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'अल्लाह वाले बाबा' की गुजीया में सदभाव का रंग

अल्लाह वाले बाबा की गुजीया में सदभाव का रंग
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सुल्तानपुर नगर के 70 वर्षीय मो जमील साढ़े चार दशक से निर्बल हिन्दू परिवारों में होली पर मिठास घोलते आ रहे है,त्यौहार के एक दिन पहले झोले में गुझिया,सूजी,चीनी,मैदा व् मेवा ही नहीं बाँटते बल्कि धर्मपुस्तक गीता भी भेंट कर रहे है.
सुल्तानपुर नगर के 70 वर्षीय मो जमील साढ़े चार दशक से निर्बल हिन्दू परिवारों में होली पर मिठास घोलते आ रहे है,त्यौहार के एक दिन पहले झोले में गुझिया,सूजी,चीनी,मैदा व् मेवा ही नहीं बाँटते बल्कि धर्मपुस्तक गीता भी भेंट कर रहे है,उनका मकसद समाज में सदभाव का संदेश देना है। इसी अंदाज की वजह से वह अल्लाह वाले बाबा के नाम से पुकारे जाने लगे है। बाबा पांचो वक्त के नमाजी भी है,उनका अपना छोटा सा परिवार है,बेटा छोटे से कारोबार से जीविका चलाता है। आर्थिक तंगी व् बीमारी से लाचार होने के बावजूद मो जमील सन 1970 से शुरू हुए इस सिलसिले को आज भी कायम रक्खे हुए है।
मो जमील ऊर्फ अल्लाहवाले बाबा कहते है कि इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं है,उन्होंने बताया कि वह ईद,दीपावली पर भी निर्बल वर्ग के लोगो को सिवई,मिठाई व् नए कपड़ो का वितरण करते है,इस बार होली पर वह सूजी,मैदा,चीनी व् मेवा के साथ धर्म पुस्तक गीता का भी वितरण कर रहे है,अब तक वह 1150 लोगो को होली का पैकेट वितरित कर चुके है,होलिका दहन के पूर्व तक यह सिलसिला जारी रहेगा। मो जमील की पत्नी ने बताया कि उनका परिवार दोनों धर्म के लोगो आपसी प्रेम व् सदभाव को बनाए रखना देखना चाहता है,उन्होंने कहा कि इस होली में पति के साथ वह अपनी दो अंगूठी की विक्री कर निर्बलों की होली में अनूठा रंग देने में लगी है।
मो जमील के पडोसी मो जियाउल हसनैन ने बताया कि त्यौहारों के मौके पर सिवई गुझिया व् मिठाई के वितरण से बाबा का मकसद हिन्दू मुस्लिम एकता को स्थापित करने का है।लाभार्थी राजेश्वर सिंह ने मो जमील द्वारा किए जा रहे इस पुनीत कार्य को सामाजिक एकता का प्रतीक बताया। बाबा अब तक नगर के सिरवारा रोड,पुरानी बाजार,गोला घाट,नवीपुर,विवेकनगर मोहल्ले में वितरण कर चुके है।
ब्रजेश वर्मा
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