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यूपी के रायबरेली स्थित एनटीपीसी के प्लांट की छठी यूनिट के बॉटम ऐश हूपर में बुधवार को 15 फुट तक राख जमा हो गई थी। बिना यूनिट बंद किए राख साफ करने के दौरान विस्फोट हुआ, जिसमें 29 लोगों की मौत हो गई। यह जानकारी गुरुवार को एनटीपीसी उत्तरी क्षेत्र के कार्यकारी निदेशक रवींद्र सिंह राठी के बयान से सामने आई।
सीआईएसएफ ने गृह मंत्रालय को भेजी गई रिपोर्ट में भी यह बात कही है। इसके बाद जानकार, लापरवाही को ही हादसे की वजह मान रहे हैं। राठी ने बताया कि हादसे में अब तक 29 लोगों की मौत हुई है। 43 का इलाज लखनऊ में और नौ का इलाज रायबरेली में चल रहा है।
क्षेत्रीय कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस में राठी ने बताया कि नई यूनिट से 400 मेगावॉट बिजली उत्पादन हो रहा था। जब बाटम ऐश हूपर में 15 फुट तक राख जमा हो गई तो इसमें वैक्यूम बनने में रुकावट आने लगी। बॉयलर में हवा का दबाव माइनस पांच रखा जाता है, वह तेजी से बढ़ने लगा।
इस पर अधिकारियों ने उत्पादन घटा कर 190 मेगावॉट कर दिया और कोयले की सप्लाई रुकवा दी। इसके बाद बिना यूनिट बंद किए बाटम ऐश हूपर से राख नीचे गिराने की कोशिश की गई। इसी दौरान राख का एक बड़ा टुकड़ा गिरा, जिससे हूपर का जोड़ टूट गया। इससे बेहद गर्म फ्ल्यू (FLUE) गैस निकलने से कर्मचारी झुलस गए। उन्होंने यह भी कहा कि बॉयलर में विस्फोट नहीं हुआ है।
तो यूनिट बंद क्यों नहीं की?
प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूछा गया कि नियमानुसार यूनिट बंद करके सफाई क्यों नहीं की गई तो इस पर उन्होंने कहा कि हमारे अधिकारियों को लगा कि वह यूनिट बंद किए बिना ही उसे ठीक कर लेंगे। अधिकारी 30-30 साल पुराने अनुभवी थे। हालांकि, इसकी विस्तृत जांच होगी।
राठी ने यह भी स्पष्ट किया कि श्रम विभाग की एनओसी के बाद ही यूनिट में काम शुरू हुआ था। एनटीपीसी ने गंभीर मरीजों को दिल्ली शिफ्ट करने के लिए एयर फोर्स से मदद मांगी है। हादसे की चपेट में आए कर्मचारियों में तीन एनटीपीसी के थे। बाकी सभी ठेका मजदूर थे।