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पीएम मोदी रोकर गरीबी, भूखमरी, बेरोजगारी व महंगाई को खत्म नहीं कर सकते- मायावती

पीएम मोदी रोकर गरीबी, भूखमरी, बेरोजगारी व महंगाई को खत्म नहीं कर सकते- मायावती
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जनता इसका जबाब वोटबंदी करके देगी
बी.एस.पी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति-दिनांक 10.02.2018
(1) बी.एस.पी. उत्तर प्रदेश स्टेट यूनिट के वरिष्ठ पदाधिकारियों व ज़िम्मेदार कार्यकर्ताओं की अहम बैठक में पार्टी प्रमुख सुश्री मायावती जी द्वारा सर्वसमाज में पार्टी के जनाधार को बढ़ाने के कार्यों की गहन समीक्षा के साथ-साथ आगामी लोकसभा आमचुनाव की तैयारियों में संगठन को पूरी तरह से ढालने के लिये विशेष दिशा-निर्देश।
(2) साथ ही उत्तर प्रदेश के बिगड़ते हुये राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक व आपराधिक माहौल पर फीडबैक प्राप्त किया और पाया कि बीजेपी के शासन में भी हिंसा, भय व आतंक का बुरा माहौल हर स्तर पर व्याप्त है जिससे सर्वसमाज के मेहनतकश लोगों व व्यापारियों आदि का भी जीवन काफी ज्यादा असुरक्षित हो गया है।
(3) प्रदेश में महंगाई, बेरोज़गारी व ग़रीबी भी, कानून-व्यवस्था की तरह ही, पूरी तरह से बिल्कुल ही बेकाबू है। बीजेपी के नेतागण अब मुँह छिपाये फिर रहे हैं। सत्ता में आ जाने के बाद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को अब उत्तर प्रदेश की चिन्ता नहीं सताती है। उनका ज़्यादा समय विपक्ष को कोसते रहने में ही बीतता है।
(4) जबकि उत्तर प्रदेश में बीजेपी की भगवा सरकार अपने नेताओं पर से गंभीर आपराधिक मुकदमों की वापसी को ही असली जनसेवा व सही देशभक्ति समझ बैठी है और इसी ग़लत काम में ही पूरी तरह से व्यस्त है जो अति दुर्भाग्यपूर्ण।
(5) देश व प्रदेश की जनता नोटबन्दी के अपरिपक्व फैसले व जी.एस.टी. के नये कर कानून की आर्थिक ज़ख़्मों से कराह रही है, फिर भी बीजेपी की सरकारें अनगिनत हवा-हवाई दावों से उनके ज़ख्मों पर नमक छिड़कने से बाज़ नहीं आ रही हैं।
(6) शिक्षित बेरोज़गारों को नौकरी मुहैया कराने की ईमानदार कोशिश करने के बजाय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सरकार उन्हें चाय व पकौड़ा बेचने के लिये ही मजबूर करना चाहती है और इसी लिये केवल ऐसे ही लोगों की गुणगान में लगातार लगी रहती हैं। क्या ऐसे ही भारत आगे बढ़ेगा व आयुष्मान होगा? बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद सुश्री मायावती जी।
लखनऊ, 10 फरवरी 2018: बी.एस.पी. उत्तर प्रदेश स्टेट यूनिट के समस्त पदाधिकारियों व ज़िम्मेदार वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की आज यहाँ 12 माल एवेन्यू स्थित पार्टी राज्य कार्यालय में एक अहम बैठक हुई जिसमें पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद सुश्री मायावती जी ने ख़ासतौर से शिरकत की। इस दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश में ज़मीनी स्तर पर संगठन की तैयारियों, कैडर बैठकों के आयोजन आदि के साथ-साथ सर्वसमाज में पार्टी के जनाधार को बढ़ाने सम्बंधी अनवरत् जारी रहने वाली गतिविधियों की गहन समीक्षा की तथा पार्टी को आगामी लोकसभा आमचुनाव की तैयारियों में ढालने के लिये जरूरी विशेष दिशा-निर्देश भी दिये।

