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मायावती के ऐलान के बाद बीजेपी चुप क्यों?

मायावती के ऐलान के बाद बीजेपी चुप क्यों?
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लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायवती ने कहा कि बीजेपी की जीत में इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (EVM) की भूमिका अगर नही है तो बसपा की जीती हुई अलीगढ़ व मेरठ सहित सभी 16 मेयर की सीटों पर बैलेट पेपर से मतदान करा लें. उन्हें अपनी पार्टी की असलियत के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कथित विजन का भी पता चल जायेगा जब नगर पालिका व नगर पंचायत की तरह ही मेयर के पदों पर भी प्रदेश की जनता उन्हें बुरी तरह से हरायेगी.

मायावती ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस टिप्पणी पर कहा कि, ईवीएम से चुनाव में भरोसा नहीं है तो बीएसपी के मेयर इस्तीफा दे, वहाँ पर बैलेट पेपर से दोबारा चुनाव कराया जायेगा. पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये मायावती ने कहा कि यह चोरी और ऊपर से सीनाजोरी की बदतर मिसाल है.

मायावती ने कहा कि वास्तव में सन् 2014 के लोकसभा व सन् 2017 के उत्तर प्रदेश विधान सभा आमचुनाव में बीजेपी ने ईवीएम के माध्यम से चुनावी धांधली करके जीत हासिल की और केन्द्र व उत्तर प्रदेश में बहुमत की सरकार बना ली। इन दोनों ही चुनाव में बीजेपी को वैसा जनसमर्थन कतई नहीं था. जैसा कि चुनाव परिणाम दर्शाते है. प्रदेश में इस बार मेयर का चुनाव भी ईवीएम से कराया गया जहाँ धांधली करके 16 में से 14 सीट जीत ली गयी. अलीगढ़ व मेरठ में बीएसपी जीती क्योंकि यहाँ जर्बदस्त जन उबाल था तथा ज्यादा गड़बड़ी करने पर चोरी साफ तौर पर पकड़े जाने की आशंका थी, जिससे बीजेपी की और भी ज्यादा फजीहत हो सकती थी.
नगर पालिका व नगर पंचायत के चुनाव में जहाँ ईवीएम के बजाय बैलेट पेपर से मतदान हुये आखिर बीजेपी क्यों पिछड़ गयी? इससे भी साफ है कि मेयर के चुनाव में ईवीएम के माध्यम से धांधली के कारण बीजेपी जीती, ना कि जनसमर्थन के कारण.
इतना ही नहीं बल्कि सरकारी मशीनरी का जबर्दस्त दुरूपयोग करके बी.एस.पी. के प्रत्याशी को खासकर सहारनपुर, आगरा व झांसी में हराया गया है. लखनऊ में भी चुनाव विभिन्न कारणों से स्वतंत्र व निष्पक्ष नहीं रहा है, यह बात स्वयं राज्य चुनाव आयोग भी मानता है जिस सम्बंध में जाँच भी कराई जा रही हैं.

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