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Archived
सहारनपुर: भीम आर्मी जिलाध्यक्ष के भाई की गोली लगने से मौत, इलाके में तनाव
शिव कुमार मिश्र
9 May 2018 11:07 AM GMT
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बुधवार को यहां भीम आर्मी के जिलाध्यक्ष के भाई की गोली लगने से मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि उसकी गोली मारकर हत्या की गई हैं। मृतक भीम आर्मी का मीडिया प्रभारी था। बताया जा रहा है कि थाना देहात कोतवाली क्षेत्र के मल्हीपुर रोड स्थित महाराणा प्रताप भवन में राजपूत समाज की ओर से महाराणा प्रताप जयंती मनाई जा रही थी। वहीं से 100 कदम की दूरी पर ये वारदात हुई है। इस मामले में एसएसपी बबलू कुमार का कहना है कि सचिन वालिया अपना देसी कट्टा साफ कर रहा था और अचानक गोली चल गई, जिस कारण सचिन वालिया की मौत हुई है।
यह हादसा दोपहर एक बजे के आसपास हुआ है। घायल सचिन वालिया को जब तक डॉक्टर के पास ले जाया जाता तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। अस्पताल में चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया है। मृतक के परिजनों का आरोप है कि दूसरे पक्ष के लोगों ने सचिन को गोली मारकर हत्या की है।
वहीं सचिन वालिया की मौत की खबर सुनते ही पुलिस प्रशासन में हडकंप मच गया। आनन-फानन में एसएसपी और डीएम अस्पताल पहुंचे। साथ ही साथ मौके पर पुलिस फ़ोर्स तैनात कर दी गई।
बताते चलें कि, पिछले साल पहले भी सहारनपुर जनपद में महाराणा प्रताप जयंती के जुलूस निकाले जाने के बाद जातीय हिंसा भड़क गई थी। जिसमें कई लोगों की मौत हुई थी और दर्जनों घायल हो गए थे। एक गांव में दलितों के घरों को आग के हवाले कर दिया गया था।
करीब एक सप्ताह पहले भीम आर्मी एकता मिशन ने एसएसपी को पत्र देकर गुहार लगाई थी कि जब विगत अंबेडकर जयंती को दलितों को अंबेडकर जयंती मनाने की अनुमति नहीं दी गई थी तो किसी दूसरे अन्य समाज के लोगों को भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति प्रदान न की जाए। इस पर जिला प्रशासन पेशोपेश में आ गया था क्योंकि राजपूत समाज ने भी जिला प्रशासन के यहां 9 मई 2018 को महाराणा प्रताप जयंती मनाए जाने की अनुमति मांगी थी।
जिला प्रशासन ने महाराणा प्रताप भवन को छोड़कर किसी अन्य स्थान पर कार्यक्रम आयोजित करने की बात कही थी, लेकिन राजपूत समाज महाराणा प्रताप भवन में ही कार्यक्रम आयोजित करने की जिद पर अड़ा रहा, जिस पर श्रद्धासुमन अर्पित करने और केवल 200 लोगों को जयंती मनाने की अनुमति तय कार्यक्रम स्थल पर दी गई। आरोप है कि राजपूत समाज के कई कार्यकर्ता कार्यक्रम में असलहों का खुला प्रदर्शन कर रहे थे जबकि मौके पर तकरीबन 500 पुलिस वाले भी मौजूद थे।
ये संगठन सहारनपुर के 700 गांवों में एक्टिव है। 2013 में बनी भीम आर्मी दलितों को लीड करने का दावा करती है। इसका चीफ एडवोकेट चंद्रशेखर आजाद है। दावा है कि हर गांव में भीम आर्मी के 8 से 10 युवा मेंबर है। ये सभी अपने सिर पर नीला कपड़ा बांधते हैं। वहीं, कुछ दिनों पहले मायावती आरोप लगा चुकी हैं कि भीम आर्मी बीजेपी की टीम है। अभी इनका मुखिया जेल में है।
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