मायावती ने इस बैठक में ख़ासतौर से उत्तर प्रदेश के बिगड़ते हुये राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक व आपराधिक माहौल आदि पर फीडबैक प्राप्त किया और पाया कि बीजेपी के वर्तमान शासनकाल में भी हिंसा, भय व आतंक का ऐसा माहौल हर स्तर पर व्याप्त है जिससे कि सर्वसमाज के मेहनतकश लोगों व व्यापारियों आदि का भी जीवन काफी ज्यादा असुरक्षित हो गया है। उत्तर प्रदेश में भी लोगों की जबर्दस्त चाह कानून का बेहतर व सुरक्षित राज हो परन्तु यहाँ पूर्ण रूप से बीजेपी द्वारा बीजेपी का जंगलराज कायम हो गया है। स्वयं केन्द्र सरकार के आँकड़े भी इन्हें मुँह चिढ़ाते हैं कि उत्तर प्रदेश में अपराधों की बाढ़ है तथा साम्प्रदायिक दंगे भी यहाँ सबसे ज़्यादा हुये हैं, जो बीजेपी सरकार के दावों की पोल खोलते हैं। इतना ही नहीं बल्कि विकास भी केवल फर्जी व हवा-हवाई ही है और इसका जमीनी हकीकत से कोई ज्यादा वास्ता नहीं है।
साथ ही महंगाई, बेरोज़गारी व ग़रीबी भी, यहाँ की ध्वस्त कानून-व्यवस्था की तरह ही, पूरी तरह से बिल्कुल ही बेकाबू है। सरकार युवाओं को रोजगार नहीं दे पा रही है जिस कारण उन पर पलायन करने का तनाव जारी है। लेकिन देश में कहीं भी रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं होने के कारण स्थिति दिन-प्रतिदिन और भी ज्यादा भयावह रूप धारण करती जा रही है। केन्द्र व उत्तर प्रदेश में एक ही पार्टी का राज होने पर विकास व रोजगार के नये अवसर उपलब्ध होने का दावा करने वाले बीजेपी के वरिष्ठ नेतागण अब अपना मुँह छिपाये फिर रहे हैं। उन लोगों के ¬उत्तर प्रदेश में सरकार बना लेने के बाद प्रदेश की लगभग 22 करोड़ जनता को बीच सड़क पर बेआसरा एवं बेसहारा छोड़ दिया है, जिससे लोगों में काफी ज़्यादा आक्रोश व्याप्त है।

मायावती ने कहा कि लोगों की इसी नाराजगी, बेचैनी व आक्रोश का ही परिणाम है कि प्रदेश में अभी हाल ही में हुये शहरी निकाय के चुनाव में सत्ताधारी बीजेपी को यहाँ की जनता ने ज़बर्दस्त झटका दिया। लेकिन इसके बाद भी बीजेपी सरकार की जातिवादी, साम्प्रदायिक व नफरत की संकीर्ण व नकारात्मक राजनीति जारी है। इतना ही नहीं बल्कि अब ये लोग अपने आपको कानून से ऊपर मानकर अपने ऊपर से आपराधिक मुकदमों को वापस लेने की होड़ में लग गये हैं। अनेकों प्रकार के घृणित व गंभीर अपराधों में लिप्त ये नेतागण अपने आपको पाक-साफ होने का दावा करके अपने-अपने मुकदमें वापस करवाने में व्यस्त हंै, जो बीजेपी के राज में कानून के राज से खुला खिलवाड़ नहीं तो और क्या है?

मायावती ने कहा कि वैसे भी उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न बीजेपी-शासित राज्यों में बीजेपी नेताओं के लिये 'सात खून माफ' की ग़लत व ग़ैर-कानूनी परम्परा चल पड़ी है और इस प्रकार सत्ता व कानून का घोर दुरूपयोग किया जा रहा है, लेकिन इससे आमजनता की परेशानी व समस्यायें दिन-दोगुणी रात चैगुणी बढ़ती ही चली जा रही है। और चूंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र की अब एन.डी.ए. की ना रहकर बीजेपी की सरकार भी कुछ इसी ही रंग में ढली हुई सरकार है, जिस कारण उत्तर प्रदेश सरकार को अब केन्द्र सरकार का भी कोई ख़ौफ नहीं रहा है अर्थात जनहित व जनकल्याण के मामले में हर स्तर पर लापरवाही, उदासीनता, कर्तव्यहीनता बिना रोक-टोक जारी है। देश की अदालतें तो अब इनके लिये ऐसा लगता है कि कोई मायने ही नहीं रखती है। ऐसे मामलों में खासकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार का रवैया बहुत ही ख़तरनाक न्यायपालिका को नीचा दिखाने वाला व देश को मायूस करने वाला है। श्री मोदी सरकार द्वारा न्यायपालिका में भी बार-बार के जबर्दस्ती हस्तक्षेप से देश में चिन्ता की एक नई लहर देखी जा सकती है।
मायावती ने अपने सम्बोधन में कहा कि लोकसभा आमचुनाव में अब ज़्यादा समय नहीं बचा है। कुछ महीने में जल्द ही होने वाले कर्नाटक विधानसभा आमचुनाव के बाद इसी वर्ष खासकर बीजेपी-शासित ख़ास राज्यों जैसे मध्य प्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में विधानसभा के आमचुनाव से पूरा देश फिर लोकसभा आमचुनाव के माहौल में बदल जायेगा जब बीजेपी सरकार के दावे अर्धसत्य से असत्य में बदल जायेंगे और जनता उन पर थोड़ा भी शायद ही ध्यान देगी।

