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ताजमहल पर योगी सरकार का यूटर्न, कोर्ट में बताया नहीं है शिवालय पूरी बात पढ़कर उड़ जायेंगे होश!

ताजमहल पर योगी सरकार का यूटर्न, कोर्ट में बताया नहीं है शिवालय पूरी बात पढ़कर उड़ जायेंगे होश!
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ताजमहल को तेजोमहल बताकर एक नई राजनीत को जन्म देने वाले हिंदूवादी नेताओं को योगी आदित्यनाथ की सरकार ने बड़ा झटका दिया. सरकार ने पुरातत्व विभाग के साथ मिलकर कोर्ट में दायर किए गए जवाब में कहा कि ताजमहल शिवालय है ऐसा कोई सबूत नहीं है, बल्कि शाहजहां द्वारा बनवाया गया मकबरा है. बता दें कि अधिवक्ता राजेश कुलश्रेष्ठ ने 8 अप्रैल 2015 को अदालत में एक याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि ताजमहल मंदिर है. उन्होंने अपनी याचिका में ताजमहल को शिव मंदिर तेजोमहालय होने का दावा किया था.
इस मामले में प्रतिवादी के रूप में सरकार और पुरातत्व विभाग ने 19 फरवरी 2018 को अपना जवाब दाखिल किया है. सरकार व पुरातत्व विभाग ने अपना जवाब सिविल जज थर्ड सीनियर डिविजन में दाखिल किया है. जवाब में साफ कहा गया है कि ताजमहल शिवालय है ऐसा कोई सबूत नहीं है.

सरकार और पुरातत्व विभाग की ओर से दायर किए जवाब में ये भी कहा गया है कि शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में ताजमहल बनवाया था. इस संबंध में कई शासनादेश और कई सबूत भी हैं. ताजमहल एक संरक्षित स्मारक और भारत सरकार की संपत्ति है. मुद्दई द्वारा फूलपत्ती, कलश आदि का जो अर्थ लगाया गया है वह काल्पनिक है इसका कोई सबूत और दस्तावेज नहीं है. इस तरह ताजमहल मंदिर नहीं बल्कि मकबरा है.
गौरतलब है कि ताजमहल को मुगल बादशाह शाहजहां ने1628-1658 में अपने बेगम मुमताज महल की याद में मकबरा बनवाया था. जिस पर राजनैतिक लोंगों ने तरह तरह की बातें करना शुरू कर दिया. जिससे एक नई बात सामने आने लगी कि ताजमहल तेजोमहल है. बीजेपी और कई हिंदूवादी नेता ताजमहल को लेकर दावा कर रहे थे कि ये मकबरा नहीं बल्कि 'तेजो महालय' है. बीजेपी के राज्यसभा सांसद विनय कटियार ने भी ताजमहल को तेजो महालय कहा था.
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