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कहाँ गए मेरे विजय किरण आनन्द पार्ट-2 ~ शाहजहाँपुरिया

कहाँ गए मेरे विजय किरण आनन्द पार्ट-2 ~ शाहजहाँपुरिया
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ईमानदार कहलाने बाले जिला अधिकारी भी हुए मौन, सरकारी जमीन पर मिल मालिक ने किया कब्जा
शाहजहाॅपुर: नगर मे मुख्यमंत्री के आगमन की चर्चा होते ही जिला प्रशासन मुस्तैद हो गया और मुख्यमंत्री की सुरक्षा तथा अतिक्रमण हटाने के नाम पर सैकडो गरीब लोगो को बेरोेजगार करने मे जरा भी हिचक नही दिखायी। लेकिन साथ ही पूंजीपतियो को करोडो की बेशकीमती जमीन पर खुले आम कब्जा करने की छूट देने मे शर्म भी नही की।


जो गरीब सब्जी, फल, चाय, पान बीडी, चाट पकौडा बेच कर अपना पेट पाल रहे थे उससे ईमानदार जिला प्रशासन को बडी तकलीफ थी वे फालतू मे गंदगी का कारण बन रहे थे और तो और रास्ता भी जाम हो रहा था। उससे अधिक चिन्ता की बात यह थी कि सूबे के मुखिया की सुरक्षा की बात थी तो गरीबो को उजाड़ दिया गया। वैसे तो पूरे शहर मे गरीबो को उजाड़ा गया और अमीर व रसूखदारो के साथ भाईचारा अभियान चलाया गया। लेकिन गर्रा फटकिया से लेकर जिला अस्पताल तक गरीबो का पूरा सफाया किया गया।

एक मिल मालिक ने ईमानदार जिला अधिकारी की भाईचारा कमेटी से पता नही कौन सी साठ गॅाठ की कि उसने रातो रात पीडब्लूडी की करोङो की जमीन पर कब्जा कर लिया। पूरी जमीन पर वाटिका तैयार कर ली गयी। तीन दिन मे ही लगाये गये पेड़ इतने बडे हो गये जो एक साल मे भी नही होते। एक राइसमिल के बाहर हजारो वर्ग मीटर बेशकीमती जमीन रोड की है जिस पर कब्जा राइस मिलर का है।

उल्लेखनीय है कि शहर के कई कोनो मे भाजपा नेताओ और अधिकारियो की मेहरबानी से अवैध कब्जे चल रहे है। उस पर भी मुख्यमंत्री का तुर्रा यह कि भूमाफियाओ को बर्दाश्त नही किया जायेगा उनकी कमर तोड़ दी जायेगी।

खैर जब मुख्यमंत्री के करीब खडा होने वाला अवैध कब्जा कर रहा है और तीन तीन मंत्री उसको मुख्यमंत्री से न केवल मिला रहे है बल्कि उससे सीएम को स्मृति चिन्ह दिला रहे है तो जिला प्रशासन की क्या औकात जो भूमाफिया मिल मालिक के खिलाफ कार्यवाही करे। इससे अच्छा तो यही है कि जो पंजीरी मिल रही है उसे ही ले लिया जाये। शाहजहाँपुर की जनता कह रही है कि उनके विजय किरण आनंद पार्ट 2 बनकर आये डीएम साहब जाने कहाँ चले गए वो क्यों नहीं कुछ करपा रहे हैं भू माफियाओं के खिलाफ। तेज तर्रार और ईमानदार कहलाने बाले जिलाधिकारी पर भी अब सवाल उठने लगे है लेकिन किसी ने सच ही कहा है कि कुछ तो मजबूरियाँ रहीं होंगी यूँ ही कोई बेबफा नहीं होता । शायद ऐसा ही कुछ जिले के मुखिया का हाल है ।
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