालात ने पीएम मोदी और सीएम योगी अपनी रणनीति पर नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया है.

योगी सरकार के कामकाज से भाजपा आलाकमान भी खुश नहीं है. पिछले महीने लखनऊ दौरे पर गए अमित शाह ने योगी, उनकी सरकार और मंत्रियोें के कामकाज पर नाखुशी ज़ाहिर की थी. उन्होंने योगी रो सहयोगी दलों के साथ रिशते सुधारने, पार्टी के सांसदो, विधायकों की सिफारिशी चिट्ठियों का गंभीरता से संज्ञान लेकर प्रााथमिकता के आधार पर काम किए जाने की नसीहत दी थी. ज़ाहिर है कैराना की हार के बाद योगी पर पार्टी आलाकमान का दबाव बढ़ेगा और उन पर गाज भी गिर सकती है.
Next Story