लखनऊ

यूपी के बिजली कर्मचारियों को मिला अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ का साथ, किसी प्रकार की दमनात्मक कार्यवाही पर दी चेतवानी

Shiv Kumar Mishra
17 March 2023 12:27 PM GMT
यूपी के बिजली कर्मचारियों को मिला अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ का साथ, किसी प्रकार की दमनात्मक कार्यवाही पर दी चेतवानी
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अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने चेतावनी दी है कि अगर यूपी सरकार ने हड़ताली कर्मचारियों पर रासुका व एस्मा के तहत कोई दमनात्मक कार्रवाई की तो राज्य कर्मचारी सड़कों पर उतरने में देर नहीं करेंगे। उन्होंने उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों और महाराष्ट्र के कर्मचारियों की 14 मार्च से शुरू हुई अनिश्चितकालीन हड़ताल के साथ एकजुटता प्रकट की और उत्तर प्रदेश व महाराष्ट्र सरकार से दमनात्मक कार्रवाई बंद करके बातचीत से मांगों का समाधान कर हड़ताल समाप्त करवाने की मांग की।

उन्होंने योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा 3 दिसंबर,2022 को ऊर्जा मंत्री की मौजूदगी में उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड की मेनेजमेंट द्वारा बिजली निजीकरण की मुहिम को बंद करने के लिखित समझौते को लागू करने की बजाय हड़ताली कर्मचारियों पर रासुका व एस्मा लगाने और हड़ताल में शामिल आउटसोर्स ठेका कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त करने की घोर निन्दा की। उन्होंने कहा कि नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज एंड इंजीनियर और अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ इन हड़तालों पर गंभीरता से निगाहें रखें हुए हैं और किसी भी समय किसी भी समय आंदोलन में कूदने के लिए तैयार हैं।

अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सुभाष लांबा, उपाध्यक्ष कमलेश मिश्रा व पूर्व उपाध्यक्ष एसपी सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारी एवं इंजीनियर अनपरा और ओबरा की दो नई 800 मेगावाट उत्पादन इकाइयों और संबंधित पारेषण संपत्तियों के निजीकरण करने के प्रयासों के खिलाफ व ठेका कर्मचारियों को पक्का करने, पुरानी पेंशन बहाली आदि मांगों को लेकर 16 मार्च से तीन दिन की हड़ताल पर हैं। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारी नवंबर, 2022 से निजीकरण के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। तीन दिसंबर,2022 को ऊर्जा मंत्री की मौजूदगी में उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशनज लिमिटेड के प्रबंधकों और विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के मध्य लिखित समझौता हुआ था।

इस समझौते में निजीकरण की शुरू की गई पूरी मुहिम को बन्द करने का वादा किया गया था। लेकिन अब सरकार लिखित समझौते को भी लागू करने से पीछे हट गई है। जिसके कारण विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने 16 मार्च से तीन दिवसीय हड़ताल पर जाने पर मजबूर होना पड़ा है। सरकार लिखित समझौते को लागू करने की बजाय हड़ताली कर्मचारियों के दमन पर उतर आई है। ऊर्जा मंत्री ने हड़ताली कर्मचारियों पर रासुका व एस्मा जैसे काले कानून लागू करने और हड़ताल में शामिल होने वाले संविदाकर्मियों को नौकरी से बर्खास्त करने की धमकी दी है। इतना ही नहीं हड़ताली बिजली कर्मचारी नेताओं को कल्पना से परे परिणाम भुगतने की चेतावनी दी जा रही है और संविदाकर्मियों की बर्खास्तगी शुरू कर दी है। नेताओं को हिरासत में लिया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि इसके बावजूद यूपी में हड़ताल ऐतिहासिक एवं अभूतपूर्व है और हड़ताली कर्मचारियों की एकता मजबूत है। उन्होंने बताया कि हड़ताली बिजली कर्मचारी ऊर्जा निगमों के चेयरमैन व एमडी का चयन समिति द्वारा करने, निविदा / संविदा कर्मियों को अलग अलग निगमों में मिल रहे वेतन की विसंगतियों को दूर समान वेतन देने, तीन पदोन्नति पदों पर समयबद्ध वेतनमान के लिए आदेश जारी करने, बिजली कर्मचारियों के लिए पावर सेक्टर इम्प्लाइज प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने,नए विद्युत उप केन्द्रों का निर्माण पारेषण निगम से कराने आदि मांगों को भी उठा रहे हैं।

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