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रमजान के महीने में अब्दुल वहीद ने किया सुंदरकांड का पाठ, हिंदू मुस्लिम एकता की पेश की मिशल
शिव कुमार मिश्र
22 May 2018 9:07 AM GMT
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वोट की पाल्टिक्स के लिए मंदिर-मस्जिद का मुद्दा छेड़कर भले ही आपसी सौहार्द के रिश्तों में ज़हर घोला जा रहा हो लेकिन सुल्तानपुर जिले में अब्दुल वाहिद जैसे लोग जब तक समाज में हैं तब तक राम और रहीम में दरार नही आने पड़ने वाली।
जी हां अब्दुल वहीद ने हिन्दू मुस्लिम के नाम पर बटने वालों को एक पैगाम देते हुए सुल्तानपुर जिला कारागार में अनोखी पहल शुरु कराया है,जिला कारागार में "सुन्दरकांड पाठ" का आयोजन किया जाता है, दिलचस्प बात ये है कि इस सुन्दरपाठ की शुरुआत मुस्लिम बंदी अब्दुल वहीद ने कई सालों पूर्व की थी जो आज भी चल रही है,यही नहीं खुद अब्दुल वहीद सुंदरकांड पाठ के आयोजन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं और लोगों के साथ सुंदर काण्ड की चौपाइयां पढ़ते हैं,वो पिछले कई सालों से जिला जेल में एक मामले में बन्द हैं, बावजूद इसके जेल में रहते ही इन्होंने अनोखी शुरुआत कर आज हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल कायम किया है।
अब्दुल वाहिद बताते हैं कि करीब 6-7 साल पहले जिला जेल में सुंदरकाण्ड पाठ का आयोजन शुरु कराया था जो तब से आज तक अनवरत चल रहा है, अब्दुल वाहिद इस दौरान खुद सुंदरकांड पाठ में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं साथ ही सुंदरकांड पाठ के साथ-साथ वो हिन्दू मुस्लिम की खाई को पाटने के लिए बिना किसी भेद भाव के हर धर्म सम्प्रदाय के त्यौहारों और कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं,उन्होंंने बताया कि बचपन में उनकी पढ़ाई हिन्दी माध्यम से हुई थी, और उस दौरान अपने गुरुओ से जो उन्होंने शिक्षा ग्रहण की उसी का असर आज भी उन पर है, उनकी नजर में न कोई धर्म छोटा और न बड़ा,ये सब धर्मों में समान आस्था रखते हैं।
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