केन्द्र में नरेन्द्र मोदी सरकार के लगभग चार साल व इसी पार्टी के उत्तर प्रदेश में लगभग एक वर्ष में ख़ासकर उत्तर प्रदेश जैसे काफी बड़ी जनसंख्या के साथ ही अति-पिछड़े व अत्यन्त ही ज़रूरतमन्द राज्य में हालात वायदों के मुताबिक बेहतर होने के बजाय बदतर ही होते चले जा रहे हैं तथा यहाँ की जनता अब और ज़्यादा भ्रमित होकर बीजेपी के फरेब में आने को तैयार नहीं लगती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बार-बार की भावुकता व उत्तर प्रदेश सरकार की भगवाकरण की राजनीति से प्रदेश की आमजनता का पेट नहीं भर पा रहा है और ना ही यहाँ के लोगों की गरीबी, भूखमरी, बेरोजगारी व महंगाई कम होकर उन्हें थोड़ा राहत ही दे पा रही है। लिहाज़ा आमजनता के पास ''वोटबन्दी'' का जो जबर्दस्त लोकतांित्रक हथियार है उसे वह बीजेपी के ख़िलाफ इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।
मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश की लगभग 22 करोड़ जनता, गुजरात की तरह ही, बीजेपी के ख़िलाफ मन बनाये हुये लगती है। वह ख़ासकर नोटबन्दी के अपरिपक्व व नये जी.एस.टी. कर कानून की आर्थिक ज़ख़्मों से कराह रही हैं, फिर भी बीजेपी की केन्द्र व राज्यों में इनकी सरकारें अनगिनत हवा-हवाई दावों से उनके ज़ख्मों पर नमक छिड़कने से बाज़ नहीं आ रही है। बीजेपी सरकार की नीतियाँ शिक्षित बेरोज़गारों को उनकी क्षमता व डिग्री के अनुसार नौकरी मुहैया कराने की कोशिश करने की ईमानदार कोशिश करने के बजाय उन्हें चाय व पकौड़ा बेचने के लिये मजबूर करना चाहती है और इसी लिये केवल ऐसे ही लोगों की गुणगान भी लगातार करती रहती हैं। क्या ऐसे ही भारत आगे बढ़ेगा व आयुष्मान होगा?
इसके अलावा संसद में विपक्ष की आवाज़ को हर प्रकार से दबाने के साथ-साथ संसद के बाहर उनके ऊपर अनेकों प्रकार के हथकण्डे अपनाकर अपनी कमियों व जिम्मेदारियों को छिपाने का प्रयास करने से क्या देश के सवासौ करोड़ लोगों की ज्वलन्त समस्यायें समाप्त हो जायेंगी?
बीएसपी. के लोगों से पूरी मिशनरी भावना से काम करके सत्ता की मास्टर चाबी अपने हाथ में प्राप्त करने का आह्वान करते हुये मायावती ने कहा कि बीएसपी किसी भी दशा में ना तो पहले कांग्रेस से हार मानी है और ना ही वर्तमान में बीजेपी के साम, दाम, दण्ड, भेद आदि हथकण्डों से हार मानने वाली है। इसने अपने संघर्ष व त्याग से परम्पूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के कारवाँ को हमेशा आगे बढ़ाने का काम किया है ताकि भारत देश उनके सपनों का असली समतामूलक राष्ट्र बन सके।

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