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लखनऊ में आयोजित एक समारोह में मिर्जापुर जिले के फतेहपुर गांव से श्री सुभाष सिंह को इफको रुरल इन्नोवेशन स्कॉलरशिप ग्रामीण छात्रवृत्ति दी गई। उन्हें 1 लाख रुपए और प्रशस्तिपत्र से सम्मानित किया गया। सुभाष सिंह का आईडिया छात्रवृत्ति के लिए प्राप्त 3000 में से अधिक प्रविष्टियों में से चुना गया है। उनका आईडिया था कि ईंट भट्ठे से बढ़ रही गर्मी को कैसे संभाला जाए जिससे 20 प्रतिशत हानिकारक धुएँ का फैलना रोका जा सके। इस आइडिया के कई फायदे हैं।
यदि ईंट भट्ठा मालिक इसे लागू करते हैं तो 20-25 प्रतिशत उसका निवेश कम हो जाएगा। साथ ही वायु प्रदुषण को कम करेगा और जमीन में गर्मी का निकास करके जमीन के पानी की कमी को भी रोकेगा। अकेले यूपी में 18 हजार से अधिक ईंट भट्टे हैं और इनसे निकलने वाले प्रदूषकों के कारण पर्यावरण के साथ-साथ वहां रहने वाले निवासियों के लिए खतरा बढ़ जाता है। जहां शहरी क्षेत्रों में बढ़ रहा प्रदूषण सुर्खियां बना जाता है वहीं ग्रामीण इलाकों में हवा की कम होती गुणवत्ता अक्सर अनदेखी हो जाती है। सुभाष सिंह ने इसे एक बड़ी चुनौती के रूप में देखा और इसका समाधान निकालने का फैसला किया।
पुरस्कार प्राप्त करते हुए सुभाष ने खुशी जाहिर की कि अंत में उनके पास अपने आइडिया को बनाने, कार्यान्वित करने और लागू करने के लिए सही मंच है।
इस अवसर पर इफको के एमडी और सीईओ डॉ यूएस अवस्थी ने कहा कि आज ग्रामीण भारत के लोगों में आर्थिक और सामाजिक समानता लाने के लिए डिजिटल टेक्नॉलजी के इस्तेमाल की बहुत आवश्यकता है। इफको ऐसे उद्यमियों को पूरे ग्रामीण भारत में प्रोत्साहित करना जारी रखेगा।
उन्होंने आगे कहा कि आवेदनों की बड़ी संख्या इस बात का प्रतीक है कि किसानों और ग्रामीण युवाओं के बीच ग्रामीण भारत में बदलाव लाने की इच्छा है। इसके अलावा यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी इस प्रयास को स्वीकार किया और मान्यता दी है। वो विभिन्न संस्थानों में सुभाष के अध्ययन के परीक्षण की योजना तैयार करेंगे। इसके लिए सीबीआरआई रूड़की, आईआईटी से बात की जाएगी।
प्रोफेसर जेपी चक्रवर्ती आईआईटी (बीएचयू) ने अपने सुभाष सिंह के इस आईडिया पर उनकी मदद की थी। उन्होंने कहा कि सुभाष चंद्र सिंह के साथ काम करना अच्छा अनुभव रहा। आईआईटी (बीएचयू) उनके आईडिया को पेटेंट करवाने में मदद करेगा और मैं आईआईटी (बीएचयू) का एक प्रतिनिधि हूं जो सीधे उनके साथ काम कर रहा है। एक बार पेटेंट दिया जाएगा उसके बाद हमें विश्वास है कि इसका व्यावसायीकरण करने में सक्षम होंगे। इससे वायुमंडलीय प्रदूषण कम हो जाएगा, ईंट के भट्टों में कोयले की आवश्यकता कम हो जाएगी और ईंट-फील्ड मालिकों के लाभ में वृद्धि होगी। आज मुझे बहुत खुशी है कि सुभाष की कोशिश को इफको ने सराहा और उन्हें इफको के द्वारा सम्मानित किया जा रहा है।