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लखनऊ : उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव से पहले मुलायम सिंह यादव के आंगन में छिड़ी जंग अभी भी जारी है। विधानसभा चुनाव के बाद से समाजवादी पार्टी का जनाधार और मुलायम कुनबे का राजनीतिक भविष्य कठिन दौर से गुजर रहा है। बावजूद इसके चाचा शिवपाल और अखिलेश यादव के बीच शह-मात का खेल जारी है।
इसी बीच आज सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव से मुलाकात किया। समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव नई पार्टी न बनाने के फैसले के बाद बाप-बेटे के रिश्ते में आई कड़वाहट दूर होने लगी है। मुलायम-अखिलेश के बीच ये मुलाकात करीब 45 मिनटों तक चली।
इस दौरान अखिलेश ने मुलायम को 5 अक्टूबर को आगरा में होने वाली पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन का न्योता दिया। जिसे नेताजी ने स्वीकार कर लिया है और अधिवेशन में शामिल होने की सहमित दी है। बताया जा रहा है अधिवेशन में सपा के नये राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होना है।
वहीं दूसरी तरफ मुलायम सिंह यादव ने शिवपाल यादव के नई पार्टी बनाने के अरमानों पर पानी फेर दिया। शिवपाल ने नई पार्टी के ऐलान के लिए जो प्रेस नोट दिया था उसे मुलायम ने प्रेस कांफ्रेंस में नहीं पढ़ा। इतना ही नहीं उन्होंने नई पार्टी बनाने से भी इंकार कर दिया। मुलायम के इस रवैए से शिवपाल यादव और उनके समर्थक काफी नाराज है।
अपने सियासी भविष्य के लिये मुलायम की तरफ आशा भरी नजरों से देख रहे शिवपाल पर अब अपनी अलग राह पर चलने की दिशा में सोचने लगे हैं। बताया जा रहा है जल्द ही शिवपाल अपनी नई पार्टी बनाने को लेकर बड़ा ऐलान करेंगे। शिवपाल के करीबियों का कहना है कि दशहरे के बाद नई पार्टी बनाने का ऐलान किया जाएगा। अभी आगामी पांच अक्तूबर को सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन पर सबकी नजर है।
सूत्रों के अनुसार खबर है की शिवपाल यादव, नीतीश के जदयू में शामिल होंगे। उन्हें पार्टी का यूपी अध्यक्ष बनाया जा सकता है। ऐसे में इससे मुलायम सिंह और अखिलेश यादव को राजनीतिक तौर पर जरूर नुकसान पहुंचेगा। बताया जा रहा है इससे एक ओर शिवपाल सिंह यादव का कद बढ़ेगा तो वहीं उन्हें योगी सरकार में मंत्री भी बनाया जा सकता है।